युवाओं व समाज को जकड़ता मोबाइल

By: Nov 30th, 2019 12:05 am

प्रो. मनोज डोगरा

लेखक, हमीरपुर से हैं

सोशल मीडिया से हमारी युवा पीढ़ी शायद हासिल तो कुछ नहीं कर पा रही है अपितु इसके दुष्प्रभावों से ग्रस्त अवश्य हो रही है। यही कारण है कि आए दिन ऐसी अजीब घटनाएं सुनने के लिए मिल रही हैं जिनके बारे में कोई आम व्यक्ति सोच भी नहीं सकता था। कहीं पर घरों की लड़कियां सोशल मीडिया पर अपलोड की गई विभिन्न प्रकार की फिल्मों से प्रभावित होकर रातोंरात अमीर बन कर अपने सपनों को सच करने के लिए घरों की दहलीज को लांघ रही हैं। उधर युवा सोशल मीडिया के प्रभाव में आकर नशे जैसी लत से ग्रस्त होकर अपना जीवन तबाह कर रहे हैं…

युवाओं व समाज की बात की जाए तो इनमे वर्तमान समय में जो सबसे बड़ी बात सामने आती है वह है मोबाइल फोन व इंटरनेट का गलत प्रयोग, आज का युवा किस और जा रहा है ये कोई नही कह सकता है आज की युवाओं ने सुविधाओं को खुद के लिए समस्या बना लिया है, मोबाइल फोन को जहां सकारात्मक कार्यों के लिए प्रयोग किया जाना चाहिए वहीं युवा इसका गलत प्रयोग करके समाज में अश्लीलता, भ्रामकता फैला रहे है। सोशल साइट्स की युवाओं को लत सी पड़ गई है। आज युवा इन साइ्टस व एप्पस के बिना नहीं रह पाता इनमे फेसबुक, व्यटसपए, इस्टाग्राम, टीकटोक इत्यादि है। इन्हें जहां सूचनाओं व ज्ञान का आधार बनाया जाना चाहिए था वही इसका नकारात्मक प्रयोग किया जा रहा है, जोकि गलत है आज का युवा तकनीक का इतना प्रयोग कर रहा है जितना आज तक किसी ने नहीं किया है, लेकिन इस तकनीक का प्रयोग नकारात्मक क्षेत्र मे हो रहा है या फिर सकारात्मक क्षेत्र मे यह देखना आवश्यक है। सोशल मीडिया से हमारी युवा पीढ़ी शायद हासिल तो कुछ नहीं कर पा रही है अपितु इसके दुष्प्रभावों से ग्रस्त अवश्य हो रही है। यही कारण है कि आए दिन ऐसी अजीब घटनाएं सुनने के लिए मिल रही हैं जिनके बारे में कोई आम व्यक्ति सोच भी नहीं सकता था। कहीं पर घरों की लड़कियां सोशल मीडिया पर अपलोड की गई विभिन्न प्रकार की फिल्मों से प्रभावित होकर रातोंरात अमीर बन कर अपने सपनों को सच करने के लिए घरों की दहलीज को लांघ रही हैं वहीं पर ऐसे मामले भी सामने आने लगे हैं कि युवा सोशल मीडिया के प्रभाव में आकर नशे जैसी लत से ग्रस्त होकर अपना जीवन तबाह कर रहे हैं। अभी हाल में पंजाब में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने सभी को चौंका कर रख दिया है। इस मामले में दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों ने सोशल मीडिया के चक्कर में अपने ही दोस्त, जो कि नौवीं कक्षा का विद्यार्थी है, के अपहरण का प्रयास किया। यह एक ऐसा कृत्य है जिसकी इन छात्रों से कभी अपेक्षा भी नहीं की जा सकती। स्कूलों का प्रबंधन देखने वालों को भी चाहिए कि वह विद्या के मंदिरों में मोबाइल जैसी वस्तुओं को पूरी तरह से प्रतिबंधित करें। स्कूल में बच्चे पढऩे के लिए आए हैं तो उनका एकमात्र लक्ष्य पढ़ाई ही होना चाहिए। मां-बाप को भी चाहिए कि वह अपने बच्चों की हर गतिविधि पर पूरी नजर रखें। बच्चों को अच्छे और बुरे का बोध करवाएं। उन्हें समझाएं कि सोशल मीडिया पर तो हर प्रकार की अच्छी व बुरी जानकारी उपलब्ध हैं परंतु हमें अच्छे और खुद को अपडेट रखने वाली जानकारियों को ही ग्रहण करना है। यह निगरानी रखना मां-बाप का फर्ज है कि सोशल मीडिया पर उनके बच्चे क्या देख रहे हैं। इसका अंदाजा मां-बाप उनके व्यवहार को देखकर भी लगा सकते हैं।

