लखनऊ में होगा पहाड़ी दरकने का खुलासा

By: Nov 12th, 2019 12:30 am

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने जांची जमीन, जीएसआई लैब लखनऊ और एनआईटी हमीरपुर में भेजे सैंपल

घुमारवीं –कठलग में बरपे कुदरत के कहर से दरकी पहाड़ी के कारणों का लखनऊ से खुलासा होगा। दरकी पहाड़ी के भू-वैज्ञानिक मिट्टी तथा पत्थर के सैंपल जीएसआई लैब लखनऊ में भेजेंगे। जहां पर सैंपलों की बारीकी से जांच की जाएगी। जिसके बाद कठलग में पहाड़ी दरकने के सही कारणों का खुलासा किया जाएगा। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ  इंडिया की टीम ने 10 दिनों तक कठलग के भू-स्खलन इलाके का बारीकी से निरीक्षण किया। भू-वैज्ञानिकों ने दरकी पहाड़ी के अलग-अलग कोनों से मिट्टी तथा पत्थर के सैंपल लिए हैं। जिनके सैंपल जीएसआई लैब लखनऊ तथा एनआईटी हमीरपुर भेजे गए हैं। भू-वैज्ञानिक सैंपल लेकर मंगलवार को घुमारवीं से रवाना हो गए। भू-वैज्ञानिकों ने दरकी पहाड़ी के पांच मिट्टी तथा तीन पत्थरों के सैंपल लिए हैं। इन सैंपलों को एकत्रित कर जीएसआई लैब लखनऊ तथा एनआईटी हमीरपुर भेजा जाएगा। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ  इंडिया लखनऊ लैब से रिपोर्ट आने के बाद पहाड़ी दरकने का खुलासा करेगा। जानकारी के मुताबिक जियॉलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से विशेषज्ञों की टीम कठलग में दरकी पहाड़ी की बारीकी से जांच में जुटी थी। भू-वैज्ञानिकों ने करीब 10 दिनों तक दरकी पहाड़ी तथा  आस-पास के 100 मीटर के दायरे में इसका बारीकी से निरीक्षण किया। जियॉलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के भू-वैज्ञानिकों ने दरकी पहाड़ी तथा आसपास इलाके के मिट्टी तथा पत्थर के सैंपल लिए हैं। विशेषज्ञ इन सैंपलों को अपने साथ ले गए हैं। इनमें से एक सैंपल जीएसआई लैब तथा दूसरा सैंपल एनआईटी हमीरपुर भेजा गया है। जीएसआई की लैब लखनऊ से सैंपल की रिपोर्ट आने के बाद ही पहाड़ी दरकने के सही कारणों का पता चल सकेगा। खास बात यह रही कि जियॉलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के विशेषज्ञों ने दरकी पहाड़ी का ही नहीं, बल्कि इसके आस-पास के 100 मीटर के दायरे की भी जांच की। ताकि जिन कारणों से यह पहाड़ी दरकी है, वो कारण साथ लगने वाले क्षेत्रों में न हो। जिससे जान-माल की सुरक्षा के लिए लोगों को पहले ही सचेत किया जा सके। भू-स्खलन की जद में काफी क्षेत्र आने के कारण विशेषज्ञों ने इसकी जांच बारीकी से की है। विशेषज्ञों ने यहां के मिट्टी तथा पत्थर के सेंपल लिए हैं। हालांकि जियॉलोजिकल सर्वे ऑफ  इंडिया के विशेषज्ञों का मानना है कि बीते 18 अगस्त को यहां पर मूसलाधार बारिश भी हुई थी। विशेषज्ञों ने यहां पर मूसलाधार बारिश के साथ-साथ अन्य पहलुओं पर भी बारीकी से अध्ययन किया है। लेकिन, पहाड़ी दरकने के सही कारणों का खुलासा जियॉलोजिक सर्वे ऑफ इंडिया जीएसआई लैब लखनऊ की रिपोर्ट आने के बाद ही करेगा। 


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