सस्ता होगा करतारपुर का सफर

सीएम अमरेंदर सिंह के शिरोमणि कमेटी को पीले कार्डधारकों की 20 डालर फीस भरने के आदेश

चंडीगढ़  – करतारपुर गलियारे के द्वारा गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के दर्शनों के लिए जाने वाली संगतों की संख्या कम होने की रिपोर्टों के मद्देनजर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंदर सिंह ने आर्थिक तौर पर समर्थ धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को कम से कम पीले कार्डधारकों की प्रति यात्री 20 डालर की फीस अपने खजाने से भरने के लिए कहा, क्योंकि ये लोग अपनी जेब से खर्चा नहीं उठा सकते। श्रद्धालुओं में पाई जा रही दुविधा की रिपोर्टों के संदर्भ में मुख्यमंत्री ने भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों को करतारपुर गलियारे के द्वारा जाने वाली संगत के लिए पासपोर्ट की शर्त खत्म करने की अपील करते हुए कहा कि पासपोर्ट की बजाय शिनाख्त के लिए आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस आदि दस्तावेजों को सबूत के तौर पर स्वीकृत किया जाए। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक दस्तावेजों की विधि को अपनाया जा सकता है, क्योंकि किसी भी तरह पासपोर्ट पर वीजा की मुहर की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गलियारा पार करके ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब के दर्शनों के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं की कम संख्या का मतलब यह नहीं है कि लोगों में रूचि नहीं है, बल्कि पासपोर्ट और 20 डालर की फीस की दो शर्तें इसका कारण बनी हुई है। उन्होंने कहा कि श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के मौके पर लाखों श्रद्धालु गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के दर्शनों की इच्छा रखते हैं, परंतु इन रुकावटों के कारण उनको वापस जाना पड़ता है। गलियारा खुलने से पहले चाहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्वीट किया था कि गलियारे के द्वारा आने वाले श्रद्धालुओं को पासपोर्ट की जरूरत नहीं होगी, परंतु यह फैसला औपचारिक तौर पर नहीं था। उन्होंने इमरान खान के साथ-साथ भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि गलियारे के द्वारा जाने वालों के लिए पासपोर्ट की शर्त संबंधी किए एमओयू में संशोधन करके इस समस्या को सुलझाया जाए। श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के मौके पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा बड़े खर्च करके विभिन्न प्रोग्राम करवाए जाने का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे सिद्ध होता है कि इस धार्मिक संस्था के पास धन की कोई कमी नहीं है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और उसके राजनैतिक आका शिरोमणि अकाली दल खास कर बादल परिवार भाईचारे के लिए धन के रूप में कुछ योगदान क्यों नहीं डाल सकते।  सिख के रक्षक होने के बड़े-बड़े दावे करने वाले अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल और उनकी पत्नी हरसिमरत कौर बादल शिरोमणि कमेटी जो उनके कंट्रोल अधीन है, को कम से कम यह तो कह सकते हैं कि करतारपुर गलियारे के द्वारा गुरुद्वारा साहिब के दर्शन की इच्छा रखने वाले गरीब श्रद्धालु की सहायता की जाए।