हिमाचल में धड़ाधड़ लगेंगे किसान मेले, बिलासपुर से होगा आगाज

By: Dec 15th, 2019 12:10 am

कृषि मंत्री रामलाल मार्कंडेय

हिमाचल में जल्द ही धड़ाधड़ किसान मेले लगने जा रहे हैं। इन किसान मेलों में फार्मर्ज खुद द्वारा तैयार नई फसलों को प्रदर्शित कर पाएंगे। कृषि मंत्री रामलाल मार्कंडेय ने कहा है कि जिनके फल-सब्जियां बेहतर आंके जाएंगे,उन किसानों को सम्मानित किया जाएगा। इसके अलावा खेती के उपकरण भी बांटे जाएंगे। किसान मेलों की खास बात यह रहेगी कि इस बार फार्मर्ज को  सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। किसान मेलों का शेड्यूल जल्द तय कर दिया जाएगा। इसकी शुरूआत बिलासपुर से 14 या 16 दिसंबर को हो सकती है। मारकंडेय ने कहा कि इन मेलों से जहां किसानों को खेती में नए नए प्रयोग करने की प्रेरणा मिलेगी,वहीं प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा। प्रदेश और केंद्र की भाजपा सरकारों का लक्ष्य है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी की जा सके। बहरहाल सरकारें किसानों की आय दोगुनी करने के दावे जरूर कर रही हैं,लेकिन मार्केट न होने ने फार्मर्ज के  फल सब्जियां कम दाम पर बिक रहे हैं। फोटो किसान मेला और मारकंडेय

रिपोर्ट अश्वनी पंडित, बिलासपुर

वूली एफिड … सेब की जड़ों के दुश्मन को ऐसे मिटाएं

इन दिनों सेब बागीचों में लगने वाली खतरनाक बीमारियों के बारे में भी बागबान चिचिंत हैं। इनमें सूक्ष्म जीव वूली एफिड बागबानों के लिए चिंता कारण बना हुआ  है। बागबान इन दिनों सेब के पौधों के रखरखाव तथा इसमें लगने वाली खतरनाक बीमारियों को लेकर चिंतित है। इस बार सेब के बागीचों में वूली एफिड का प्रकोप अधिक है, जिससे कि पौधों को नुकसान हो रहा है। हालांकि बागबानी विशेषज्ञ बार-बार बागबानों को बागीचों में दवाइयों के छिड़काव की सलाह भी दे रहे हैं, लेकिन इस खतरनाक बीमारी से पार पाने के लिए बागबानों को खासी कसरत करनी कर पड़ रही है। बागबानी के विषय विशेषज्ञ मदन ठाकुर ने कहा कि इसकी रोकथाम के लिए बागबानों को इन दिनों कीटनाशक दवाईयों का छिडकाव करना चाहिए जिसके लिए मार्शल 200 लीटर पानी में 200 एमएल ट्रायसल 200 लीटर पानी में 400 एमएल का छिड़काव किया जा सकता है।

 – सुधीर शर्मा, मतियाना

दून में गन्ने की फिर बंपर फसल पर शुगर मिल न होने से हजारों किसान मायूस

दशकों से हिमाचल की सरकारों की अनदेखी से त्रस्त गन्ना किसानों ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। प्रदेश में गन्ना बैल्ट के नाम से मशहूर पांवटा और दून से उत्तराखंड की शुगर मिल में गन्ना जाना शुरू हो गया है। आलम यह है। एक सप्ताह में ही पांवटा साहिब की दो गन्ना सोसायटी से किसानों ने साढ़े पांच हजार क्विंटल गन्ना बेच दिया है। पांवटा साहिब से दो गन्ना सोसायटी के जरिए उत्तराखंड के डोईवाला शुगर मिल में यह गन्ना जाता है। बड़े अफसोस की बात है कि हर रोज किसानों की आय डबल करने के दावे करने वाला हिमाचल अपने यहां इतने साल में एक भी शुगर मिल नहीं खोल पाया है, लेकिन यह हजारों होनहार किसानों का कमाल है कि वे इस बार अभी तक बद्रीपुर गन्ना सोसायटी से करीब 2500 क्विंटल तथा गिरिपार के खोड़ोवाला सोसायटी से तीन हजार क्विंटल गन्ना मिल को भेजा गया है। उम्मीद है कि कुल पांच लाख क्विंटल से ज्यादा गन्ने की पैदावार होगी।  सच यह भी है कि बेचारे किसानों को इस बार के दाम का पता नहीं है, क्योंकि मिल से नए रेट नहीं आए हैं। इसलिए पिछले साल के रेट 315 रुपए प्रति क्विंटल गन्ना उठाया जा रहा है। किसान कहते हैं कि अपनी मिल न होने से वे सोसायटी को गन्ना देते हैं। हिमाचल में मिल होती तो यह खर्च बच जाना था। किसानों ने कहा कि प्राकृतिक खेती का ढोल पीटने से पहले सरकार को गन्ना किसानों की सुध लेनी चाहिए।

