बागबानों ने किया बागीचों का रुख
नौहराधार – ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बागबान अपने बागीचों में सर्दियों में होने वाले कार्यों में जुट गए हैं। बागबानों ने अपने बागीचों में सेब के पौधों में खाद, गोबर, दवाइयों व तौलिये का कार्य शुरू कर दिया है। बागबानों ने बागीचों में तौलिये के निर्माण के साथ-साथ नए पौधे लगाने के लिए गड्ढे बनाने का कार्य भी शुरू कर दिया है। इस समय बागबान बागीचों में नमी का पूरा लाभ उठाने में लगे हैं। पिछले दिनों जिला के अधिकांश क्षेत्रों में बारिश व ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हुई थी, जिससे बागीचों में पर्याप्त नमी आ गई है। आजकल जिला के अधिकतर स्थानों में चटक धूप खिल रही है। ऐसे मौसम में बागीचों का सुधार कार्य लाभदायक होता है। बागबान समय रहते बागीचों में सुधार कार्य जल्दी पूरा करना चाहते हैं, ताकि आगामी दिनों के दौरान होने वाली बारिश व बर्फबारी का पौधों को लाभ मिल सके। बागबान द्वारा तौलिये के अलावा पौधों में बोर्डों में पेंट लगाने का कार्य भी शुरू हो चुका है। विशेषज्ञ के अनुसार पतझड़ के तुरंत बाद सेब व नाशपात्ती के पौधों के तनों के बोर्डों में पेंट लगाया जाना चाहिए। आजकल पतझड़ के तुरंत बाद की गई सफेदी से पेड़ों के तने को सूरज की तेज किरणों से सुरक्षा मिलती है। जिला सिरमौर के ऊपरी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बागबानों ने पौधों में चूना लगाने का कार्य आरंभ कर दिया है, जबकि बागबान प्रूनिंग का कार्य के लिए अभी पत्तियों के झड़ने का इंतजार कर रहे हैं। पू्रनिंग का कार्य पतझड़ में लाभकारी होता है। इसलिए पू्रनिंग का काम पत्तियां झड़ने के बाद ही करना चाहिए, जबकि अन्य कार्य अभी निपटना चाहिए। हालांकि कुछ स्थानों पर बागबान इस कार्य को जनवरी माह के दौरान करते हैं, मगर बागबानी जानकारों की मानें तो पौधों में चूना लगाने का सही समय दिसंबर माह के दौरान ही रहता है।
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