धर्म के प्रतिनिधि  स्वामी विवेकानंद

By: Dec 14th, 2019 12:19 am

 गतांक से आगे…

प्रर्दशनी के पूछताछ कार्यालय में जाने पर स्वामी जी को बताया गया कि धर्म महासभा सितंबर माह से पहले प्रारंभ न होगी तथा जो लोग इस सभा की नियमावली के अनुसार परिचय पत्र नहीं लाए हैं, वो सभा में प्रतिनिधि के रूप में स्थान नहीं पा सकेंगे। उस समय तक आवेदन देने का समय व्यतीत हो चुका था। अतः स्वामी जी ने अपने लिए हिंदू धर्म के प्रतिनिधि के रूप में जाने की कोई संभावना न देखी। इधर उनके पास थोड़ा धन शेष बचा था, वो भी होटल में दो सप्ताह में ही प्रायः समाप्त हो गया। यद्यपि उनका यह दृढ़ विश्वास था कि भगवान का मंगलमय हाथ सदा उनकी रक्षा कर रहा है, फिर भी एक प्रबल संदेह की आंधी उठकर उन्हें चिंतित करने लगी। विचलित हृदय से किंकर्त्तवविमूढ़ होकर स्वामी जी सोचने लगे कि कुछ हठधर्मी युवकों के परामर्श को मानकर मैं क्यों अमरीका आया। उन्होंने अमरीका में संकल्प सिद्धि का कोई उपाय न देखकर वह स्थान छोड़ होटल की यात्रा प्रारंभ कर दी। इसी बीच उनका परिचय एक बूढ़ी महिला से हुआ। इस महिला ने उन्हें सादर आमंत्रित किया और साथ ही स्वामी जी को आश्वासन दिया कि वो स्वामी जी के प्रचार कार्य की सुविधा कर देगी। इस महिला के घर में स्वामी जी बड़े आराम से थे। इस बारे में उन्होंने कहा, यहां पर रहने से मुझे जो पहली सुविधा हुई, वह यह है कि प्रतिदिन जो मेरा एक पौंड व्यय हो रहा था, वो बच रहा है और उस महिला को यह लाभ है कि अपने मित्रों को आमंत्रित कर भारत से आए हुए अद्भुत जीव को दिखा रही है। यह एक ऐसा कष्ट है, जिसे सहन करना ही होगा। मुझे इस समय भूख, सर्दी, विचित्र पोशाक के कारण मार्ग में मिलने वाले लोगों की हंसी आदि के साथ लड़ते हुए चलना पड़ रहा है। स्वामीजी इस महिला के मकान पर आकर पहले की अपेक्षा निश्चित हो गए। उन्होंने निश्चय किया कि कुछ महीने यत्न करके अगर अमरीका में वेदांत प्रकार की कोई सुविधा न होगी, तो फिर अपने देश लौटकर श्री गुरु के अन्य आदेश की अपेक्षा करूंगा। शिकागो में धर्मसभा के अंदर प्रतिनिधि के रूप में लिए जाने के संबंध में संपूर्ण रूप से निराश होने पर भी स्वामी जी का दृढ़ हृदय विचलित न हुआ। महिला ने आग्रह किया वो अपनी पौशाक बदल दें, फलस्वरूप स्वामी जी महिलाओं के परामर्श को मानकर अपनी पोशाक बदलने को मजबूर हुए। साधारण उपयोग में लाने के लिए उन्होंने एक लंबा काला कोट बनवाया। गेरुए रंग की पगड़ी व चंगा केवल व्याख्यान के समय पर पहनने के लिए रख छोड़े। धीरे-धीरे स्वामी जी का कई प्रतिष्ठित लोगों के साथ परिचय हो गया।                                   -क्रमशः

 

 


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