सरकार के घर में फंसी खेल नीति
एक साल पहले तैयार हुआ ड्राफ्ट, खिलाडि़यों को मिलनी थी सुविधा
शिमला – प्रदेश की जयराम सरकार ने नई खेल नीति तो तैयार कर दी, लेकिन लागू अभी तक नहीं हो पाई। सरकार के घर में ही न्यू स्पोर्ट्स पॉलिसी फंसी हुई है। हालांकि खेल मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर का दावा था कि अगस्त महीने में खेल नीति को लागू कर देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। प्रदेश सरकार ने हरियाणा राज्य की खेल नीति को भी स्टडी करने के बाद नीति तैयार कर दी। हरेक स्पोर्ट्स एसोसिएशन में खिलाडि़यों को ही पदाधिकारी बनने एवं खिलाडि़यों को बेहतर सुविधा देने के लिए ही प्रदेश सरकार ने खेल नीति बनाई। प्रदेश सरकार द्वारा तैयार की गई नई खेल नीति में राज्य स्तरीय, राष्ट्रीय और ओलंपिक सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाने वाले खिलाडि़यों को बेहतर लाभ मिलेगा। बताया गया कि पॉलिसी तैयार हो चुकी है और मुख्यमुंत्री की मुहर लगनी शेष है। अभी प्रदेश में 2001 की खेल नीति चल रही है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक संशोधित खेल नीति के तहत प्रदेश में जितने भी खेल संघ हैं, उन्हें लोकतांत्रिक तरीके से काम करने का पूरा अधिकार मिलेगा। एसोसिएशन में नियुक्तियों को लेकर भी सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी। संबंधित खेल संघों में खिलाडि़यों या पूर्व के खिलाडि़यों को स्थान मिलेगा। उल्लेखनीय है कि पूर्व की वीरभद्र सिंह सरकार ने हिमाचल प्रदेश क्रिकेट अकादमी के बहाने 19 खेल संघों पर कंट्रोल करने के लिए ही बिल पेश किया था, जिसे वर्तमान सरकार ने वापस लिया। पूर्व सरकार ने सत्ता में आते ही खेल विधेयक को विधानसभा में पारित किया था, लेकिन राज्यपाल से मंजूरी नहीं मिलने के कारण लागू नहीं हो पाया।
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