दिव्या ने मैराथन में पाया नाम

जालंधर – कई धावक-धाविकाएं केवल एक बार ही लंबी मैराथन दौड़ने का सपना देखते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो इसे अपना ही लेते हैं और किसी के भी द्वारा इन्हें चुनौती देना पर्याप्त नहीं होता है। ऐसी ही अनोखी जाबांज मैराथन धाविका हैं हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला की पुत्री दिव्या वशिष्ठ। हाल ही में ये 161 किलोमीटर (100 मील) वाली अति दुर्गम ‘गढ़वाल नडुरंस रेस’ में सफलतापूर्वक भाग लेकर एक मात्र महिला विजेता बनीं हैं। इस मैराथन में पांच प्रतिभागियों के बीच  केवल अकेली महिला प्रतिभागी थीं दिव्या, जिसने 31 घंटे और 08 मिनट के अंतराल में नौ डिग्री तक के तापमान में दो पुरुष धावकों के बाद द्वितीय रनर अप के रूप में  विजय प्राप्त कर देवभूमि को गौरवान्वित किया है।  ऐसी अल्ट्रा मैराथन दौड़ बहुत अधिक समय से चली आ रही हैं, जिनमें  प्रतिभागियों का जूनून देखने-सुनने लायक होता है। बता दें कि 100 मील  मैराथन अचीवर दिव्या ने सेंट ल्यूक स्कूल, सोलन से पढ़ाई की है और उन्होंने सोलन, बंगलुरू, कनाडा, अमरीका आदि में उच्च पदों पर कार्य करते हुए अपने जूनून के खातिर ही गृहनगर धर्मशाला में बसने का मन बना लिया है ।