-रिपोर्ट: दिनेश पुंडीर, पांवटा साहिब

आखिर कितनी  रफ्तार पकड़ पाएगी रोजगार गारंटी

दो से तीन माह बिना मजदूरी से कार्य कर रहे मनरेगा के लाखों दिहाड़ीदारों के लिए खास खबर है। केंद्र सरकार ने बकाया पड़े वेतन की 100 करोड़ रुपए की राशि जारी कर दी है। जिन मजदूरों को अक्तूबर से मनेरगा का पैसा नहीं मिला है, उन्हें दिसंबर महीने में ही अपनी कमाई मिल जाएगी। कुछ अनियमितताओं के कारण केंद्र सरकार ने मनरेगा का करोड़ों तक का बजट दो माह से रोक रखा था। मनरेगा के तहत लगे लाखों मजदूरों के अकांउट में दो माह से दिहाड़ी नहीं आ रही है। इस वजह से पंचायतों के माध्यम से मनरेगा में रजिस्टर हुए मजदूर परेशान थे। ऐसे में केंद्र सरकार की यह राहत मजदूरों के लिए बड़ी मददगार साबित होगी। ये मजदूर पंचायतों में भी इस बारे मे जानकारी मांग रहे थे। पंचायत प्रधान से लेकर कोई भी ब्लॉक अधिकारी दो माह से इस समस्या का समाधान नहीं निकाल पा रहे थे। मनरेगा के तहत लगे मजदूरों की यह समस्या पंचायती राज विभाग में पहुंची, तो सामने आया कि मजदूरों ने अपने अकाउंट नंबर ही गलत लिखे थे। इस वजह से केंद्र सरकार ने मजदूरों को मनरेगा के तहत बजट डालने पर रोक लगा दी थी। मजदूरों के अकाउंट नंबर कैसे ऑनलाइन गलत डाले जा रहे हैं, इस पर भारत सरकार ने हिमाचल सरकार को फटकार भी लगाई है। वहीं मनरेगा के तहत कार्य करने वाले मजदूरों को इस बारे में जागरूक करने के निर्देश दिए हैं।              -रिपोर्ट  प्रतिमा चौहान , शिमला

 

माटी के लाल

घराटों में जान डालने वाले असली हीरो

मिलिए खत्म हो चुके घराटों में जान डालने वाले असली हीरो से सुपर स्टार शाहरुख खान की  स्वदेश फिल्म का मोहन भार्गव हर किसी को खूब भाता है। एक ऐसा किरदार जिस पर हर भारतीय को गर्व होता है। समाज को दिशा देने वाला एक ऐसा युवा, जो अपनी जमीन से जुड़ा रहकर गांवों को स्मार्ट बनाने का संदेश देता है।  इनका नाम है इंजीनियर आशीष गुप्ता। विदेश में पढ़े पेशे से इंजीनियर आशीष मंडी जिला के दूरदराज इलाके पांगणा के रहने वाले हैं। इन्होंने लुप्त हो रहे घराटों को बचाने का बीड़ा उठाया है।  ग्राम दिशा ट्रस्ट और जैविक समूह पांगणा के बैनर तले वह आठ उन घराटों को जीवनदान दे रहे हैं,जो पूरी तरह खत्म हो चुके हैं। एम टेक डिग्री होल्डर आशीष की इस पहल को पूरे प्रदेश में सराहना मिली है।

रिपोर्ट:नरेंद्र शर्मा, करसोग

सिरमौर के कोटला में बनेगी गो सेंक्चुरी

भले ही हिमाचल में अब गोसदन सही उतने सही ढंग से न चल पा रहे हों,लेकिन प्रदेश सरकार सिरमौर जि़ला के कोटला में सरकार गौ अभ्यारण्य स्थापित करने जा रही है। प्रदेश के अन्य भागों में भी बेसहारा गाय को आश्रय प्रदान करने के लिए इस प्रकार के अभ्यारण्य स्थापित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने  गौ माता का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घघाटन सत्र में कहा कि गौ माता मानव के स्वास्थ्य के साथ-साथ प्राकृतिक खेती के लिए भी अत्यन्त लाभदायक है। प्रदेश सरकार गौवंश की देसी नस्लों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।

सिटी रिपोर्टर, शिमला

प्रदेश में 11 सौ वानर हॉट स्पॉट

पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ डॉ. सविता ने बताया कि मानव व वानर संघर्ष को कम करने के लिए वन विभाग प्रयासरत है।  यह कार्यशाला इसी कड़ी में आयोजित की गई। प्रदेश में 1100 वानर हॉट स्पॉट की पहचान की गई है। वन विभाग समय-समय पर गणना के माध्यम से बंदरों की संख्या पर निगरानी रख रहा है। अब बंदरों की संख्या घटकर लगभग दो लाख रह गई है। हिमाचल प्रदेश की 91 तहसीलों, उप तहसीलों व नगर निगम शिमला में एक वर्ष की अवधि के लिए वर्मिन घोषित किया गया है। साथ ही बंदरों की नसबंदी के लिए आठ नसबंदी केंद्र स्थापित किए गए हैं।

