केसीसीबी का रिकार्ड सील
बिना दस्तावेजों के लोन देने के मामले में विजिलेंस की कार्रवाई
धर्मशाला-कांगड़ा केंद्रीय सहकारी सिमित बैंक केसीसीबी का लोन से संबंधित रिकॉर्ड भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने कब्जे में ले लिया है। जानकारी के अनुसार रिकॉर्ड वर्ष 2012 से 2017 के बीच निदेशक मंडल बैठकों और लोन कमेटी की प्रोसीडिंग्स का है। इसी अवधि में ऊना की स्टील और पालमपुर की एक रिजार्ट कंपनी को करोड़ों का लोन दिया गया था, जो बाद में एनपीए हो गया था। भाजपा की चार्जशीट के आरोपों पर भ्रष्टाचार निरोधक एवं सतर्कता विभाग ने इस बारे में दो अलग-अलग एफआईआर ऊना और धर्मशाला थानों में दर्ज की हैं। इसकी जांच के लिए केसीसी बैंक से एजेंसी ने रिकॉर्ड लिया था। अब बैंक को कहा गया है कि यह रिकॉर्ड सील किया जा रहा है, इसलिए जरूरी दस्तावेज बैंक फोटो कॉपी करवा लें। नई बात यह भी है कि इस जांच में अब तक यह लोन अप्रूव करने वाले दो बैंक अफसरों पर गाज गिरने वाली है। इनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है। अब तक की विजिलेंस जांच में सामने आया है कि ये बैड लोन थे, और इन्हें लेने के लिए न केवल राजनीतिक दबाव बनाया गया, बल्कि जाली दस्तावेज भी दिए गए। गौरतलब है कि केसीसी बैंक कभी भर्तियों और तो कभी एनपीए के मामले विवादों में रहा है। पूर्व कांग्रेस सरकार के समय की इन अनियमितताओं पर भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए चार्जशीट में आरोप लगाए थे। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद इन पर जांच बिठाई गई है।
दो एफआईआर पर हो रही जांच
एसपी विजिलेंस एस अरुल कुमार ने बताया कि इस मामले में दो एफआईआर के आधार पर कार्रवाई चल रही है। सारा रिकॉर्ड ले लिया है। अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि यह लोन लेने के लिए गलत रास्ते अपनाए गए और फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया।
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