बंदरों के निशाने पर हमारी रसोई

शिमला के कई उपनगरों में बंदरों के काटने के रोज आ रहे मामले, किचन में भी खाना नहीं छोड़ रहे आतंकी

शिमला – राजधानी में बंदरों का आतंक अब इतना बढ़ गया है कि वे किचन के अंदर भी खाना नहीं छोड़ रहे हैं। रोज सुबह लोगों के किचन से खाना लेकर जाना तो आम हो गया है। शहर के कई महत्वपूर्ण उपनगरों पर तो यह समस्या और भी डेंजर हो गई है। ढली, संजौली, लक्कड़ बाजार, टालैंड में बंदरों से परेशान लोगों ने अपने घरों से निकलना तक बंद कर दिया है। इसके साथ ही बंदरों के आतंक से बचने के लिए लोग सुबह से शाम तक ज्यादातर घर में ही रहते है। यहां तक कि ढली क्षेत्र में तो छोटे बच्चे बंदरों के डर से घर से बाहर खेलने तक नहीं निकल पाते हैं। बताया जा रहा है कि साल दर साल शिमला में खतरनाक बंदरों की बढ़ोतरी हो रही है। इससे महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चों की चिंता ज्यादा बढ़ गई है। अब तो लोग भी यही कहते हैं कि सरकार अब तो कुछ करो, बंदरों ने परेशान कर दिया है। अहम यह है कि शिमला के साथ लगते ढली क्षेत्र में तो बंदर रात आठ बजे के बाद भी लोगों को रास्ते में चलने नहीं देते। इस वजह से बंदरों से परेशान लोगों ने बाहर अकेले जाना ही छोड़ दिया है। गौर हो कि फरवरी में केंद्र सरकार ने नगर निगम शिमला को छोड़ प्रदेश की 91 तहसीलों में बंदर मारने की अनुमति दी। जानकारी के मुताबिक 2015 में हुई गणना के मुताबिक प्रदेश में दो लाख सात हजार बंदर हैं, जिसमें से एक लाख 70 हजार बंदरों की नसबंदी हो चुकी है। पिछले साल 20 हजार बंदरों की नसबंदी हुई। इस बार भी वन विभाग ने 20 हजार बंदरों की नसबंदी का टारगेट फिक्स  किया है।

पर्यटकों पर भी बुरा असर

बता दें कि शिमला में बंदरों का आतंक इतना ज्यादा है कि पर्यटकों पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। बंदरों की इस समस्या का जल्द समाधान नहीं हुआ तो आने वाले समय में पर्यटन नगरी शिमला में पर्यटकों की आवाजाही भी इससे कम हो जाएगी। इस वजह से शिमला के पर्यटन पर भी बुरा असर पड़ सकता है। बता दें कि अब तो पर्यटकों को भी भलीभांति पता है कि शिमला में घूमने जाना है तो बंदरों से बचकर रहना पड़ेगा।

आम आदमी मार सकता है

बंदर मारने की ड्यूटी वन विभाग के कर्मचारियों की नहीं है, लेकिन आम आदमी मार सकता है। बंदर मारने के बाद उसे संबंधित वन अधिकारी को भी दिखाना होगा। ऐसे में बंदरों के बढ़ते जा रहे आंतक को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक बार फिर से राजधानी शिमला में लोगों को बंदरों को मारने की अनुमति दी है। यानी लोगों को राहत देते हुए केंद्र सरकार ने जुलाई 2020 तक नगर निगम के दायरे में आने वाले क्षेत्रों में लोगोंं को बंदरों को मारने की अनुमति दी है।