स्कीज़ियोफ्रेनिया के शिकार हैं कई हिमाचली

 आईजीएमसी के डाक्टरों का दावा, भूत-प्रेत दिखने वाले लोगों को है बीमारी, ओपीडी में चौंकाने वाले केस

शिमला  –प्रदेश भर को शर्मसार कर चुकी राजदेई की घटना दोबारा घटित न हो, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग को भी मेंटल हैल्थ कार्यक्रम को मज़बूत करना होगा। प्रदेश में स्कीज़ियोफ्रेनिया का ग्राफ बढ़ रहा है। स्कीज़ियोफ्रेनिया यानी मानसिक रोग की ऐसी स्थिती, जहां व्यक्ति अपने आप को देवी-देवता समझता है या फिर उसे लगता है कि उसे भूत-प्रेत दिखाई देते हैं और वह उसके भीतर आते हैं। आईजीएमसी की मनोविभाग की ओपीडी में आने वाले मरीजों की केस स्टडी ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है, जिसमें हर वर्ष दस से बीस रोगी ऐसे आ रहे हैं, जो आईजीएमसी मेें मनोरोग की दिक्कत लेकर आते हैं। हालांकि केस स्टडी में यह भी सामने आया है कि संबंधित मरीज के कई रिश्तेदार और परिवारजन प्रभावित व्यक्ति में भूत- प्रेत का आईना देखते हैं, लेकिन इस बारे में डाक्टर साफ कहते हैं कि ये मरीज मनोरोग से प्रभावित होते हैं। बताया जा रहा है कि आईजीएमसी में जब इनकी केस स्टडी संबंधित डाक्टरों ने तैयार की, तो इसमें ये तथ्य भी हैरान कर देने वाले हैं। इन मरीजों को अस्पताल से पहले झाड़फूंक के लिए ले जाया जा रहा है। काफी तबीयत बिगड़ने के बाद ही इन्हें अस्पताल लाया गया। यह भी देखा गया है कि अस्पताल में इन मरीजों को लाने में परिवार के इक्का-दुक्का मरीजों का ही सहयोग रहता है, बल्कि  परिवार के अन्य सदस्य संबंधित मरीज को बाबा या फिर औझा के पास ले जाने में ज्यादा विश्चास दिखाते हैं। यह बात मनोविशेषज्ञ भी मानते हैं कि प्रदेश में मेंटल हैल्थ प्रोग्राम को अब और मजबूत करने की आवश्यकता है, जिसमें प्रदेश भर में कार्यशालाएं आयोजित करनी होंगी। जो इस तरह की मानसिकता वाले लोगों को इस मनोस्थिति से उबारने में लाभ दे सकें। यह भी देखा जा रहा है कि मनोरोग होने के कारण प्रभावित बाबाओं के चक्कर काटता रह जाता है और उसकी स्थिति बाद में काफी बिगड़ जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदेश में ग्रामीण ही नहीं, बल्कि शहरों के लोग भी इस मानसिकता से घिरे देखे जा रहे हैं और वह अस्पताल ही नहीं जाते हैं।