मदन सेन ने प्रथम अभियान छेड़ा था नाचन के राणा के विरुद्ध

By: Dec 11th, 2019 12:19 am

मदन सेन ने अपने राज्यकाल का प्रथम अभियान नाचन के राणा के विरुद्ध छेड़ा। राज्य की राजधानी ‘पांगना’ के कुछ मील दूर उत्तर दिशा में एक किले का निर्माण करवाया जिसका नाम ‘मदनकोट’ रखा। उसने नदी व्यास के उस पार अवस्थित राणाओं के विरुद्ध भी अभियान चलाया, जिसमें दं्रग के राणा को हराकर द्रंग क्षेत्र में स्थित नमक की खानों पर भी अधिकार कर लिया…

गतांक से आगे … 

मदन सेन:

मदन सेन ने अपने राज्यकाल का प्रथम अभियान नाचन के राणा के विरुद्ध छेड़ा। राज्य की राजधानी ‘पांगना’ के कुछ मील दूर उत्तर दिशा में एक किले का निर्माण करवाया जिसका नाम ‘मदनकोट’ रखा। उसने नदी व्यास के उस पार अवस्थित राणाओं के विरुद्ध भी अभियान चलाया, जिसमें दं्रग के राणा को हराकर द्रंग क्षेत्र में स्थित नमक की खानों पर भी अधिकार कर लिया। गुम्मा के राजा ने भी मदन सेन का पुरजोर विरोध किया, लेकिन पराजय ही मिली। मदन सेन ने पुनः कुल्लू रियासत पर कब्जा किया। विजय यात्रा की वापसी पर उसने ‘मदनपुर’ किले का निर्माण करवाया। कुल्लू राज्य के रिकार्ड के अनुसार मदन सेन ने मनाली से बजौरा तक की जागीर किसी ‘भोसल राणा’ को भेंट की थी। सतलुज नदी के दक्षिण में स्थित भज्जी, शांगरी तथा कुम्हारसेन सरीखे छोटे राज्यों को भी अपने अधिकार क्षेत्र में कर लिया था। बटवारा के राणा ‘श्रीमांगल’ ने कहलूर के साथ मिलकर मदन सेन के विरूद्ध विद्रोह कर दिया था। मदन सेन ने उसे हराकर राज्य से निष्कासित कर दिया था। तदुपरांत श्रीमांगल ने एक छोटी रियासत ‘मांगल’ की स्थापना की। मदन सेन , हथली के राणा तथा ‘महलमोरियां’ के ठाकुर के साथ सख्ती से पेश आया। उसने कटवालवाह किले का निर्माण करवाया तथा किसी विश्वास में देहर किले का निर्माण करवाया। राजा मदनसेन ने अषटम्वनाथ मंदिर का निर्माण पांगण में करवाया तथा फिर उसे लोहार को स्थानांतरित कर दिया। यह स्थान बल्ह घाटी में स्थित है। मदन सेन के अंतिम वर्षों में एक घटना घटी जिसके कारण उसे पांगणा से अपनी राजधानी बदलनी पड़ी। उसने एक रात स्वप्न में देखा कि एक देवी ने उससे कहा कि जहां वह सोया हुआ है वह स्थान उसका है। प्रातः जब वह उठा उसके पास एक मूर्ति और एक तलवार मिली। उसने वहां एक मंदिर बनवाया जो अब तक है, उसके पश्चात मदनसेन ने पांगणा को छोड़ दिया और अपनी राजधानी बल्ह घाटी में लोहरा नामक स्थान पर ले गया। मदन सेन के समय में सुकेत उन्नति की चरम सीमा पर पहुंच गया था। उसने 25 वर्ष राज्य किया।अन्य राजाओं के नाम इस प्रकार मिलते हैं- दरीर सेन, धरत्री सेन, पर्वत सेन, काम सेनतीन और राजा हुए। इनके नाम वंशावली में नहीं मिलते। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि इन्हीं तीन साहस हीन राजाओं के समय में मंडी राज्य की स्थापना हुई होगी।संग्राम सेन (बीर सेन से 28वां शासक)   महान सेन (1480 ई.) संग्राम सेन के उपरांत महान सेन गद्दी पर बैठा। महान सेन एक कुख्यात शासक था, जिसकी आदतें अंततः उसकी मृत्यु का कारण बनी। हेवंत सेन: हेवंत सेन एक दयालु राजा था तथा लोकहितकारी राजा था। इसके उपरांत दो और राजा हुए थे।

 


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App