सरकार ने दिया साथ, तो सेब के दो बागीचे तैयार

आनी-सेब के बागीचे की उम्र पूरी होने के बाद बागबान नेत्र सिंह ठाकुर ने नया बागीचा तैयार करने की जब सोची, तो पौधा न टिक पाने के कारण उनकी परेशानी बढ़ने लगी। आनी खंड के चिमनी गांव निवासी नेत्र सिंह ने करीब आठ से दस साल तक पुराने बागीचे में सेब के नए पौधे तैयार करने का प्रयास किया, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग और सूखे के कारण सेब के पौधे टिक नहीं पाए। नेत्र सिंह ठाकुर ने पंचायत की बैठक में बागबानी विभाग की योजनाओं के बारे में सुना, तो उन्होंने सरकारी सहायता लेने का मन बनाया। सरकारी सहयोग के बाद उन्होंने करीब 250 पौधे के दो बागीचे तैयार किए और आज नेत्र सिंह ठाकुर इलाके में प्रगतिशील बागबान के तौर पर पहचाने जाते हैं। नेत्र सिंह ठाकुर बताते हैं कि उन्होंने सबसे पहले बागीचे के साथ पानी के स्रोत का पता किया और बागबानी विभाग के सहयोग से टैंक का निर्माण किया। इसके निर्माण की अधिकतर राशि विभाग ने योजना के तहत जारी की, जिसे विभाग ने प्रति एक क्यूविक मीटर पर 1400 रुपए के तौर पर जारी किया। टैंक बन जाने के बाद बागबान नेत्र सिंह ठाकुर ने विभागीय सहायता से 100 पौधों और 150 पौधों के दो बगीचे तैयार किए। बागीचे में सिंचाई के लिए भी विभाग ने उन्हें फव्वारे उपलब्ध करवाए। इसके लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत फव्वारा लगाने के लिए 80 फीसदी सबसिडी उन्हें दी गई। इतना ही नहीं विभाग के सहयोग से बागबान नेत्र सिंह अपने बागीचे से करीब 50 सेब की पेटी का सैंपल भी ले चुके हैं। इस संबंध में बागबानी विभाग के आनी विषय विशेषज्ञ केएल कटोच का कहना है कि प्रदेश सरकार की ओर से सामान्य बागीचा लगाने के लिए 2400 रुपए प्रति बीघा और सघन बागीचा लगाने के लिए चार हजार रुपए प्रति बीघा के हिसाब से सबसिडी दी जाती है। इसके अलावा टैंक निर्माण के लिए 1400 रुपए प्रति क्यूविक मीटर के हिसाब से सबसिडी दी जाती है।