वीर सेन ने सतलुज पार करके किया था सुकेत क्षेत्र स्थापित

By: Nov 20th, 2019 12:19 am

वीर सेन ने ज्यूरी (तत्तापानी) के पास सतलुज को पार करके अपने आपको साथियों सहित सतलुज के पश्चिम की ओर सुक्षेत्र (सुकेत) स्थापित किया। वीर सेन जब यहां आया तो सतलुज और ब्यास नदियों के मध्य का क्षेत्र छोटे-छोटे ठाकुरों और  राणाओं में बंटा हुआ था। ये ठाकुर और राणा संभवतः कांगड़ा और कुल्लू के सामंत थे…

गतांक से आगे … 

वीरसेन के संवत 1209 ई. में रोपड़ में ही एक पुत्र का जन्म हुआ था जिसका नाम धीर सेन था। सन् 1220 में मुसलमानों ने रोपड़ पर आक्रमण किया और रूपसेन लड़ते-लड़ते मारा गया उसके तीनों पुत्र वीरसेन, गिरीसेन तथा हमीरसेन पिंजौर की और भागे। वहां पर कुछ समय बिताने के पश्चात 1211ई. में तीनों  भाईयों ने अपने समर्थकों के साथ हिमाचल की निचली घाटियों में प्रवेश किया। वीर सेन ने सतलुज घटी में प्रवेश किया, गिरी सेन ने अश्वनी नदी की घाटी और हमीर सैन ने जम्मू पहाडि़यों में स्थित किश्तवाड़ की और प्रस्थान किया। वीरसेन ने ज्यूरी (तत्तापानी) के पास सतलुज को पार करके अपने आपको साथियों सहित सतलुज के पश्चिम की ओर सुक्षेत्र (सुकेत) स्थापित किया। वीरसेन जब यहां आया तो सतलुज और ब्यास नदियों के मध्य का क्षेत्र छोटे-छोटे ठाकुरों और  राणाओं में बैठा हुआ था। ये ठाकुर और राणा संभवतः कांगड़ा और कुल्लू के सामंत थे। जब केंद्रीय सत्ता निर्बल पड़ जाती थी तो वे स्वतंत्र हो जाते थे। 12वीं शताब्दी के उत्तरार्थ में मुसलमानों के बार-बार आक्रमण के कारण कांगड़ा नरेशों की सैन्य शक्ति कमजोर पड़ गई थी। उधर कुल्लू नरेश भूपाल भी एक कमजोर शासक था। इस स्थिति से लाभ उठाकर छोटे-छोटे छाकुर व राणा सामंत स्वतंत्र हो गए। उधर इन सामंतों में भी आपस में एक-दूसरे के प्रति द्वेष था। ऐसी स्थिति से लाभ उठाकर वीरसेन ने एक के बाद दूसरे को हराकर अपने अधीन कर लिया। उसकी विजय सूची में सतलुज और व्यास नदियों के मध्य  में फैले राणाऔर ठाकुर आते थे। वीरसेन के विरुद्ध खड़ा होने वाला पहला ठाकुर, करोली का था (जिसके राज्य को दरेहट कहा जाता था)जिसे शीघ्र ही हथियार डालने पड़े। बतवाड़ा का राजा ‘श्रीमंगल’ जो करोली के ठाकुर की सहायता के लिए आया था, को भी  हार खानी पड़ी। प्रारंभिक सफलताओ के उपरांत वीरसेन जिन और ठाकुरों को परास्त कर अपने अधिकार में लिया वे ‘नगर का ठाकुर’ (कोट और परगना क्षेत्र का मालिक) चिराग का ठाकुर (बताल और थाना चाविंद का शासक) छिंदीवाला का ठाकुर (उदयपुर का शासक) तथा खुन्नू का ठाकुर। सनयारती के राणा के साथ वीर सेन का भीषण युद्ध हुआ, जिसमें अंततः राणा की हार हुई, लेकिन चीर सेन के शासन काल (1627-58) ई. रही। वीर सेन ने कुन्नूधार के बाहरी क्षेत्र में एक किले का निर्माण  करवाया, जहां अपने परिवार के साथ रहने लगा।  छोटे-छोटे ठाकुरों और राणाओं के विरुद्ध शुरू किएगए अपने दूसरे अभियान में सर्वप्रथम वीर सेन कोटी देहर के ठाकुर को  परास्त कर नंज सोलाल, बेलू और थाना आगरा के क्षेत्र पर अधिकार जमाया। वीर सेन ने दो किले काजुन और मागरा का निर्माण करवाया। –क्रमशः


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