नक्सलियों की धमक

By: Dec 2nd, 2019 12:05 am

नवेंदु उन्मेष

स्वतंत्र लेखक

चुनाव आयोग ने झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा करते हुए पांच चरणों में चुनाव कराए जाने की बातें कहीं थीं। हालांकि कई राजनीतिक दल चाहते थे कि चुनाव एक दो चरण में कराए जाने चाहिए। तब चुनाव आयोग ने पहली बार स्वीकारा था कि राज्य में नक्सली गतिविधियां जारी हैं इसलिए पांच चरणों में ही चुनाव कराए जाएंगे। तब यहां के बुद्धिजीवियों को विश्वास नहीं हुआ था कि राज्य में नक्सलियों की धमक अभी भी यहां कायम है। मतदान से पूर्व लातेहार जिले में नक्सलियों के द्वारा दारोगा समेत चार जवानों को मौत के घाट उतार दिए जाने के बाद चुनाव आयोग की आशंका को बल मिला। इसके अलावा नक्सलियों ने पलामू में झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक नेता की भी हत्या करके सनसनी फैला दी। लातेहार में तो नक्सलियों ने एक भाजपा नेता के वाहन पर भी फायरिंग की। कई जिलों में पोस्टर चिपकाकर नक्सलियों ने वोट बहिष्कार की भी घोषणा की। खूंटी जिले में तीन नक्सली पोस्टर और बैनर के साथ गिरफ्तार भी किए गए। इन सबके बावजूद कहा जा सकता है कि झारखंड में नक्सली अब भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। जबकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अपनी चुनावी रैलियों में बार-बार राज्य की रघुवर सरकार को क्लीन चिट देते हुए कह रहे हैं कि भाजपा सरकार की वजह से ही झारखंड से नक्सलियों का सफाया हो चुका है। लोकसभा चुनाव के वक्त भी राज्य में नक्सलियों ने दहशत फैलाने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन वे इसमें बहुत ज्यादा सफल नहीं हुए थे। लोकसभा चुनाव के ठीक बाद जून के महीने में सरायकेला खरसावां जिले के तिरूडीह में नक्सलियों ने पुलिस के जवानों को घेर कर मौत के घाट उतार दिया था। नक्सली कमांडर महाराज प्रमाणिक के दस्ते ने डेढ़ महीने में कई नक्सली गतिविधियों को अंजाम दिया था। इतना ही नहीं सरायकेला में तो लोकसभा चुनाव के वक्त नक्सलियों ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के चुनावी कार्यालय तक को बम विस्फोट करके उड़ा दिया था। ज्ञातव्य है कि 2014 के बाद राज्य में नक्सली गतिविधियों में कमी आई है। प्रत्याशियो के प्रचार वाहन पर हमला करना तो आम बात थी, लेकिन इस के बाद के विधानसभा चुनाव में ऐसी किसी भी गतिविधियों की सूचना नहीं आई है। इससे जाहिर होता है कि राज्य के चुनाव में नक्सलियों का प्रभाव कम हुआ है। पुलिस प्रशासन की सक्रियता की भी इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका है। पूर्व में कई नक्सल प्रभावित इलाकों के थानों के दरवाजे दिन ढलते ही बंद हो जाया करते थे। अगर रात के वक्त में थाना क्षेत्र में कोई नक्सली गतिविधियों की सूचना आती थी तो पुलिसकर्मी वहां जाने से डरते थे और दिन होने का इंतजार किया करते थे, लेकिन वर्तमान में परिस्थितियां बदली हैं और किसी भी इलाके में नक्सली गतिविधियों की सूचना मिलने पर पुलिस के जवान तत्काल वहां पहुंच रहे हैं और नक्सलियों से मोर्चा भी ले रहे हैं। अभी तो राज्य में मतदान होना बाकी है। देखना यह है कि मतदान के वक्त राज्य में नक्सलियों की क्या गतिविधियां रहती हैं। मतदानकर्मियों को भी सुरक्षित मतदान केंद्रों तक पहुचाया जा रहा है। अगर वे शांतिपूर्ण मतदान कराकर वापस आ जाते हैं तो कहा जाएगा कि राज्य में नक्सली गतिविधियां चुनाव से मुक्त हुई है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App