शाहतलाई में माथा टेक कर होती है दियोटसिद्ध की यात्रा पूरी

By: Nov 20th, 2019 12:19 am

हमीरपुर के दियोटसिद्ध में वैसे तो प्रत्येक रविवार को ही मेले लगते हैं, जिस में हजारों लोग शामिल होते हैं। इसमें अधिकांश लोग हरियाणा-पंजाब से आते हैं। इसके साथ-साथ ही बिलासपुर के शाहतलाई स्थान पर भी ये मेले लगे रहते हैं क्योंकि दियोटसिद्ध की यात्रा शाहतलाई में सिद्ध की स्थापना पर मत्था टेकने के बाद ही पूरी मानी जाती है…

गतांक से आगे …

अंतिम कुश्ती जीतने वाले पहलवान को चांदी का गुर्ज भेंट किया जाता है जो हनुमान की गदा कर प्रतीक है। यह मेला राज्य स्तरीय घोषित किया गया है।

दियोटसिद्ध मेला :

हमीरपुर के दियोटसिद्ध में वैसे तो प्रत्येक रविवार को ही मेले लगते हैं। जिन में हजारों लोग शामिल होते हैं। इसमें अधिकांश लोग हरियाणा-पंजाब से आते हैं इसके साथ-साथ ही बिलासपुर के शाहतलाई स्थान पर भी ये  मेले लगे रहते हैं क्योंकि दियोटसिद्ध की यात्रा शाहतलाई में सिद्ध की स्थापना पर मत्था टेकने के बाद ही पूरी मानी जाती है।

सुंदरनगर नलवाड़ी मेला :

इसके बाद सुंदरनगर में नलवाड़ी का आयोजन किया जाता है जो चैत्र प्रविष्टे 8 से आरंभ होती है। इसमें भी पशुओं का क्रय-विक्रय होता है।

अन्य प्रमुख नलवाडि़यां हैं :

 नालागढ़ (सोलन), भंगरोटू (मंडी), जाहु व गसोता (हमीरपुर), आदि। शिमला के पास मशोवरा में, ‘सीपी मेला’ भी अति प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त हिमाचलीय क्षेत्रों में सैकड़ों ही प्रकार के मेले लगते हैं जिनका महत्त्व भी  स्थानीय ही रहता है। परंतु स्थानीय महत्त्व रखने के बावजूद भी यहां के सांस्कृतिक जीवन की झांकी प्रस्तुत करते हैं।

हिमाचल प्रदेश की चित्रकला

हिमाचल प्रदेश की चित्रकला के इतिहास में अपना विशिष्ट महत्त्व रखती है। भारत वर्ष में ही अपितु सारे विश्व में हिमाचल प्रदेश की चित्रकला का अपना अलग ही स्थान है व अपनी विशेषताओं के लिए ख्याति प्राप्त कर चुकी है। हिमाचल प्रदेश की चित्रकला का उदाहरण हमें लघुचित्रों व भित्तिचित्रों के रूप में मिलते हैं। ये लघुचित्र कागजों पर बनाए गए थे और भित्तिचित्र मंदिरों, राजमहलों, बावडि़यों तथा निजी भवनों की दीवारों  और छतों पर उन्हें सुशोभित करने के लिए अंकित किए गए थे। हिमाचल प्रदेश की यह चित्रकला  पहाड़ी चित्रकला, कांगज चित्रकला आदि नामों से जानी जाती है। चित्रकला का जन्म लाखों वर्ष पूर्व उस समय हुआ जब मानव कंदराओं में रहता था। इसका प्रमाण आदि मानव द्वारा निर्मित गुफचित्र है। चित्रकला मानव के अंतर्मनों भावों को अभिव्यक्ति करने की भाषा है। कलाकार अपने युग में जो कुछ देखता है,सुनता है और अनुभव करता है।                       -क्रमशः


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App