अपराध की दुनिया में कदम रख चुके युवा भी सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं। कुछ गैंगस्टर्स सोशल मीडिया पर अपने स्टेट्स अपडेट करते रहते हैं और कुछ तो अपने दुश्मनों को धमकियां तक देते हैं। हैरानी की बात यह है कि पुलिस ऐसी गतिविधियों को रोक नहीं पा रही है। जरूरी है कि उसका साइबर क्राइम सेल और मजबूत हो। इसके साथ-साथ युवा पीढ़ी को भी यह समझना होगा कि कोई भी तकनीक जब तक सकारात्मक रूप से इस्तेमाल की जाती है तब तक वरदान होती है, अगर उसका इस्तेमाल नकारात्मक रूप से किया जाए तो वहीं अभिशाप बन जाती है। इसलिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल सोच-समझ कर, सकारात्मक ढंग से ही होना चाहिए लोगो को इसकी लत लग गई है यह इसकी सबसे बड़ी खामी है। यह इतना आकर्षक साधन है कि लोग इसे कई कई घंटो तक उपयोग करते रहते हैं। लोगों को इसकी लत लग गई है। इस्तेमाल करने वाले अपने जरूरी काम छोड़कर इसको करते रहते है। बच्चे अपनी पढ़ाई से जी चुराने लगे है। वे ज्यादा समय फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब पर चिपके रहते है। ज्यादा देर तक कम्प्यूटर, मोबाइल फोन के इस्तेमाल से उनकी आंखे कमजोर हो जाती है। लगातार एक ही जगह पर बैठे रहने से मोटापा बढ़ रहा है। उच्च रक्तचाप, मधुमेह, दिल की बीमारियां हो जाती है। इसलिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल सीमित समय के लिए करना चाहिए। आजकल ऐसा कुछ ज्यादा ही होने लगा है। पुलिस वाले, शिक्षक, बैंक कर्मी, रेलवे कर्मी, अन्य नौकरी करने वाले कर्मचारी अपने आफिस में अपनी ड्यूटी करने की जगह फेसबुक, व्हाट्स, यूट्यूब करने में मस्त रहते हैं। वे अपने कर्त्तव्य का निर्वाहन सही तरह से नहीं करते हैं। मोबाइलों के कारण युवा पीढ़ी बुरी गतिविधियों में शामिल है। जैसा कि हम देखते हैं कि बम विस्फोट में ज्यादातर युवा पीढ़ी शामिल थी। वे एक दूसरे के साथ संवाद करते हैं, एक दूसरे के साथ संपर्क करते हैं। अगर मोबाइल की कोई अवधारणा नहीं है, तो वे संपर्क नहीं कर सकते हैं और उनके द्वारा गलती की बहुत अधिक संभावना है। मोबाइल अपराध के कारण चोरी, डकैती, बम विस्फोट आदि बढ़ जाते हैं। युवा पीढ़ी मोबाइल का उपयोग करते हैं और वे काल करते हैं। जिसके कारण वे हर बार शेष राशि को रिचार्ज करते हैं जो उनके पैसे बर्बाद करता है तथा साथ मे अनिद्रा का खतरा हाता है। स्मार्टफोन से निकलने वाली नीली रोशनी सेन सिर्फ  सोने में दिक्कत आती है, बल्कि बार-बार नींद टूटती है। इसके ज्यादा प्रयोग से रेटिना को नुकसान होने का खतरा रहता है।


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