अनुज-अनूप की अंगुलियों में अद्भुत जादू

नाहन –सच ही कहा है कि यदि किसी की उंगलियों में जादू हो तो वह निर्जीव वस्तुओं में भी जान भर सकता है। हाथ की कला सड़क पर पत्थर पड़े पत्थर को, जहां  एक मूर्ति बनाकर  जीती-जागती किसी भी  व्यक्ति या वस्तु की तस्वीर  बना सकता है तो वहीं  जंगल में पड़े  लकड़ी के टुकड़े को भी  कारीगरी से  मुंह बोलती  एक आकर्षक कृति तैयार की जा सकती है । ऐसा ही नमूना  नाहन-पांवटा नेशनल हाई-वे पर दो भाइयों ने प्रस्तुत किया है। सिरमौर के शंभुवाला के ड्रिफ्ट वूड कलाकार भाइयों अनूप कश्यप व अनुज कश्यप ने एनएच के किनारे ऐसे अद्भुत कला  की  प्रदर्शनी लगाई है कि पर्यटक अपने आपको नहीं रोक पा रहे हैं । दोनों भाइयों के हाथों में ऐसा जादू है कि जंगल में पड़ी बेकार लकडि़यों को एकत्रित कर ऐसी आकर्षक कलाकृतियों के अदभुत कला के नमूने पेश किए हैं कि यह कलाकृतियां हाथोंहाथ बिक रही हैं। कहा जाता है कि कला छिपाए नहीं छिपती व उसके लिए कोई न कोई मंच मिल ही जाता है। वनों में पेड़ों की जड़ों, शाखाओं में भी प्रकृति अपना स्वरूप दिखाती है। इन सुखी-जड़ों आदि से कलाकृतियों को बनाना ड्रिफ्टवुड कला कहा  जाता है। इसी कला में सिरमौर जिला के शंभुवाला गांव के दो भाई अनुज कश्यप व अनूप कश्यप भी जुड़े हुए हैं, जो कि पेशे से बढ़ई का कार्य करते हैं व फुरसत में ड्रिफ्टवुड कला से जुड़े हुए हैं। ये दोनों भाई जंगल से सुखी जड़ों व लकड़ी एकत्रित करते हैं और फिर उनसे विभिन्न प्रकार के कला उत्पाद बना रहे हैं। इन कलाकृतियों को पोलिश व आकार  देकर उन्हें सजाया जाता है, लेकिन कलाकृतियों को बेचने के लिए कोई मार्किट इन्हें नहीं मिला तो इन्होंने एनएच-सात चंडीगढ़-देहरादून पर सड़क किनारे प्रदर्शनी लगाई है। आते-जाते पर्यटक इन उत्पादों को देखते हैं । धीरे-धीरे अब खरीददार भी बढ़ने लगे हैं और इन दोनों की आर्थिकी भी अच्छी होने लगी है। ड्रिफ्ट कलाकार का अनुज व अनूप का कहना है कि सरकार उनकी बहुत सहायता कर  रही है व डीआरडीए  के माध्यम से उन्हें काम मिल रहा है । उनके कुछ  कला उत्पाद हिमाचल संग्राहलय त्रिलोकपुर में भी रखे गए हैं। ये दोनों भाई देश के लिए कुछ करना चाहते हैं व कला के माध्यम से देश सेवा में जुटे हुए हैं। कलाकार अनूप ने बताया कि वह बढ़ई का काम करते हैं व जंगल में जड़ों आदि में उन्हें विभिन्न आकार दिखाई  दिए तो उन्होंने निर्णय लिया कि क्यों न इनका निखार कर इसे अपनी आजीविका का साधन बनाया जाए। उन्होंने ड्रिफ्टवुड को अपना पेशा बना लिया। आज उनका कार्य अच्छा चल रहा है व दोनों भाई इसी से जुड़े हैं व स्वरोजगार की ओर बढ़ रहे हैं। सरकार ने भी उनकी बहुत मदद की है और उन्हें उम्मीद है कि जल्द वो देश के लिए कला के माध्यम से और सेवा कर  सकेंगे। अनूप ने बताया कि दोनों भाई अपने घर के पास सड़क के किनारे अपनी कलाकृतियों को प्रदर्शित करते हैं व उनकी अच्छी आमदनी भी हो रही है। चंडीगढ़ से आए सैलानी सुखविंदर सिंह ने बताया कि इनकी कलाकृतियां बहुत प्राकृतिक हैं और वो कई बार आते-जाते इनसे ये उत्पाद खरीदते हैं। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्टार्टअप  का बहुत अच्छा उदाहरण है। सैलानी ने बताया कि इन कलाकारों में बहुत प्रतिभा  है व इनके उत्पाद बहुत कलात्मक हैं। सभी लोगों को ऐसे स्वरोजगार वालों को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि अन्य लोग भी इनसे प्रेरणा भी लें व यह कला भी जीवंत रहै। कुल मिलाकर एक छोटे से गांव के इन कलाकारों ने सिद्ध किया है कि कला को स्वरोजगार को जोड़कर भी अपनी आर्थिकी सुदृढ़ की जा सकती है।