पौंग किनारे गेहूं बीजने से रोके किसान

नारे लगाते पहुंचे विधानसभा,सीएम बोले, फिक्र न करें

पौंग डैम किनारों पर वाइल्ड लाइफॅ विंग और बीबीएमबी नियमों का हवाला देकर किसानों को खेती करने से रोक रहा है। झील का पानी जब सर्दियों में काफी नीचे चला जाता हे, तो विस्थापित लोग वहां सैकड़ों हेक्टैयर पर गेहूं बीजते थे,जिस पर अभी रोक लगी है।  इसी समस्या को लेकर किसान मंगलवार को विधानसभा में नारे लगाते हुए पहुंचे। किसानों का कहना था कि  50 वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक न तो सभी विस्थापितों को  मुरब्बे मिले है तथा न ही अन्य सुविधाएं ।  किसानों की अगवाई कर रहे पूर्व मंत्री राजन  सुशांत ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई कि मानवीय दृष्टिकोण अपनाकर विस्थापितों की रोजी-रोटी न छिनने दें। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा पौंग विस्थापितों की समस्या का जल्द स्थायी समाधान किया जाएगा।

रिपोर्ट रामस्वरूप शर्मा, नगरोटा सूरियां

 गट्ठियों के जरिए बढ़ाएं प्याज की प्रोडक्शन

डा. रविंद्र सिंह,

कृषि विज्ञान केंद्र बिलासपुर, स्थित बरठीं (कृषि विश्वविद्यालय)

फोन न.- 9418157447

उपचार के लिए बीज को किसी सूखे बरतन में रखें तथा बीज और दवाई मिलाकर हल्का पानी का छिड़काव कर हिलाएं जब तक कि दवाई सभी बीजों में अच्छी तरह से चिपक न जाएं। बीजाई से पहले बीज को छाया में सुखा लें। 125-150 ग्रा. बीज प्रति क्यारी की दर से 10 कि.ग्रा. बीज प्रति हैक्टेयर क्षेत्र के लिए पर्याप्त होगा। ताजी केंचुआ खाद का उपयोग न करें। बीज की बिजाई थोड़ी घनी करें क्योंकि हमें सेट्स का आकार छोटे से छोटा चाहिए। मई माह के शुरू में जब पनीरी 8-10 से.मी. ऊंची हो जाए। यानी रोपण के लिए तैयार हो जाए इस समय सिंचाई बंद कर दें। जिससे पनीरी के पत्ते अधिक गर्मी होने के कारण मुरझाने लगेंगे। इस पीली पड़ी पनीरी को जून के प्रारंभ में गट्ठियों सहित उखाड़कर पतली तह में छाया में सुखाएं तथा हिलाते रहें। पत्तों के अच्छी तरह सूखने के बाद उन्हें गट्ठियों से अलग कर लें तथा इन गट्ठियों का भंडारण कर अगस्त माह के दूसरे पखवाड़े में बरसात समाप्त होने के बाद 15 से.मी. पंक्ति से पंक्ति तथा 7-10 से.मी. गट्ठी से गट्ठी की दूरी पर बिजाई करें। प्याज के एक किलोग्राम बीज से औसतन 50-70 कि.ग्रा. तक गट्ठियां (सेट्स) तैयार हो जाती है तथा एक कि.ग्रा. गट्ठियों की बिजाई से 60-80 कि.ग्रा. पत्तों सहित हरा प्याज प्राप्त किया जा सकता है। इन गट्ठियों की बिजाई व अन्य सस्य क्रियाएं ठीक उसी तरह की जाती हैं जिस तरह रबी मौसम में हम पनीरी रोपण करते हैं। केवल पौध की जगह सेट्स की बिजाई की जाती है। सेट्स की रोपाई से पहले खेत अच्छी तरह तैयार कर लें तथा उचित नमी होने पर गट्ठियां 5-6 दिन में की अंकुरित हो जाती है। इस प्याज को हरे प्याज के तौर पर पतों सहित अक्तूबर माह से बेचा जा सकता है तथा बाजार में प्याज के इन दिनों अधिक दाम होने के कारण किसान हरे प्याज से कम लागत से अधिक आमदन कमा सकते हैं। औसतन 1 हेक्टेयर क्षेत्रफल से 200-225 क्ंिवटल प्याज प्राप्त हो सकता है। यह प्याज अक्तूबर से जनवरी तक हरे प्याज के रूप में तथा जनवरी में पत्तों सहित उखाड़ व सुखा कर चार-पांच माह तक भंडारण किया जा सकता है।

– रिपोर्ट: पूजा चोपड़ा

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