कम बर्फबारी चाय उत्पादन को हानिकारक

By: Dec 12th, 2019 12:03 am

सीएसआईआर-आईएचबीटी संस्थान में विशेषज्ञों ने किया मंथन, विस्तार पर जोर

पालमपुर – डिपार्टमेंट ऑफ एन्वायरनमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी के जानकारों ने सीएसआईआर-आईएचबीटी संस्थान में राष्ट्रीय चाय बोर्ड व प्रदेश चाय बोर्ड के साथ मिलकर चाय उत्पादकों की मौजूदगी में मंथन किया। जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय अनुकूलन कोष (एनएएफसीसी) के विकास के प्रस्तावों के लिए चाय क्षेत्र पर प्रभाव पर भी चर्चा की गई। पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक डीसी राणा ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए चाय बागान में अपनाए जाने वाले औजारों और तकनीकों के आधुनिकीकरण के महत्त्व और आवश्यकता पर प्रतिभागियों को संबोधित किया। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों की तुलना में प्रतिभागियों को चाय बागान के मौजूदा आंकड़ों के बारे में बताया और चाय क्षेत्र विस्तार पर बल दिया। जीआईजैड के वरिष्ठ नीति सलाहकार कीर्तिमान अवस्थी ने चाय क्षेत्र पर एनएएफसीसी प्रस्ताव विकसित करने की आवश्यकता पर बात की। परामर्शी शांतनु गोतमारे ने आगे की फंडिंग के लिए प्रस्ताव विकसित करने के लिए शामिल किए जाने वाली गतिविधियों की प्राथमिकता पर ध्यान केंद्रित किया। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष बीबीएल बुटेल ने भी चाय उत्पादन में अपने अनुभवों को साझा किया। राष्ट्रीय चाय बोर्ड की सदस्य वीना श्रीवास्तव ने चाय बागान से संबंधित गतिविधियों के लिए सबसिडी से संबंधित मुद्दों को उठाया। वरिष्ठ वैज्ञानिक आरके सूद ने चाय क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और आगे की योजना के महत्त्व पर चर्चा की। जलवायु परिवर्तन पर हिमाचल प्रदेश नालेज सेल के राज्य समन्वयक डा. सुरेश अत्री ने जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रभावों को बताया और ग्लेशियरों के पिघलने पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अगर आने वाले समय में बर्फबारी कम हो जाती है, तो मृदा उर्वरता जो कि चाय के बढ़ने के लिए आवश्यक है, बुरी तरह प्रभावित होगी।


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