लवी मेला ग्राऊंड में उमड़ा जनसैलाब

रामपुर बुशहर – अंतरराष्ट्रीय लवी मेला भले ही आधिकारिक तौर से समाप्त हो गया है लेकिन मेले में रंग अब चढ़ने लगा है। रविवार के दिन छुट्टी होने के कारण लवी मेला ग्रांऊड में तिल घरने को जगह नही रही। कोई लवी मेले में लगी दुकानों में सजी चीजों को खरीदने के लिए यहां पर पहुंचा तो कोई मेले में लगे झूले में अपने बच्चों को झूलाने के लिए यहां पर पहुंचा। लवी मेला लगने के बाद ये पहला रविवार रहा। ये ही कारण रहा कि हर कोई मेले में हाजरी भरने के लिए यहां पर पहुंच रहा था। स्थिति ऐसी रही कि गाडि़यो को खड़ा करने के लिए एनएच पर जगह कम पड़ गई। जहां खड़ी गाडि़यो की कतार नए बस स्टैंड तक पहुंच गई थी वही दुसरी और पिप्टी मोड़ तक सड़क के दोनों और बड़ी संख्या में वाहन खड़े दिखे। जिस तरह से लवी मेले की शुरूआत फीकी रही थी उसे देखते हुए लवी मेले में लगे स्टाल के मालिक काफी चिंतित थे। शुरू के चार दिन में मेला मे रोनक काफी कम रही। स्टाल मालिकों को चिंता सताने लग गई थी कि उनका माल इस बार बिकेगा या नही। लेकिन रविवार को उमड़ी भीड़ ने स्टाल मालिकों के चेहरे पर रौनक ला दी है। जहां मेला ग्रांऊड में लगा झूला लोगों के मनोंरजन का एक हिस्सा बना गया है वही पर लोग स्टाल में सजे सामान को निहार रहे है। इस बार भले ही यहां पर आई विभिन्न चीजों के दाम बढे़ है। लेकिन खरीदार भी पीछे नही है। ये जरूर है कि जिन चीजों को पहले आम आदमी भी लवी मेले से खरीदकर घर ले जाता था उन चीजों की खरीद इस बार आम आदमी के बजट से बाहर हो गई है। लेकिन 30 नंवबर तक सजी लवी मेला ग्रांऊड में दुकानें लोगों के लिए एक घुमने का जरीया बन गया है। लोग भले ही यहां पर आकर खरीदारी न करें लेकिन यहां पर घुमकर वह अपना मनोंरजन जरूर कर रहे है। रविवार की छुट्टी को भी अधिकतर लोगों ने मेले में धूम कर पूरा किया। खासकर बच्चों की भीड़ मेले में काफी अधिक दिखी। स्टाल मालिकों को ये उम्मीद है कि जिस रेट पर उन्होंने नगर परिषद् से स्टाल किराए पर लिए है उस राशि को वे प्राप्त कर सकते है।

किन्नौरी सामान लेना हर किसी के बस की बात नहीं

इस बार मंहगाई का रंग सबसे ज्यादा किन्नौरी मार्केट पर चढ़ा है। यहां पर हर सामान गत वर्ष की बजाय महंगा है। चिलगोजा जहां 1800 रूपए प्रति किलो बिक रहा है। वहीं दुसरी चीजें भी आम आदमी की खरीद से बाहर हो गई है। सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात ये है कि लवी मेले में पूरा बाजार खुली बोली में बिकता है। लेकिन किन्नौरी मार्केट ऐसी है जो बिल्कुल मुफ्त में लगती है। बावजूद इसके यहां के रेट बाजार भाव से अधिक ही है। ऐसे में साफ है कि इन दुकानदारों पर आने वाले समय में लगाम लगाना बहुत ही जरूरी है।