हिमाचल प्रदेश में आत्महत्या का ग्राफ नीचे

By: Nov 25th, 2019 12:01 am

देवभूमि में सुसाइड रेट राष्ट्रीय औसत से कम, 2016 में 642 ने की खुदकुशी

पालमपुर – सुशिक्षित लोगों की देवभूमि में आत्महत्या करने वालों का आंकड़ा राष्ट्रीय औसत से कम दर्ज किया जा रहा है। राष्ट्रीय आंकड़ों के अनुसार 2014 के मुकाबले 2015 में प्रदेश में सुसाइड का ग्राफ 15.7 फीसदी गिरा था, लेकिन 2016 में यह ग्राफ 18.2 प्रतिशत अधिक रहा। जानकारी के अनुसार साल 2014 में प्रदेश में सुसाइड के कुल 644 मामले सामने आए थे, जबकि 2015 में यह संख्या कम होकर 543 रही, लेकिन 2016 में प्रदेश में सुसाइड के 642 मामले दर्ज किए गए। राष्ट्रीय स्तर पर 2016 के जारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश उन नौ राज्यों की सूची में शामिल है, जहां 2015 के मुकाबले 2016 में आत्महत्याओं के मामलों के ग्राफ  में इजाफा देखा गया। राष्ट्रीय स्तर पर जहां सुसाइड के सालाना 10.3 मामले सामने आए, वहीं प्रदेश में यह आंकड़ा नौ रहा। नागालैंड में सुसाइड के मामलों में 61.9 फीसदी की चिंताजनक बढ़ोतरी दर्ज की गई, वहीं पंजाब, झारखंड, राजस्थान, सिक्किम, चंडीगढ़, दिल्ली हरियाणा और गुजरात में भी आत्महत्या के मामलों का ग्राफ बढ़ा। सुसाइड के मामलों में राष्ट्रीय स्तर पर 2015 की तुलना में 2016 में कमी दर्ज की गई। 2015 में जहां देश भर में आत्महत्या के 133623 मामले सामने आए थे, वहीं 2016 में यह आंकड़ा 131008 रहा। 2015 के मुकाबले 2016 में नागालैंड में 6.19, झारखंड में 54.7, पंजाब में 37.1, हिमाचल में 18.2 और दिल्ली में 16.8 प्रतिशत अधिक मामले सामने आए हैं, जबकि उत्तराखंड में 68 प्रतिशत, दादर व नागर हवेली में 48.1, लक्षद्वीप में 40, पुड्डुचेरी में 21.1 और बिहार में 20.3 प्रतिशत की कमी सुसाइड के मामलों में इस दौरान दर्ज की गई है।

ऐसी रही आत्महत्या की दर

प्रति एक लाख जनसंख्या के अनुपात पर आत्महत्या के मामलों में 2015 में प्रदेश में सुसाइड रेट नौ रहा, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह दर 10.3 दर्ज की गई। आंकड़े बताते हैं कि 2013 में राष्ट्रीय स्तर पर सुसाइड रेट 11 था, जो कि 2014 और 2015 में 10.6 दर्ज किया गया। कम आत्महत्या दर वाले प्रदेशों की सूची में हिमाचल 13वें पायदान पर रहा । इस सूची में 40.5 की दर के साथ सिक्किम पहले, 33.3 की दर के साथ पुड्डुचेरी दूसरे और 26.8 की दर के साथ अंडेमान व निकोबार तीसरे स्थान पर रहे।


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