वायरल पत्र बम में बड़ा खुलासा : विपिन परमार की बदनामी के पीछे पूर्व मंत्री

हिमाचल को झकझोरने वाले पत्र प्रकरण की फोरेंसिक जांच में खुलासा

मोबाइल डाटा के अनुसार रविंद्र रवि के इशारे पर हुआ था सारा खेल

धर्मशाला – प्रदेश में बर्फबारी और ठंडक के बीच सियासी फिजाओं में बड़ी गरमाहट लाने वाला मामला उजागर हो गया है। सियासी भूचाल लाने वाले वायरल पत्र मामले में फोरेंसिक जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। इसके तहत पुलिस विभाग कांगड़ा की ओर से रिपोर्ट भी जारी हो गई है, जिसके अनुसार पूर्व मंत्री रविंद्र रवि के कहने पर ही पत्र के वायरल होने की बात स्पष्ट रूप से सामने आई है। फोरेंसिक टीम ने समस्त अहम सुराग व फोन की रिकार्डिंग और अन्य जरूरी डाटा भी प्राप्त कर लिया है। गौरतलब है कि वायरल पत्र में भाजपा के ही पूर्व मंत्री ने अपने ही सरकार के मंत्री के खिलाफ एक पत्र वायरल किया था, जिसमें मंत्री के खिलाफ झूठी अफवाह फैलाने वाली, ख्याति को क्षति पहुंचाने वाली और आपराधिक षड्यंत्र वाली सामग्री थी। मैसेज था, सर मैं आपका आया मैसेज डिलीट कर दिया और फारवर्ड कर दिया है। उक्त मैसेज के आधार पर पुलिस व फोरेंसिक टीम को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। मिली जानकारी के अनुसार तीन सितंबर, 2019 को दिलबाग सिंह परमार ने थाना भवारना में मनोज मसंद के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि फेसबुक पर मनोज के प्रोफाइल में स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार के खिलाफ झूठी, सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली, ख्याति को क्षति पहुंचाने वाली, झूठी अफवाह और आपराधिक षड्यंत्र रचने वाली सामग्री पढ़ी। इस संबंध में जब उन्होंने मनोज मंसद से पूछा, तो उन्होंने धमकी दी। मामले के सुर्खियों में आने के बाद पुलिस ने जांच करते हुए फोरेंसिक टीम की मदद ली, जिसमें पूर्व मंत्री रविंद्र सिंह रवि का मोबाइल भी कब्जे में लेकर जांच को भेजे गए। अब सभी पहलुओं को जांचने के बाद फोरेंसिक रिपोर्ट प्राप्त हो गई है। जांच में यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया है कि रविंद्र रवि के कहने पर ही मनोज मंसद ने मैसेज को वायरल किया है। लैब में आरोपी के मोबाइल से सभी मैसेज और डाटा भी रिकवर कर प्राप्त कर लिया गया है। मामले में आगामी जांच की जा रही है।

मामला यहीं थमने के आसार नहीं

धर्मशाला – हिमाचल के पालमपुर में जारी हुआ लैटर बम प्रदेश सहित देश की राजनीति में एक तूफान था। सितंबर माह में स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार, उद्योग मंत्री विक्रम ठाकुर, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के आरोपों वाले पत्र के सोशल मीडिया में वायरल होने और मामले में पूर्व मंत्री रविंद्र रवि का नाम सामने आने के बाद सियासी घमासान शुरू हो गया था। कथित भ्रष्टाचार के आरोपों वाले पत्र के सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद शांता कुमार ने सार्वजनिक रूप से नाराजगी जाहिर की थी। सियासी जगत में चर्चा गर्म है कि इसके बाद शांता कुमार विपिन परमार से भी कुछ नाराज हो गए थे। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री परमार के करीबी वकील दिलबाग सिंह परमार ने भवारना थाने में सोशल मीडिया में पत्र वायरल करने के आरोपी मनोज मसंद के खिलाफ सोशल मीडिया में मैसेज वायरल करने व धमकी देने की शिकायत दर्ज करवाई। ऐसे में अब यह मामला थमने वाला नहीं दिख रहा है। हिमाचल भाजपा में पहले ही धूमल व जयराम गुटों में तलवारें खिंची हुई हैं। स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार के खिलाफ  जिस तरह से इस मामले को उछाला गया था, वह गंभीर है। भले ही सोमवार तक विपिन सिंह परमार चुप्पी साधे हुए थे और तथ्य हाथ में आने तक फिलहाल कुछ भी कहने से बच रहे थे, लेकिन अभी चुप्पी अधिक समय तक रहने वाली नहीं है। इतना ही नहीं, जयराम खेमे पर भारी पड़ने की कोशिश में धूमल गुट के खिलाफ जयराम खेमे को भी एक बड़ा सियासी हथियार मिल गया है। हिमाचल भाजपा में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और केंद्रीय वित्त एवं कारपोरेट राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर के बीच दूरियां इन्वेस्टर्स मीट से पहले भी देखने को मिल रही थीं, लेकिन फोरेंसिक रिपोर्ट से अब बहुत कुछ सामने आएगा। सियासी जानकारों का कहना है कि इस तथ्य आधारित रिपोर्ट के बाद श्री परमार अवश्य ही अपनी छवि खराब करने का हिसाब मांगेंगे।