रिवालसर झील की सुध लो सरकार

 तीन धर्मां की आस्था के केंद्र पर प्रदूषण की मार, कहीं मिट न जाए झील का आस्तित्व

रिवालसर पहले से प्रदूषण की मार झेल रही जिला मंडी के रिवालसर की ऐतिहासिक पवित्र झील में फीस फीडिंग व पूजा-पाठ के नाम इकट्ठी की गई सामग्री को वहीं फेंककर झील के वातावरण और प्रदूषित किए जाने पर यहां की पर्यावरण प्रेमी संस्था डीएजी व स्थानीय लोगों ने कड़ा एतराज जताया है और प्रशासन से ऐसे लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की है। डीएजी संस्था के निदेशक नरेश शर्मा ने कहा है कि स्थानीय प्रशासन झील के पर्यावरण के प्रति गंभीरतापूर्वक काम नहीं कर रहा है। उनका कहना है कि पिछले दो दशकों से अंधाधुंध निर्माण और मानवीय दखल से रिवालसर झील का अस्तित्व खतरे में पड़ चुका है। झील में मछलियों के मरने के प्रमुख कारण प्रदूषण, कैचमैंट एरिया से बरसाती पानी जमा होने से ऑक्सीजन की कमी व अत्याधिक फीड का डाले जाना है, लेकिन तीन धर्मों की इस साझा स्थली में अनेक स्टेक होल्डरों के बीच आपस में तालमेल न बनने से यहां न केवल ऐतिहासिक झील का दायरा सिमटने की कगार पर है। झील का पानी इतना प्रदूषित हो चुका है कि बंदर भी उसे पीने से हिचकते हैं और पानी को हाथ से साफ करने के बाद पीने को मजबूर हैं। वहीं स्थानीय लोगों बंसी लाल, विजय कुमार, चेतराम, दामोदर दास, सुदर्शन का कहना है कि एनजीटी के निर्देशों पर यहां मैनेजमेंट प्लान भी बना है, लेकिन उसके आधार पर भी कुछ काम नहीं हो रहा है। हाई कोर्ट ने भी हस्तक्षेप  र विभिन्न विभागाध्यक्षों और विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाई है, ताकि यहां लगातार मॉनीट्रिंग की जा सके। यह कमेटी भी अब तक कोई स्थायी हल नहीं निकाल पाई है। भारत, भूटान और तिब्बत से हर वर्ष यहां धर्म त्रिवेणी में हजारों बौद्ध, सिख और हिंदू धर्म के श्रद्धालु आते हैं। झील के साथ लगते नालों को चैनेलाइज करने के लिए सरकार द्वारा स्वीकृत करोड़ रुपए को भी स्थानीय नगर पंचायत नहीं खर्च पाई है। इसके साथ झील परिसर में अवैध निर्माण व अवैध खोखों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है, जिससे यहां की सुंदरता भी बिगड़ रही है और झील में प्रदूषित पानी मिल रहा है। पर्यावरण प्रेमियों व स्थानीय जनता ने प्रदेश सरकार एवं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से त्रिवेणी धर्मस्थली रिवालसर झील की सुध लेने की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा है कि यही हालात रहे तो वह दिन दूर नही जब इस सुंदर झील का अस्तित्व ही मिट जाएगा। नगर पंचायत अध्यक्ष लाभ सिंह ठाकुर का कहना है कि नगर पंचायत अपने स्तर पर झील की देखभाल कर रही है। उनका कहना है कि झील में फीस फीडिंग पूरी तरह से प्रतिबंधित की गई है। अगर कोई यहां के वातावरण को प्रदूषित करता हुआ पाया गया तो उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।