प्रदेश में नहीं बनेगा एसटी कमीशन

By: Dec 15th, 2019 12:30 am

सरकार ने स्पष्ट की स्थिति; गठन से साफ इनकार, जनजातीय विकास विभाग ही करेगा काम

शिमला-हिमाचल में जनजातीय आयोग नहीं बनेगा। प्रदेश सरकार ने स्थिति स्पष्ट करते हुए जनजातीय आयोेग का गठन करने से साफ इनकार कर दिया है। प्रदेश में एसटी समुदाय के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए जनजातीय विकास विभाग ही काम करता रहेगा। हालांकि प्रदेश में जनजातीय सलाहकार परिषद गठित हो चुकी है, लेकिन वर्तमान सरकार के इस कार्यकाल में एक भी बैठक नहीं हुई। पूर्व की वीरभद्र सरकार के कार्यकाल में अंतिम बैठक फरवरी, 2017 में हुई थी। उसके बाद प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हुए और भाजपा सत्ता में आई, मगर दो साल में एक भी बैठक नहीं हो पाई। इस कारण जनजातीय क्षेत्रों के मुद्दे एवं मांगों पर मंथन नहीं हो सका। वर्तमान सरकार के कार्यकाल के पहले साल यानी, 2018 में ही बैठक होनी थी, लेकिन परिषद के सदस्यों की नियुक्ति समय पर न होने के कारण मीटिंग नहीं हो पाई। ऐसे में अब सात अगस्त को होनी थी, लेकिन उसी दिन पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज के निधन के चलते बैठक स्थगित हो गई थी। ऐसे में अब नए साल में ही यह बैठक हो सकती है। मुख्यमंत्री स्वयं इस परिषद के चेयरमैन हैं, जबकि जनजातीय विकास मंत्री डा. रामलाल मार्कंडेय, भरमौर के विधायक जिया लाल, किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी परिषद के सदस्य होंगे। कुल 20 सदस्यों की इस परिषद में सरकार ने किन्नौर के पूर्व विधायक तेजवंत सिंह नेगी, प्रदेश भाजपा एसटी मोर्चा के अध्यक्ष एवं वन विकास निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी सहित अन्य भाजपा नेताओं को सदस्य नियुक्त किया गया है। इस परिषद में जिला किन्नौर के भाजपा अध्यक्ष विनय नेगी भी सदस्य होंगे। सरकार ने जिला किन्नौर से सात, लाहुल-स्पीति और पांगी-भरमौर क्षेत्र से भी पांच सदस्य नियुक्त किए हैं। राष्ट्रीय जनजातीय आयोग के अध्यक्ष परिषद के विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे। इसी तरह से प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव बीके अग्रवाल और सचिव जनजातीय विकास  विभाग पदेन सदस्य हैं।

गैर जनजातीय क्षेत्रों को नहीं मिलेगी राशि

प्रदेश सरकार जनजातीय क्षेत्र के लिए एक वित्तीय वर्ष में कुल स्वीकृत योजना परिव्यय का नौ प्रतिशत भाग ट्राइबल सब प्लान के तहत प्रावधान करती है। गैर जनजातीय क्षेत्रों को जनसंख्या के आधार पर धनराशि स्वीकृत करने के लिए सरकार को कोई विचार नहीं हैं। ऐसे में जाहिर है कि गैर जनजातीय क्षेत्रों में रह रहे जनताजीय लोगों को जनसंख्या के आधार पर धनराशि स्वीकृत करने का कोई प्रावधान नहीं है।


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