आप सपने को नहीं,सपना आपको चुनता है

By: Dec 11th, 2019 12:21 am

मेरा भविष्‍य मेरे साथ-16

करियर काउंसिलिंग कर्नल (रि.) मनीष धीमान

ट्रेनिंग समापन पर अपनी योग्यता, मैरिट और इच्छा के अनुसार हर कैडेट भारतीय सेना के अलग-अलग दस्तों में अधिकारी बनकर जाता है। आईएमए में हासिल किया गया प्रशिक्षण अति आवश्यक व अनिवार्य होता है, पर अधिकारी बनने पर फाइटिंग आर्म यानी लड़ाकू दस्ते, सपोर्टिंग आर्म यानी सहायक दस्ते एवं टेक्निकल आर्म यानी तकनीकी दस्ते  जैसे इन्फेंटरी, आर्टिलरी आर्म्ड जैसे लड़ाकू दस्ते, ऑर्डिनेंस एएससी जैसे सहायक दस्ते तथा इंजीनियर,सिग्नल जैसे टेक्निकल दोस्तों में अधिकारियों को उनके काम के आधार पर आगे का प्रशिक्षण दिया जाता है। हर यूनिट में कल्चर तथा रिवाज के हिसाब से पहले महीने नए अधिकारी से एक सिपाही से लेकर सूबेदार मेजर तक के सारे काम करवाए जाते हैं। उसी के बाद उसको अधिकारी के रूप में कार्यभार सौंपा जाता है । मुझे भी एक महीने इस सारी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा, शुरू में जब  सिपाही के काम के बारे में सिखाया जा रहा था, तो एक बड़ी ही रोचक घटना मेरे साथ हुई, जिसने मुझे बहुत कुछ सिखाया। मैं सिपाही के तौर पर रात को 10 से 12 बजे की  नाइट ड्यूटी खत्म कर जैसे ही अगले संतरी को जगाने के लिए गया, तो मुझे बताया गया कि वह बीमार हो गया है। मुझे यूनिट एरिया का ज्यादा पता न होने के कारण दूसरा सैनिक उसको लेकर डाक्टर के पास चला गया तथा पीछे से गार्ड चैक करने के लिए एक सूबेदार आ गया। उसने सारी रात मुझे हर पोस्ट पर कैसे तैनाती की जाती है, उसकी जानकारी दी। जिसमें उसने मुझे सैनिक को ड्यूटी के दौरान आने वाली मुश्किल और कुछ जरूरी बातों से अवगत करवाया। करीब 20 दिन तक युनिट रूटीन सीखने के बाद मुझे बॉर्डर पर भेज दिया गया, जहां पड़ोसी देश के सैनिकों की दिनचर्या के बारे में जानकारी हासिल हुई। बॉर्डर पर सब अधिकारी, सूबेदार एवं सिपाही अपने-अपने बंकर में रहते हैं तथा पड़ोसी सीमा पर तैनात सैनिकों पर नजर रखते हैं। ऐसे समय में अधिकारी को सेना से संबंधित एवं अन्य किताबें पढ़ने का बहुत समय मिलता है, इसी दौरान रॉबर्ट एच स्कलर नामक लेखक की किताब में मैंने पढ़ा कि  इस दुनिया में जो भी कोई सपना देखता है वह सपना अचानक या एक दिन में उस व्यक्ति का नहीं होता, बल्कि उस सपने का जन्म प्रकृति या भगवान द्वारा एक पूरी प्रक्रिया के बाद एक व्यक्ति विशेष में होता है। सपने का संबंध व्यक्ति के परिवार के किसी न किसी सदस्य से जुड़ा होता है। इस बात को पढ़ने से मुझे भी अचानक मेरी मां की वह बात याद आई, जब वह मुझे कंधे पर अधिकारी के स्टार लगा रही थी, तो उन्होंने बताया था कि बेटा हमारे हिमाचल में ज्यादातर लोगों के सेना में सिपाही होने के कारण, जब भी कोई अधिकारी बनता है, तो उसके कमीशन लेते ही पूरे गांव में एक जश्न मनाया जाता है। उसे बैंड बाजे के साथ पूरे गांव में लाया जाता है और धाम के रूप में सारे गांव, पड़ोसियों तथा रिश्तेदारों को खानपान करवाया जाता है। यह पूरे गांव के लिए ही एक बड़े गौरव की बात होती है। मां ने बताया कि जब तू छोटा था तो ऐसे ही एक सेना में अधिकारी हमारे गांव से बने थे और उसके स्वागत के दौरान जब सब लोग उसको हार पहना रहे थे, तो मैंने भगवान से मन्नत मांगी थी कि अगर मेरा बेटा भी बड़ा होकर सेना में अधिकारी बनेगा तो मैं भी इसी तरह से सारे गांव को धाम तथा बेटे का हार पहनाकर स्वागत करूंगी। उन्होंने बताया कि कालेज टाइम में जब तूने सेना में जाने की बात कही तो मुझे कहीं न कहीं लगा कि तुम मेरा सपना पूरा करोगे, पर अपनी आर्थिक स्थिति तथा क्षमता को देखते हुए मैंने अपने सपने कोकिसी के साथ साझा नहीं किया, पर आज जब तुम अधिकारी बने हो तो मुझे लगता है कि भगवान ने मेरी सुन ली। तब मैंने बहुत सारे लोगों के सपनों और सफलता को जोड़ा, तो पाया कि हर मां- बाप अपने बच्चों के लिए मन्नत मांगते हैं और सपना देखते हैं। प्रकृति या भगवान उसी सपने के लिए उचित व्यक्ति को चुनता है और उसको हासिल करने की ताकत देता है। हर मन्नत के साथ एक सपने का जन्म होता है और वह सपना उसको पूरा करने वाले काबिल इनसान को खुद चुनता है।

 

 


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