जस्टिस चंद्रचूड़ बोले, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के आदर्श और पालन में फर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि किशोर न्याय कानून के आदर्शों और अनुपालन में अंतर है और किशोर अपराध को रोकने के लिए वंचित और गरीब लोगों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, क्योंकि यह दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियां ही नाबालिग को उत्पीड़न और हिंसा में धकेल देती है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह बात यहां आयोजित राष्ट्रीय किशोर न्याय परामर्श कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। यह अनिवार्य रूप से स्वीकार्य किया जाना चाहिए कि कानून के उल्लंघन में फंसे बच्चे न केवल अपराधी होते हैं, बल्कि कई मामलों में उन पर ध्यान देने और उनकी रक्षा करने की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि हमारे पास अद्भुत कानून है, लेकिन आदर्श और कानून को लागू करने में अंतर है। बच्चों को कई बार विरासत में अपराध मिलता है। वे दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों में पैदा हुए होते हैं जिन्हें उत्पीड़न और हिंसा में धकेल दिया जाता है।
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