गरीब लक्कड़हारा और शेर

By: Dec 11th, 2019 12:20 am

कहानी

तारागढ़ राज्य बहुत ही खुशहाल और धन-धान्य से परिपूर्ण था। राज्य का खजाना अनमोल हीरे-जवाहरातों से भरा रहता था। एक बार की बात है खजाने से ढेर सारा धन चोरी हो गया। कई दिन बीत गए न सिपाही और न ही गुप्तचर धन तथा चोरों का पता लगा पाए। राजा की इस बात से बड़ी निराशा हुई। इसी राज्य में एक लकड़हारा रहता था बिशनु। बिशनु बहुत ही गरीब, सीधा-सादा व ईमानदार था। रोज की तरह आज भी बिशनु के घर खाने के लिए रोटी का एक टुकड़ा तक न बचा था। पत्नी ने बिशनु को जंगल से लकडि़यां लाने के लिए कहा ताकि उन्हें बेचकर वह रोटी खा सकें। बिशनु ने कुल्हाड़ी उठाई और जंगल की ओर चल पड़ा। जाते-जाते बिशनु भगवान से एक ही प्रार्थना किए जा रहा था- हे भगवान, हमारे परिवार को इतना न तड़पा। आखिर कब तक मैं इतनी दूर से लकडि़यां ढो-ढोकर अपने परिवार का पेट पालता रहूंगा।  इसी परेशानी और उधेड़बुन में बिशनु जंगल की नदी के पास पहुंचा चुका था। बिशनु ने पेट भर कर पानी पिया और जंगल को पार कर सुखी लकडि़यों की तलाश में जुट गया। उसे एक पेड़ दिखाई दिया जहां बहुत सारी सूखी लकडि़यां थी। पेड़ के एक तरफ घनी झाड़ी और एक अन्य छोटा पेड़ था। बिशनु झाड़ी वाली तरफ से छोटे पेड़ के सहारे आसानी से सूखी लकडि़यों वाले पेड़ पर चढ़ गया। बिशनु खुश था कि उसे आज एक ही जगह पर उसके गुजारे लायक लकडि़यां मिल गई थीं।  बिशनु की नजर झाड़ी के दूसरी तरफ पेड़ के नीचे पड़ी तो पेड़ के नीचे शेर सोया था। बिशनु जान गया था। कि अब शेर से बचना उसके लिए नामुमकिन है। वह एक बार फिर से भगवान को याद करने लगा। वह डर से इतना कांप रहा था कि जिस सूखी लकड़ी के ऊपर वह बैठा था वह टूट गई और बिशनु सीधा शेर की पिछली टांगों के ऊपर धड़ाम से गिर पड़ा। वह डर के मारे बेहोश हो गया था। थोड़ी देर के बाद जब बिशनु को होश आया तो उसने देखा शेर उसके पास खड़ा है। स्थिति देखकर बिशनु एक बार फिर उसी अवस्था में लेट गया ताकि शेर उसे मरा समझ कर छोड़ दे। बिशनु की चालाकी देखकर शेर चिल्लाया, लकड़हारे आंखें खोलो। मुझे पता है तुम नाटक कर रहे हो। मुझसे डरो मत। मैं तुम्हें नहीं खाऊंगा। बिशनु का शेर की कोई भी बात समझ में नहीं आ रही थी। वह तो डर के मारे अभी भी थर-थर कांपे जा रहा था। शेर ने फिर कहा, तुम इतना कांप क्यों रहे हो? मैंने तुमसे कहा है कि तुम्हें कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा। तुम्हें मुझसे डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। यदि मैं तुम्हारे किसी काम आ सकूं तो मुझे बहुत खुशी होगी। शेर की बातें सुनकर बिशनु को विश्वास हो गया था कि शेर उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा। अतः बिशनु ने थोड़ी हिम्मत करके शेर से कहा, शेर भाई, यदि तुम मेरे लिए कुछ करना ही चाहते हो तो बस इतना कर दो कि मुझे बख्श दो और मुझे घर जाने दो। मैं एक गरीब लकड़हारा हूं और यदि लकडि़यां बेचकर मैं घर रोटी न ले गया तो मेरे बच्चे भूखे मर जाएंगे। शेर बिशनु की बात पर हंस पड़ा और कहने लगा, इसका मतलब यह हुआ कि तुम्हें अभी भी मेरे ऊपर विश्वास नहीं है। बख्शने के अलावा तुम कोई और काम बताओ ताकि मैं तुम्हारे उपकार का बदला चुका सकूं। ‘उपकार ! कैसा उपकार?’ बिशनु ने आश्चर्य भरे शब्दों में कहा। दरआसल, मेरी जांघ का अंदर का हिस्सा जख्मी हो गया था और कई दिनों से इसमें पीक भी पड़ चुका था। यह जख्म मेरी पहुंच के बाहर था। अब तो मुझसे चला भी नहीं जाता था। तुम्हारे मेरे ऊपर गिरते ही मैं ठीक हो गया। और मुझे दर्द से काफी राहत मिली गई। यह सब तुम्हारे कारण ही संभव हो पाया। बिशनु को सारी बात समझ आ चुकी थी। उसने देखा जख्म से अभी भी खून बह रहा है। उसने जंगल से ही कुछ जड़ी-बुटियां जो इकट्ठी की और पीस कर सिर पर बांधे छोटे से साफे का एक टुकड़ा फाड़ कर उन जड़ी बूटियों को कपड़े में लपेट कर शेर के जख्म में बांध दिया। शेर के ऊपर बिशनु का एक और कर्ज चढ़ चुका था। शेर ने बिशनु को कहा मेरे साथ चलो में तुम्हें ऐसी चीज दुंगा कि तुम्हारी सारी उम्र भर की दुख तकलीफें दूर हो जाएगी। बिशनु को अब शेर पर पूरा विश्वास हो चुका था। और शेर के साथ चल दिया। गुफा के बाहर बिशनु रूक गया। शेर ने विश्वास दिलाते हुए फिर कहा डरो मत।बिशनु शेर के साथ गुफा के अंदर पहुंच गया था। अंदर पहुंचते ही उसकी आंखे चौंधिय गई थीं। गुफा हीरे-जवाहरातों , सोने-चांदी व अन्य बेशकीमती आभूषणों की थैलियों से भरी पड़ी थी। बिशनु जैसे कल्पना लोक में पहुंच गया था उसने अपनी जिंदगी में इतना धन कभी नहीं देखा। शेर बोला यह सब तुम्हारा है तुम इसे ले जा सकते हो पूरी जिंदगी आराम से काट सकते हो। यह यहां आया कहां से शेर से यह प्रश्न बिशनु के लालची न होने का प्रमाण था। शेर ने कहा, कुछ दिन पहले मैं शिकार से लौटा तो गुफा के अंदर यह धन देखा। फिर कुछ दिन बाद मैंने यहां लोगों को बात करते हुए सुना कि इस राजकीय धन को हम राजा की छानबीन के ठंडा होने के बाद ले जाएंगे। काफी दिन बाद वे फिर आए, लेकिन मुझे गुफा में पाकर नहीं ले जा पाए परंतु मुझे घायल जरूरी किया। बिशनु : अच्छा तो यह बात है! बिशनु को धन का रहस्य समझ में आ गया था। वह चाहता तो धन यहां से ले जा सकता था, लेकिन एक ईमानदार व्यक्ति था। अतः उसने निर्णय लिया कि इस बात की सूचना वह राजा को देगा। बिशनु ने राजा के आने तक शेर को धन की हिफाजत करने के लिए कहा। खुद जाकर सारी बात राजा को बताई दूसरे दिन राजा के पास अपने सैनिकों के साथ छुप कर चोरों का इंतजार करने लगा था। जैसे ही चोर गुफा के अंदर घुसे, सिपाहियों ने उन्हें दबोच लिया। कई दिनों से लुका-छुपी का खेल खेलने वाले चोर आज बिशनु की वजह से राजा की गिरफ्त में थे। राजकीय का खोया हुआ धन पाकर राजा बहुत खुश था। राजा ने बिशनु की ईमानदारी और सच्ची देशभक्ति से प्रसन्न होकर उसे ढेर सारा धन और राजमहल में नौकरी दे दी। बिशनु के परिवार के कष्टों से भरे दिन लद गए थे। बिशनु ने इसके लिए शेर का धन्यवाद किया और इसके बाद खुशी-खुशी अपनी जिंदगी गुजारी।

पवन चौहान, सुंदरनगर


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