तीन बार की विफलता भी आईएएस बनने से रोक नहीं पाई

By: Dec 4th, 2019 12:22 am

प्रोफाइल

एसडीएम किरण भड़ाना

जन्मतिथि : 27 नवंबर, 1990

शिक्षा : आरंभिक पढ़ाई दिल्ली के फरीदाबाद,  इसके बाद जयपुर के एमजीडी बोर्डिंग स्कूल से बारहवीं, दिल्ली के श्रीराम कालेज से स्नातक, राजनीतिक शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली,  वर्तमान समय में फिलॉसाफी ऑन इंटरनेशनल रिलेशन की मास्टर डिग्री जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से ही कर रही हैंं।

आईएएस बैच   :      2016

पिता           :       अत्तर सिंह

माता           :       कमलेश

जन्म स्थान            :  गांव बयाना, जिला भरतपुर , राजस्थान

अब तक किन-किन पदों पर काम

पहली नियुक्ति एसडीएम नादौन

युवाओं को बड़ा तोहफा

एसडीएम नादौन किरण भड़ाना डिग्री  कालेज  नादौन में ‘प्रोत्साहन’ नामक एक कार्यक्रम चला रही हैं, जिसमें वह बच्चों को आईएएस प्रतियोगिता के लिए उनकी कक्षा में जाकर स्वयं प्रशिक्षण दे रही हैं। ऐसे ही कार्यक्रम वह शीघ्र ही छोटे बच्चों के लिए भी आरंभ करने जा रही हैं…

नादौन शहर को शिखर पर पहुंचाने व स्वच्छ प्रशासन देने के लिए ताबड़तोड़ फैसले ले रही एसडीएम नादौन किरण भड़ाना को कौन नहीं जानता। इस आईएएस अधिकारी की कार्यशैली का स्थानीय कर्मचारियों सहित हर आम नागरिक कायल है। वह नादौन शहर को पर्यटन के मानचित्र पर उभारने के साथ शहर को स्वच्छ व सुंदर बनाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही हैं। क्षेत्र के बच्चों को आईएएस जैसी प्रतियोगिताओं के काबिल बनाने, स्वच्छ प्रशासन देने तथा हर नागरिक तक सरकारी योजनाएं पहुंचाने के लिए रोजाना देर सायं तक वह कार्यालय में व्यस्त रहती हैं। उनका कहना है कि यह ऐसा प्लेटफार्म है जहां अधिकारी के तौर पर आम लोगों की सेवा करने का अवसर मिलता है।  एसडीएम किरण भड़ाना ने नादौन की ब्यास नदी में  रिवर राफ्ंिटग आरंभ करवा कर यहां के बेरोजगार युवाओं को बड़ा तोहफा दिया है। एक अधिकारी के तौर पर किरण ने स्वच्छ प्रशासन देने के लिए कुछ अधिकारियों तथा कर्मचारियों के विरुद्ध जांच तक आरंभ कर दी है। उनका जन्म राजस्थान के भरतपुर जिला के बयाना गांव में 27 नवंबर, 1990 को एक व्यापारिक घराने में हुआ। उनके पिता अत्तर सिंह व माता कमलेश की पांच संतानों में से किरण सबसे छोटी हैं। उनके सबसे बड़े भाई अर्जुन व पिता व्यापार संभालते हैं, इसके अलावा उनकी तीन बहनें हैं। किरण की पांचवीं तक की आरंभिक पढ़ाई दिल्ली के फरीदाबाद में हुई। इसके बाद उन्होंने जयपुर के प्रसिद्ध एमजीडी बोर्डिंग स्कूल बारहवीं तक की पढ़ाई पूरी की। वहां उन्हें बेस्ट स्टूडेंट का इनाम मिला। इसके बाद उन्होंने देश में प्रसिद्ध दिल्ली के श्रीराम कालेज में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की। जबकि राजनीतिक शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली से की। वर्तमान में वह फिलॉसाफी ऑन इंटरनेशनल रिलेशन की मास्टर डिग्री जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से ही कर रही हैं। विश्वविद्यालय में टॉप करने के कारण ही उन्हें जूनियर रिसर्च फेलोशिप मिल रही है। पढ़ाई के अलावा वह जूडो व बास्केटबाल की  उम्दा खिलाड़ी भी हैं। किरण ने बताया कि आईएएस बनने के लिए उन्हें पिता ने ही प्रेरित किया। अपनी सफलता का श्रेय वह पिता को ही देती हैं।

मुलाकात : असफलता से भी बढ़ता है आत्मविश्वास…

प्रशासनिक अधिकारी बनने का क्या मतलब होता है?

