रूढि़वादः मानवता की हत्या

By: Nov 16th, 2019 12:05 am

हरि मित्र भागी 

लेखक, धर्मशाला से हैं

सरकाघाट के समाहल गांव में एक बुजुर्ग महिला राजदेई, जिसकी आयु 81 वर्ष व एक सैनिक की विधवा पत्नि है, जिसकी दो विवाहित बेटियां हैं, उसे स्थानीय लोगों ने जिस तरीके से बेइज्जत किया है, वह बिलकुल शोभनीय नहीं है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां प्रशासनिक अमला, पुलिस, ज्यादा जनसंख्या और परिवहन के कारण इर्द-गिर्द लोगों का आना-जाना लगा रहता है।

सरकारी कार्यालय स्कूल हो और देवता की आड़ में इतना घृणित कार्य प्रदेश के शांत वातावरण जिसकी पहचान देवभूमि के नाम से है, को कलंकित करता है। देवभूमि हिमाचल का प्रयायवाची है। देवता स्थान-स्थान पर हमारी श्रद्धा और आस्था के प्रतीक हैं। इन्हें न्याय के व मानव के अंदर आत्मविश्वास है, के प्रतीक के रूप में माना जाता है। यह प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत का वह अंग है, जो मानव के अंदर प्रसन्नता, सच्चाई, अच्छाई, शांति, सामाजिक सद्भाव लाते हैं। इन्हीं देवताओं के नाम पर एक महिला के साथ देवताओं के नाम पर जिन दुष्ट लोगों ने जो दुर्व्यहार किया है, यह मानवता को कलंकित करने वाला है।

हमारे शास्त्रों ने स्पष्ट लिखा है, जहां नारी का सम्मान होता है, वहां देवताओं का वास होता है, ऐसे में इस कृत्य ने प्रदेश के नाम को ही बट्टा लगा दिया है। यह कोई ऐसे स्थान पर घटना नहीं हुई जो अंजान क्षेत्र  हो जहां आधुनिक सुविधाएं न हो यह तो वदा वड़ा रौनक वाला सार्वजनिक क्षेत्र है जो कुछ उस सामाजिक महिला से हुआ  उसके लिए मीडिया व संजय शर्मा व महिला की बहादुर बेटियां व राक बेटी तो स्वयं सामाजिक कार्यकर्ता हैं उसके लिए सभी सम्मान के पात्र हैं माननी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व मानसिक उच्च न्यायालय ने जो संज्ञान लिया उस पर आशा की जानी चाहिए कि मानवता के भेडि़यों को कड़ी से कड़ी सजा मिलेगा व आगे से कोई जुर्रत नहीं कर सकेगा।

जहां तक धर्म व आस्था का प्रश्न है उसके बारे प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्वर्ट आइंस्टाइन ने लिखा है कि संसार में वह धर्म ही सफल होगा जो तर्क की कसौटी पर उतरता हो विश्व के जाने माने पारिनिक भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने श्री मदभागवत गीता को  तर्क पर आधारिक ग्रंथ कहा है भारतीय संस्कृति का आधार ही अधामक वाद है पाखंड का इसमें कोई स्थान नहीं। धर्मों रक्षति धर्म धर्म हमारी तभी रक्षा करेगा जब हम धर्म की  रक्षा करेंगे। जब धर्म के नाम पर शोषण, लूट-घसूट अत्याचार होने लगा तभी देश में गुलामी का दौर शुरू हुआ। विदेशी हमलावारों ने लाभ उठाया व वर्षों हमारा देश पर तंत्रता की बेडि़या दयानंद विवेकानंद सब संत कबीर गुरु नानक देव संत तुलसीदास गुरु सर्व रविदास, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने जनचेतना जागृत की। स्वतंत्र के 72 वर्ष बाद भी मानव चंद्रमा तक पहुंच गया फिर ऐसी घटना घोर निंदनीय है।

सरकार को चाहिए कि गांव की पंचायतों नगर परिषदों कीर अस बारे में जवाब दे दी रखे। देव संस्कृति के नाम पर अत्याचार रोकने के लिए गांव, खंड, तहसील,जिला तक कमेटियां बनाए व इसके विशेष टास्क फोर्स का गठन हो। आधुनिक युग में वीडियो वायरल हो गया तो मामला प्रकाश में आ गया नहीं तो किसी को क्या पता लगाना था। समाज सेवी संजय शर्मा जैसे लोगों को सरकार सम्मानित करे ताकि अन्य युवाओं को भी प्रोत्साह मिले। जिस बेटी ने अपनी मां के लिए बड़े ढंग से अपनी मां के लिए पग उठाया वह सचमुच में पाकिस्तान में फंसे सर्वजीत की बहन दलबीर कौर से कम नहीं है। ऐसी बेटियां नमन की हकदार हैं। 

देवताओं के नाम पर जो स्वयंभू तानाशाह बने हुए है उनके लिए विशेष अदालतों का गठन किया जाए। जिस प्रकार माननीय उच्च न्यायलय ने पशु बलि पर प्रतिबंध लगाया जो अत्याचार होता है उस पर शीघ्र से शीघ्र कानून बनाना आवश्यक हो । पहले देवता अपने स्थानों पर या विशेष स्थानों पर या विशेष स्थानों उत्सवों पर लायाजाए थे अब तो सड़कों पर आम जनता के घरों में भी लाया जा रहे हैं।


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