सुंदरनगर में सिर्फ उल्टी दस्त-बुखार का इलाज

By: Dec 10th, 2019 12:20 am

सुंदरनगर – सिविल अस्पताल सुंदरनगर में सरकार ने दर्जा सौ की जगह डेढ़ सौ बिस्तर कर दिया है। लेकिन स्वास्थ्य सुविधाएं न के बराबर मिल पा रही हैं। यहां पर मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए पर्याप्त स्टाफ  नहीं है। वर्तमान में अस्पताल में फिजिसियन, सर्जन, एनेस्थीसिया, एमओ समेत अन्य स्टाफ के पद खाली हैं। जिसके चलते आए दिन मरीजों को रैफर करना पड़ रहा है। अस्पताल की सौगात के चलते लंबे समय से चल रहा दर्जा बढ़ाने की मांग पर घोषणा की जा चुकी है। लेकिन वर्तमान में इस अस्पताल की सेवाएं क्षेत्र की जनता को प्राप्त नहीं हो रही हैं। सुविधाओं के अभाव में क्षेत्र में घटित होने वाली गंभीर घटना और दुर्घटनाओं में उपचार के अभाव में कई मरीज दम तोड़ चुके हैं। अस्पताल में सुंदरनगर विधानसभा क्षेत्र के साथ, नाचन और निहरी सहित डैहर क्षेत्र के लाखों की जनसंख्या के स्वास्थ्य का भार है। प्रतिमाह यहां सुंदरनगर एवं क्षेत्र की तकरीबन तीस हजार जनता अपने इलाज के लिए आती है। वर्तमान में प्रतिदिन 800 से 1000 मरीज स्वास्थ्य लाभ के लिए अस्पताल पहुंचते हैं। लेकिन यहां पर विषय विशेषज्ञ डाक्टरों के अभाव में नगर एवं ग्रामीण क्षेत्र की गरीब जनता निजी अस्पतालों में इलाज करवाने को मजबूर है। यहां पर प्रतिमाह भारी संख्या में डिलीवरी और सड़क हादसों में गंभीर घायल लाए जाते है जिसमें कई मामले नेरचौक मेडिकल कालेज व जिला मुख्यालय रैफर कर दिए जाते हैं। सुविधाओं के अभाव में डाक्टरों के द्वारा यहां सिर्फ  केवल उल्टी दस्त एवं बुखार के मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। उधर,डा. चमन सिंह ठाकुर एसएमओ सिविल अस्पताल सुंदरनगर का कहना है कि अस्पताल में दवाइयां क्षेत्र की मांग के अनुरूप प्रर्याप्त हैं। स्टाफ की कमी को लेकर उच्च अधिकारियों को अवगत किया जाता है।

विशेषज्ञ डाक्टर न होने से होती है परेशानी

सुंदरनगर अस्पताल में शुगर, रक्तचाप, दिल के रोग, स्वास व अन्य गंभीर रोग के मरीजों व गुप्त रोग, रेडियोलॉजिस्ट, त्वचा जैसी बीमारियों के विशेषज्ञों की कमी के चलते मरीजों को उपचार नहीं मिल पा रहा। जिसके कारण मरीजों को एक मोटी राशि खर्च कर नेरचौक, मंडी या चंडीगढ़ व शिमला जाना पड़ रहा है। हृदयघात को लेकर मरीजों को समय पर उचित उपचार नहीं मिल पाता है। जिससे कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।

चेकअप मशीनों का भी बना है अभाव

अस्पताल में हालत यह है कि सड़क हादसों में घायलों को अल्ट्रासाउंड मशीन है, लेकिन विशेषज्ञ नहीं होने के चलते उपचार नहीं मिल पाता है। दवाइयां प्रर्याप्त है, लेकिन विशेषज्ञ के अभाव में उचित उपचार नहीं मिल रहा है। इन दिनों अस्पताल में रोजाना 800 से 1000 की ओपीडी होती है। लेकिन कई बार इलाज न मिल पाने के कारण मजबूरन प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करवाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

वर्तमान में यह हैं पदस्थ

नेत्र रोग विशेषज्ञ दो चिकित्सक, डेंटल चिकित्सक, गला, नाक व कान विशेषज्ञ चिकित्सक, स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सक, हड््डी रोग विशेषज्ञ चिकित्सक सहित  एनेस्थीसिया विशेषज्ञ चिकित्सक ही सेवाएं दे रहे है। जबकि सामाजिक संगठनों ने ज्ञापन सौंपकर मांग की थी और मांग व समस्याओं को देखते हुए प्रदेश सरकार को अस्पताल में सुविधाएं बढ़ाने की मांग की थी। बावजूद इसके अभी तक अस्पताल में सुविधाएं नहीं बढ़ीं।


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