यह ऐसा प्लेटफार्म है, जहां अधिकारी के तौर पर आप आम लोगों की सेवा बेहतर ढंग से कर सकते हैं। क्योंकि आप के पास कई अधिकार व संसाधन होते हैं।

आप किस बैच में सफल हुईं और कितनी बार  प्रतियोगिता में भाग लिया?

मैं 2016 में चौथे प्रयास में सफल हुई। इससे पूर्व 2012, 2014 और 2015 में भी प्रयास किया था।

आप अभी तक कहां- कहां सेवाएं दे चुकी हैं?

सबसे पहले मुझे मिनिस्ट्री ऑफ फर्टिलाइजर में बतौर अतिरिक्त सचिव लगाया गया। उसके बाद कांगड़ा जिला में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया, परंतु अधिकारी के तौर पर प्रथम नियुक्ति बतौर एसडीएम नादौन में हुई।

आपने स्कूली शिक्षा, कालेज तथा विश्वविद्यालय की पढ़ाई कहां से पूरी की?

कक्षा प्रथम से पांचवीं तक की आरंभिक पढ़ाई दिल्ली के फरीदाबाद में हुई। इसके बाद जयपुर के  एमजीडी बोर्डिंग स्कूल के होस्टल में रह कर बारहवीं तक की पढ़ाई पूरी की, जहां बेस्ट स्टूडेंट का इनाम मिला। इसके बाद दिल्ली के श्रीराम कालेज में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की, जबकि राजनीतिक शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली से किया। वर्तमान में फिलॉसाफी ऑन इंटरनेशनल रिलेशन की मास्टर डिग्री जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से कर रही हूं। विश्वविद्यालय में टॉप करने के कारण ही जूनियर रिसर्च फेलोशिप मिल रही है। 

खुद पर कितना विश्वास है और इसकी ताकत कहां से आती है। पढ़ाई की उपलब्धियां क्या रहीं ?

मुझे कभी नहीं लगा कि मैं आईएएस नहीं बन पाऊंगी। बचपन से ही अपने ऊपर काफी विश्वास रहा। कभी हार नहीं मानी। जितनी बार प्रतियोगिता में असफल हुई, उतनी ही बार आत्मविश्वास और बढ़ता गया। यह प्रेरणा मुझे पिता से मिली।

यह कब और कैसे सोचा कि आईएएस अधिकारी ही बनना है?

सबसे पहले पिता ने प्रेरित किया। स्कूल के समय होस्टल में कुछ लोगों व अध्यापकों ने भी प्रोत्साहित किया। यदि आप अच्छा कर रहे हैं परंतु कोई आप में बुराई ढूंढता है, केवल तब वेदना होती है।

आपने सिविल परीक्षा के लिए क्या विषय चुने और इसके पीछे क्या कारण रहा?

पोलिटिकल साइंस मुख्य विषय रहा। क्योंकि हमारे दैनिक जीवन में यह विषय बहुत व्यापक है। साइकोलॉजी विषय भी पढ़ा है।

सामान्यतः यहां तक पहुंचने के लिए आपकी दिनचर्या क्या रही?

सुबह उठ कर पढ़ाई के साथ कालेज की पढ़ाई करना। निजी जीवन का त्याग किया। घर के त्योहारों व अधिकतर समारोहों में भाग नहीं ले सकी। मोबाइल का बहुत ही कम प्रयोग किया।

परीक्षा की तैयारी के लिए किताबों के अलावा किस सामग्री का सहारा लिया?

किताबों के अलावा देश के प्रमुख अखबारों का नियमित अध्ययन, इकॉनोमिक सर्वे का अध्ययन, देश के विभिन्न सरकारी सर्वे का अध्ययन व अन्य सामग्री की भी मदद ली।

आजकल कोचिंग क्लासेज का चलन बढ़ रहा है। क्या सफलता पाने के लिए कोचिंग क्लास जरूरी है?

 हम खुद भी सफलता हासिल कर सकते हंै।

यदि किसी को लगता है कि उसे मार्गदर्शन की आवश्यकता है, तो कोचिंग लेने में कोई हर्ज नहीं है। परंतु इससे पूर्व आपकी अपनी अधिकतम तैयारी पूर्ण होनी चाहिए।

आपकी कार्यशैली आम अधिकारी की  तरह ही है या कि कुछ हट के है?

मेेरे लिए देश का संविधान सर्वोपरि है। इससे बड़ा मेरे लिए कुछ नहीं है।

जो युवा आईएएस अधिकारी बनने का सपना देख रहे हैं, उनके लिए आपका क्या सुझाव है?

कड़ी मेहनत, लक्ष्य, आत्मविश्वास, दृढ़ निश्चय तथा अपनी इज्जत करना सीखें यानी खुद को भी समय-समय पर परखें।   

    -एन भारती, नादौन


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