करोड़ों की योजनाएं, इस्तेमाल आधा-अधूरा

By: Dec 3rd, 2019 12:01 am

आईपीएच के सर्वे में खुलासा, सिंचाई योजनाओं का पूरा लाभ नहीं उठा रहे किसान

शिमला – प्रदेश में सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग की सिंचाई योजनाओं का किसानों को पूरा लाभ नहीं मिल रहा है। इनकी उपयोगिता केवल 50 फीसदी ही आंकी गई है। लिहाजा इन योजनाओं पर करोड़ों रुपए का खर्च करके पूरा फायदा नहीं मिल रहा है। वहीं, किसानों की आय को दोगुणा करने और सिंचाई योजनाओं की पूर्ण उपयोगिता को सुनिश्चित बनाने के लिए सरकार ने कुछ समितियों का गठन किया है। आईपीएच विभाग ने इस संदर्भ में सर्वे किया है, जिसमें सामने आया है कि सिंचाई योजनाओं में सौ फीसदी उपयोग सुनिश्चित नहीं हो रहा है। इनकी 50 फीसदी ही उपयोगिता हो पा रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि इसमें अधिक से अधिक किसानों को लाने व क्रॉपिंग पैटर्न चेंज करने का काम नहीं हो सका है। विभाग का तर्क है कि किसानों द्वारा इन योजनाओं का पूर्ण दोहन करने व आजीविका संबंधी अधिक  से अधिक लाभ प्रदान करने के लिए यह जरूरी है कि अन्य विभाग कृषि, बागबानी, पशुपालन, मत्स्य व ग्रामीण विकास विभागों का सहयोग भी लिया जाए। किसानों को खेती के नए तरीकों पर प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि उनकी पैदावार बढ़े और आय में भी बढ़ोतरी हो। इसके लिए कमेटियों का गठन किया गया है, जो इस रणनीति को सुनिश्चित बनाएंगी।

ये होंगी राज्य समितियां

सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर इस कमेटी के अध्यक्ष होंगे, जबकि सदस्यों में सचिव कृषि, बागबानी, पशुपालन, मत्स्य, ग्रामीण विकास, पंचायती राज व सलाहकार योजना को शामिल किया गया है। सचिव आईपीएच इसके सदस्य सचिव होंगे। वहीं, जिला स्तरीय कमेटी में अध्यक्ष संबंधित जिलों के उपायुक्त रहेंगे। उनके साथ सदस्यों के रूप में संबंधित जिला के अधीक्षण अभियंता आईपीएच, उपनिदेशक कृषि,  बागबानी, पशुपालन, मत्स्य, ग्रामीण विकास, जिला योजना अधिकारी, जिला राजस्व अधिकारी सदस्य होंगे, जबकि अधिशाषी अभियंता डिजाइन सर्किल संबंधित जिला के सदस्य सचिव होंगे।

हर तीन महीने में बैठक

इन समितियों की हर तीन महीने में बैठकें की जाएंगी। जिला स्तरीय कमेटी अपनी हर बैठक की कार्रवाई राज्य स्तरीय कमेटी को भेजेगी। इसके अलावा जिला स्तर पर कार्य का अनुश्रवण राज्य स्तरीय कमेटी द्वारा त्रैमासिक आधार पर किया जाएगा। वहीं, जिला स्तरीय कमेटी उपयुक्त फसल पैटर्न का सुझाव देगी। उम्मीद है कि इससे सिंचाई योजनाओं की उपयोगिता बढ़ेगी।


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