हिमाचल की आर्थिक हाजिरी

By: Nov 8th, 2019 12:05 am

निवेश की छांव में पल रहे सपने देश के प्रधानमंत्री से मुखातिब हुए, तो पर्वतीय राज्य की भाग्य लकीरों पर उनके हस्ताक्षर स्पष्ट हैं। यहां दो सरकारों के साझा पुल पर कुछ कर गुजरने का काफिला निकला और धर्मशाला में प्रधानमंत्री ने करीब ढाई घंटे का समय गुजार कर इन्वेस्टर मीट के उद्देश्यों को गंभीर विषय बना दिया। देश की आर्थिक हाजिरी में हिमाचल ने अपना नाम दर्ज करते हुए उन रिवायतों का दामन थाम लिया, जो निजी क्षेत्र के रुतबे में लिखी  जा रही हैं। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन चार पहियों का जिक्र किया, उनके परिप्रेक्ष्य में इन्वेस्टर मीट के पैगाम और आयाम को समझना होगा। समाज, सरकार, उद्योग तथा ज्ञान रूपी पहियों की कल्पना में देश की आर्थिकी अगर परवान चढ़ती है, तो हिमाचल को अपना नजरिया बदलना होगा। जाहिर है जयराम सरकार पुराने पोस्टर बदल कर निजी निवेशक को हिमाचल की आशाभरी तस्वीर सौंप रही है। यह वही तस्वीर है जो आज तक सरकारी खर्च पर एक सुनिश्चित फ्रेम के भीतर रखी गई थी या निजी निवेशक को सीमित रूप में देखा गया। शायद इन्वेस्टर मीट के बाद असीमित संभावनाओं की बागडोर बदल जाए या मोदी के दिखाए मार्ग पर हिमाचल का चयन भी गैर सरकारी तौर-तरीकों  को वरीयता दे दे। जो भी हो धर्मशाला इन्वेस्टर मीट के जरिए राज्य ने अगर अपने मानव संसाधन को आशान्वित किया, तो हिमाचल का शांतिप्रिय माहौल, बेहतर कानून व्यवस्था, प्राकृतिक संसाधनों की क्षमता तथा ईज ऑफ डुईंग का मार्गदर्शन भी किया। कमोबेश देश के प्रमुख उपस्थित घरानों ने यह तसदीक किया कि अगर प्रदेश अपना नजरिया व तौर तरीके बदले, तो उनके बही खाते प्रदेश की खिदमत कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने इस बहाने प्रदेश के विकास खातों का मेलजोल कारपोरेट जगत से कराया है, तो उन संदर्भों को गौर से सुना जो प्रमुख वक्ताओं ने सामने रखे। प्रदेश पर इससे बड़ी चर्चा और क्या होगी कि चुनिंदा राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के विचारों को देश के प्रधानमंत्री ने शालीनता से सुना और बाद में हिमाचली आर्थिकी के खुद खेवनहार बनकर प्रस्तुति दी। प्रदेश के आर्थिक हित में यह सम्मेलन इसलिए भी अहमियत रखता है, क्योंकि यहां संवाद पर्वतीय परिदृश्य की अनुगूंज बन गया। अडानी ग्रुप के वरिष्ठ ओहदेदार या मारुति के सर्वेसर्वा आरसी भार्गव जब हिमाचल के कानों में नई आर्थिकी के विषय उंडेल रहे थे, तो भविष्य की संभावना की घनिष्ठता निजी क्षेत्र के साथ मैत्री कर रही थी। यह नए संयोग की पटकथा है जिसके प्रधानमंत्री का प्रश्रय, प्रेरणा व परिकल्पना के तहत साकार होने की आशा बढ़ जाती है। प्रधानमंत्री द्वारा निवेशक को एक तरह से गारंटी दी गई और इसे तसदीक करता उनका भाषण भी एक तरह से हिमाचल की लहरों को बहते हुए छूता है। मंच से आठ उद्योगपतियों का भाषण दरअसल हिमाचल में निवेश की रूपरेखा को गहरे संबंधों से जोड़ गया। सरकार के पहले प्रयास की इन्वेस्टर मीट में नई आर्थिकी के साथ- साथ निजी क्षेत्र से आशा बढ़ जाती है। पहली बार तरक्की के आसमान की पैमाइश निजी क्षेत्र के सहयोग से हो रही है और इस तरह आने वाले समय में प्रदेश के कदम अपनी मंजिलें बदल सकते हैं। 


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