नेचर से कराएं बच्चों की दोस्ती

By: Dec 11th, 2019 12:20 am

आज हम मशीनी दुनिया के बीच में घिरे हुए हैं। मोबाइल टेक्नोलॉजी के चलते आज बच्चे मोबाइल के स्क्रीन में ही दुनिया को समेटे हुए हैं। ऐसे में उनका बचपन नेचर के साथ नहीं बिकता है। हम तुलना करें 20 साल पहले की तो उस समय के बच्चे प्रकृति के इर्द-गिर्द ही रहते थे और पेड़-पौधों नदियों तालाबों से बहुत कुछ सीखते थे। उनका व्यवहारिक ज्ञान इतना मजबूत होता था कि वह अन्य विषयों को अच्छी तरह से समझ लेते थे।

नेचर ले जाता है हकीकत की दुनिया में

अपने बच्चे को घर से बाहर ले जाएं किसी पार्क नदी के किनारे तालाब आदि के पास जो सबसे नजदीक हो और नेचर से उन्हें रू-ब-रू कराएं। रंग बिरंगी उड़ती तितली आती चिडि़या कल-कल बहता पानी हरे-भरे घास के मैदान पर नंगे पांव चलना ऐसे नजारे बच्चे देखकर खुद ही आपसे सवाल करेंगे। यह नेचर की असली दुनिया है, जो किताबों से हटकर उन्हें हकीकत की दुनिया से वाकिफ कराएगा। बच्चे जन्म से ही जिज्ञासु होते हैं और जाने-अनजाने व आपसे कई सवाल पूछेंगे। जैसे पत्तियां क्यों हरी होती है। चिडि़या शाम के वक्त कहां जा रही है अदि। इस तरह के जिज्ञासा भरे प्रश्न से बच्चे के बुद्धि का विकास और तेजी से होता है। रिसर्च भी बताते हैं कि बच्चा सोचेगा, सीखेगा और फिर नेचर को समझेगा,लेकिन इसके लिए आपको उसे प्रकृति यानी नेचर से मुलाकात करानी होगी।

 


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