महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन

By: Nov 13th, 2019 12:08 am

एनसीपी को दी समयसीमा से पहले ही राज्यपाल की सिफारिश पर राष्ट्रपति कोविंद ने दी मंजूरी

मुंबई – महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से जारी सियासी उथल-पुथल के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्य में राज्यपाल शासन को मंजूरी दे दी है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अपनी सिफारिश में कहा था कि राज्य में कोई भी दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है, इसलिए यहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए। इस सिफारिश के बाद राष्ट्रपति ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने को मंजूरी दे दी। साल 1980 के बाद महाराष्ट्र में पहली बार राष्ट्रपति शासन लगा है। इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी। बता दें कि राज्यपाल ने भाजपा, शिवसेना और एनसीपी को सरकार बनाने का मौका दिया था। गृह मंत्रालय का कहना है कि राज्यपाल की तरफ  से राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करते हुए कहा गया था कि राज्य में संविधान के मुताबिक सरकार गठन मुश्किल नजर आ रहा है। राज्यपाल ने अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल करते हुए सूबे में राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा की। गृह मंत्रालय ने कहा कि गवर्नर की रिपोर्ट कहती है कि उनकी तरफ  से हर संभव कोशिश के बाद भी महाराष्ट्र की सरकार का गठन संविधान के मुताबिक नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में राज्यपाल के पास राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करने के सिवा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। चुनावी प्रक्रिया समाप्त हुए 15 दिन बीत गए हैं और कोई भी राजनीतिक दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है, इसलिए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना बेहतर होगा। बता दें कि रविवार से सोमवार तक शिवसेना के सरकार न बना पाने के बाद सोमवार शाम को गवर्नर ने तीसरे सबसे बड़े दल एनसीपी को मौका दिया था। एनसीपी को मिला यह समय मंगलवार रात साढ़े आठ बजे समाप्त होना था, लेकिन राज्यपाल ने उससे पहले ही राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी और इसे मंजूरी भी मिल गई। गृह मंत्रालय ने बताया कि अभी महाराष्ट्र की विधानसभा निलंबित रहेगी। राज्य में 24 अक्तूबर को नतीजे आए थे। भाजपा 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। शिवसेना को 56 सीटें, जबकि एनसीपी को 54 सीटें मिली थीं। कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी।

अभी भी खुले हैं शिवसेना-एनसीपी के रास्ते

महाराष्ट्र में भले ही फिलहाल राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि महाराष्ट्र में सरकार गठन का रास्ता बंद हो गया है। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद अगर शिवसेना, भाजपा, एनसीपी और कांग्रेस में से कोई भी पार्टी राज्यपाल के पास सरकार बनाने के लिए जाती है और गवर्नर को विश्वास दिलाने में पार्टी कामयाब रहती है कि उनके पास बहुमत का आकड़ा है, ऐसी स्थिति में राज्यपाल राष्ट्रपति शासन को खत्म करने की सिफारिश कर सकते हैं।

दूसरी याचिका भी डालेगी शिवसेना

मुंबई – महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन के फैसले के खिलाफ  शिवसेना सुप्रीम कोर्ट में दूसरी याचिका दायर करेगी। इससे पहले मंगलवार को शिवसेना ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने के राज्यपाल की सिफारिश के खिलाफ  याचिका दायर की थी। इसी बीच, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा सूबे में राष्ट्रपति शासन की मंजूरी दे दी गई। ऐसे में अब शिवसेना ने बुधवार सुबह सुप्रीम कोर्ट में दूसरी याचिका दायर करने का निर्णय लिया है। बुधवार सुबह  साढ़े दस बजे शिवसेना यह अर्जी दायर करेगी।

