वर्ल्ड बैंक से मांगे 103 मिलियन डॉलर

 हिमाचल के शहरों में बिजली व्यवस्था आधुनिक तकनीक से बेहतरीन बनाने के लिए चाही मदद

शिमला –हिमाचल के प्रमुख शहरों में बिजली की व्यवस्था आधुनिक तकनीक से बेहतरीन बनाने के लिए वर्ल्ड बैंक से 103 मिलीयन डॉलर की सहायता मांगी गई है। इस प्रोजेक्ट को लेकर विश्व बैंक से बातचीत चल रही है और उम्मीद है कि जल्दी ही यह सहायता प्रदेश को मिलेगी। राज्य बिजली बोर्ड इस राशि से प्रदेश के मुख्य शहरों में मानव रहित विद्युत उपकेंद्रों की स्थापना करना चाहता है। उसने ऐसे कुछ उपकेंद्र स्थापित भी किए हैं, जिनका नतीजा बेहतर रहा है। ये उपकेंद्र चलाने के लिए कर्मचारियों की जरूरत नहीं रहती, जहां भी लाइनों में फॉल्ट आता है, उसकी जानकारी खुद ब खुद मिल जाती है और  सेंट्रल कंट्रोल रूम के पास उसकी सूचना पहुंचती है। वहां से तुरंत डिस्ट्रीब्यूशन टीम को मौके पर भेज दिया जाता है। ऐसे में कर्मचारियों की ज्यादा जरूरत नहीं होती और आधुनिक तकनीक से फॉल्ट ढूंढकर उसे जल्द ठीक कर दिया जाता है। ऐसे उपकेंद्रों की स्थापना के लिए बिजली बोर्ड को पैसा चाहिए। राज्य के कई ऐसे प्रमुख शहर हैं, जहां इस तरह की व्यवस्था बिजली बोर्ड करना चाहता है, क्योंकि उसके पास तकनीकी कर्मचारियों की कमी है और तकनीकी कर्मचारियों को उस तेजी के साथ भर्ती भी नहीं किया जा रहा है, जिस तेजी के साथ पुराने लोग रिटायर हो रहे हैं। ऑटोमेशन के इस प्रोजेक्ट पर बातचीत की जा रही है। वर्ल्ड बैंक से हिमाचल ने शौंगटोंग परियोजना के लिए और ट्रांसमिशन लाइनों के लिए पैसा मांग रहा है। डिस्ट्रीब्यूशन में विद्युत उपकेंद्रों की ऑटोमेशन के प्रोजेक्ट को भी जोड़ा गया है, जो कि बिजली बोर्ड करेगा। यह राशि मंजूर होती है, तो शिमला सहित धर्मशाला, हमीरपुर, मंडी, सोलन, बद्दी में बिजली डिस्ट्रीब्यूशन का काम ऑटोमेशन के जरिए चलेगा। बिजली बोर्ड के प्रबंध निदेशक ईं. जेपी काल्टा ने खबर की पुष्टि की है।

मानव रहित उपकेंद्रों में नया सिस्टम

मानव रहित उपकेंद्रों में नया सिस्टम तैयार किया जाएगा और इसे डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के साथ जोड़ दिया जाएगा। हालांकि बिजली बोर्ड के भीतर इसका विरोध भी हो रहा है, परंतु बोर्ड प्रबंधन चाहता है कि ऑनलाइन ऑटोमेशन हो, ताकि बेहतरीन तरीके से बिजली का डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम यहां चल सके। अब देखना यह है कि विश्व बैंक कब तक प्रदेश को आर्थिक सहायता मुहैया करवाता है।