35 डाक्टरों पर दर्ज होगी एफआईआर

By: Nov 16th, 2019 12:06 am

 शिमला –हिमाचल प्रदेश सरकार 35 और डाक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने जा रही है, जो नियमों को तोड़कर प्रदेश से बाहर दूसरे राज्यों में सेवाएं दे रहे हैं। इससे पहले भी ऐसे डाक्टर कार्रवाई की जद में आ चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि इन डाक्टरों को बख्शा न जाए और बांड तोड़ने के साथ इसकी राशि की रिकवरी भी शुरू हो। बता दें कि इन डाक्टरों को सरकार ने शो कॉज नोटिस दिए थे, जिसके बाद सरकार को इनकी ओर से जवाब आए हैं, लेकिन इन जवाबों पर सरकार संतुष्ट नहीं है। ऐसे में इनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है। यदि ये डाक्टर बांड राशि नहीं देते हैं तो इनके खिलाफ  कानूनी कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी। विभागीय स्तर पर इसको लेकर कार्रवाई शुरू हो चुकी है। हिमाचल में पीजी और एमडी करने के बाद ये चिकित्सक बाहरी राज्यों में सेवाएं दे रहे हैं, जबकि इनको यहां पर सेवाएं देने लिए प्रतिबद्ध किया गया था। बावजूद इसके इन्होंने दूसरे राज्यों में जाकर काम शुरू किया है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक डाक्टर के स्पेशलिस्ट बनने में 10 लाख रुपए से ज्यादा का खर्च आता है। एमबीबीएस के बाद पीजी करने वाले डाक्टरों पर आठ लाख रुपए से ज्यादा खर्च होता है। सरकार डाक्टरों पर लाखों रुपए खर्च करती है, लेकिन जब सेवाएं देने का समय होता है तो कई चिकित्सक हिमाचल में सेवाएं देने की बजाय दूसरे राज्यों में सेवाएं देना पसंद करते हैं, क्योंकि हिमाचल की बजाय इन डाक्टरों को दूसरे राज्यों में ज्यादा पैसा मिलता है। पीजी करने के बाद जब डाक्टर एमडी और एमसीएच करते हैं तो उन्हें शपथपत्र में बांड मनी भरनी होती है। अगर कोई डाक्टर बाहर जाना चाहता है तो उनसे यह पैसा रिकवर किया जाता है। दो डाक्टरों ने बांड मनी के 55 लाख रुपए जमा करवा दिए हैं। एक डाक्टर ने इस राशि को लेकर जानकारी मांगी है। पीजी करने के बाद डाक्टरों को हिमाचल में नौकरी करना अनिवार्य किया गया है। नई पीजी पॉलिसी के तहत सरकार ने दो से पांच वर्ष की अनिवार्य सेवा शर्त रखी है। सीधे पीजी करने वालों को दो वर्ष की अनिवार्य सेवाएं, जेडीओ कोटे के तहत पीजी करने वालों को चार वर्ष और राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों से पीजी करने वालों को प्रदेश में पांच वर्ष अनिवार्य सेवा देने की शर्त है। यदि तय शर्तों के मुताबिक पीजी डाक्टर हिमाचल में सेवाएं नहीं देते तो उनसे 40 लाख रुपए बांड मनी के रूप में रिकवर किए जाएंगे। विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान ने कहा है कि शर्तों को तोड़ने वाले डाक्टरों पर कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी, जिसके निर्देश दे दिए गए हैं।


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