एनसीपी-कांग्रेस का फार्मूला

कांग्रेस और एनसीपी नेताओं के बीच मंगलवार शाम को आयोजित बैठक के दौरान कांग्रेस ने सरकार के गठन के लिए अपनी कुछ शर्तें एनसीपी के समक्ष रखीं। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस का न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर जोर रहा, लेकिन एनसीपी चाहती है कि कांग्रेस सरकार का हिस्सा हो। इसके साथ ही एनसीपी चाहती है कि अढ़ाई साल महाराष्ट्र की सत्ता शिवसेना का मुख्यमंत्री चलाए और बाकी के अढ़ाई साल एनसीपी का। इसके साथ ही एनसीपी कांग्रेस को पांच साल डिप्टी सीएम का पद भी देना चाहती है।

सावंत का इस्तीफा मंजूर, जावड़ेकर को मिला प्रभार

नई दिल्ली – शिवसेना सांसद अरविंद सावंत के केंद्रीय भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्री के रूप में पद छोड़ने के एक दिन बाद मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया। इसके साथ ही कैबिनेट मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को इस मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। राष्ट्रपति भवन ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति ने, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सलाह दी थी, सावंत का केंद्रीय मंत्रिपरिषद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। बयान में आगे कहा गया कि प्रधानमंत्री द्वारा दी गई सलाह के अनुसार, राष्ट्रपति ने निर्देश दिया है कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन और सूचना एवं प्रसारण मामलों के मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को अतिरिक्त प्रभार दिया जाए।

कांग्रेस-एनसीपी ने लटकाई शिवसेना

मुंबई – महाराष्ट्र में सरकार को लेकर अनिश्चितता अब भी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। जहां एक तरफ  राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है, वहीं कांग्रेस और एनसीपी के सीनियर नेताओं की बीच हुई बैठक का भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। दोनों पार्टियों की तरफ  से जारी बयान को एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने पढ़ते हुए कहा कि यह फैसला लेने से पहले जरूरी है कि सभी बिंदुओं पर स्पष्टीकरण होना चाहिए। पहले कांग्रेस और एनसीपी कुछ बिंदुओं पर चर्चा करेंगे। उसके बाद ही शिवसेना से बात की जाएगी। इसके बाद दोनों पार्टियां शिवसेना को समर्थन देने पर फैसला लेंगी। एनसीपी नेता शरद पवार ने कहा कि हम महाराष्ट्र में दोबारा चुनाव नहीं चाहते हैं। कांग्रेस से चर्चा होने के बाद सरकार गठन पर चर्चा होगी।

अब हमारे पास छह महीने का समय

मुंबई – शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने पर नाराजगी जताई है। इसके साथ ही उद्धव ने दावा किया कि वह अभी भी सरकार बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस-एनसीपी से बातचीत चल रही है। हमें थोड़ा वक्त चाहिए। उद्धव ने राज्यपाल पर तंज कसते हुए कहा हमने सरकार बनाने के लिए तीन दिन का समय मांगा था, राज्यपाल ने छह महीने का समय दे दिया है। अब हम तीनों (कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना) कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर बातचीत करेंगे। अब तक सिर्फ  शिवसेना ने सरकार बनाने का दावा पेश किया है। ऐसे में हमारा दावा अब भी बरकार है।

भाजपा करती रहेगी सरकार बनाने की कोशिश

मुंबई – भाजपा नेता नारायण राणे ने मंगलवार को एक बार फिर दावा किया कि महाराष्ट्र में भाजपा ही सरकार बनाएगी। राणे ने कहा कि मैं भाजपा सरकार के लिए प्रयासरत हूं। महाराष्ट्र में हम सरकार बनाएंगे। जिसको जिसके साथ जाना है जाए। सरकार बनाने के लिए जो करना होगा, वह करेंगे। 145 विधायकों को जुटाने की कोशिश है। जब भी जाएंगे राज्यपाल के पास 145 का आंकड़ा लेकर जाएंगे। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन को देवेंद्र फड़नवीस ने भी दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। हालांकि हमें उम्मीद है कि महाराष्ट्र को जल्द ही एक स्थिर सरकार मिलेगी।


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