सुन लो पुकार…पंचायतों में सीमेंट की दरकार

 परागपुर खंड के पंचायत प्रतिनिधियों ने उद्योग मंत्री विक्रम ठाकुर से की मुलाकात, सीमेंट न मिलने से लटक गए विकास कार्य

सुन लो…   सरकार

गरली-विकास खंड परागपुर के अंतर्गत विभिन्न ग्राम  पंचायत प्रतिनिधियों का एक दल रविवार को पंचायत प्रधान एसोसिएशन  अध्यक्ष गुरचरण सिंह टोहरा की अगवाई में प्रदेश उद्योग मंत्री विक्रम सिंह ठाकुर से मिला। इस दौरान उन्होंने  पेश आ रही अपनी गंभीर  समस्याओं से संबंधित एक ज्ञापननुमा शिकायत पत्र उद्योग मंत्री विक्रम ठाकुर को सौंपा। पंचायत प्रधानों का आरोप है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत पंचायतों को छह-छह महीनों से सीमेंट नहीं मिल रहा है। लिहाजा यहां प्रत्येक वार्डों के कई पंचायती निर्माण कार्य अधर में लटके हुए है। पंचायत प्रधान एसोसिएशन अध्यक्ष गुरचरण सिंह टोहरा रक्कड़ प्रधान रत्न चंद रठौर आदि का आरोप है कि जहां प्रदेश सरकार द्वारा तमाम स्वीकृत कार्यों को आगामी 31 मार्च तक  पूर्ण रूप से  मुक्कमल करने के दिशा-निर्देश दे रखे हैं, लेकिन जब पंचायतों को सीमेंट की आपूर्ति ही नहीं होगी, तो विकास कार्यों को किस प्रकार से पूर्ण किया जाएगा। पंचायत प्रधानों ने खुले बाजार से सीमेंट क्रय करने की अनुमति प्रदान करने की मांग करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार को नियमों में छूट प्रदान करते हुए पांच लाख तक के कार्य बिना किसी टेंडर के करवाए जाने के आदेश करने के साथ-साथ लोकल ट्रैक्टर मालिकों के माध्यम से मैटेरियल सप्लाई लगाई गई रोक हटानी होगी, क्योंकि पंचायत में काम न मिलने के कारण लोकल ट्रैक्टर मालिकों में सरकार के प्रति बेहद आक्रोश है। प्रधानों का कहना है कि डेढ़ लाख रुपए तक के समस्त कार्यों की एकमुश्त राशि अधिसूचना जारी होने के उपरांत भी किस्तों में दी जा रही है। पंचायत सचिवों का अधिकांश समय एक ही कार्य के तीन-तीन बार कागजात बनाने में नष्ट हो रहा है। प्रधानों ने मनरेगा का पूर्ण कार्यभार ग्राम रोजगार सेवकों को देने के अलावा अत्यधिक कार्यों को देखते हुए पंचायतों में कम्प्यूटर आपरेटर तैनात करने की मांग की है। प्रधानों के मुताबिक ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग पहला ऐसा विभाग है, जहां पंचायत सचिव से करीब सभी विभागों के कार्य करवाए जा रहे हैं, जिससे इस वर्ग के कर्मचारी तनावपूर्ण जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं। एसोसिएशन अध्यक्ष गुरचरण सिंह टोहरा ने सुझाव देते हुए कहा कि यदि पंचायती राज व्यवस्था को  दुरुस्त करना है, तो लगातार चुनाव जीतने वाले प्रधानों की कमेटी गठित कर निर्णय करने होंगे। अन्यथा यथार्थ के धरातल पर वर्तमान में बेहद खामियां हैं, जिन्हें समय रहते दुरुस्त करना होगा। एक्ट में पंचायत प्रधानों को 2000 से  ऊपर के लेन-देन के मामले सुनने की शक्तियां प्राप्त नहीं हैं। चोरी के मामले में 250 से ऊपर के मामले  पंचायत नहीं सुन सकती। वर्ष 1994 में बने एक्ट में अब संशोधन करना समय की मांग है। उद्योग मंत्री विक्रम ठाकुर ने पंचायत प्रधानों को आश्वस्त किया कि उनकी मांगों पर सरकार गंभीरता पूर्वक विचार करेगी तथा इन सारे मामलों को मुख्यमंत्री  के ध्यान में लाया जाएगा।