कैसे पूरा करें 25 हजार छात्रों के लिए खाने का खर्च

By: Jan 22nd, 2020 12:30 am

प्री-प्राइमरी स्टूडेंट्स को मिड-डे मील देने में विभाग के हाथ खड़े, सरकार से मांगे अढ़ाई करोड़

शिमला  – प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 25 हजार से ज्यादा प्री-प्राइमरी छात्रों के लिए मिड-डे मील का खर्च कहां से पूरा करें, शिक्षा विभाग के लिए यह बड़ा चिंता का विषय बना हुआ है। एक साल से बिना बजट के प्रावधान से प्री-प्राइमरी के छात्रों को दोपहर का खाना तो दे दिया, लेकिन इस खाने की भरपाई करना शिक्षा विभाग के लिए मुश्किल हो गया है। यही वजह है कि शिक्षा विभाग ने अब प्रदेश सरकार को भेजने के लिए एक प्रोपोजल बनाया है। उसमें सरकार को बताया गया है कि सरकारी स्कूलों में नए सत्र से 25 हजार छात्र प्री-प्राइमरी में रह जाएंगे। ऐसे में इन छात्रों के दोपहर के खाने के लिए अढ़ाई करोड़ के बजट की आवश्यकता है। शिक्षा विभाग के बनाए गए प्रोपोजल में कहा गया है कि जब तक केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय से प्री-प्राइमरी के मिड-डे मील को अलग से बजट नहीं मिलता है, तब तक प्रदेश सरकार इसकी व्यवस्था करे। शिक्षा विभाग ने यह भी कहा है कि अब मिड-डे मील के तहत विभाग को ऑडिट करने में भी दिक्कत आएगी। गौर हो कि प्रदेश में दो साल पहले प्री-प्राइमरी कक्षाएं शुरू की थी। प्री-प्राइमरी प्रदेश में काफी सफल हुईं। दो साल में 47 हजार से ज्यादा छात्रों ने प्री-प्राइमरी में दाखिला लिया था। ऐसे में विभाग ने इस बार अनुमान है कि उस में से 20 प्रतिशत छात्र कक्षा पहली में चले जाएंगे, जिससे प्री-प्राइमरी में करीब 25 हजार छात्र रह जाएंगे। हालांकि इसके अलावा नए सत्र में भी प्री-प्राइमरी के नए छात्रों के दाखिले की उम्मीद शिक्षा विभाग को है। बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग ने नए सत्र से 500 स्कूलों में प्री-प्राइमरी शुरू करने को लेकर एक योजना तैयार की है। ऐसे में विभाग के लिए प्री-प्राइमरी छात्रों के लिए मिड-डे मील का बजट होना जरूरी है। बता दें कि प्रदेश में दो सालों से प्री प्राइमरी के छात्रों को दोपहर का खाना तो दिया जा रहा है, लेकिन यह खाना दूसरे छात्रों के लिए आए बजट से मिल रहा है। मौजूदा समय में दो लाख छात्र मिड-डे मील के तहत दोपहर का भोजन स्कूलों में कर रहे हैं।

हफ्ते में दो बार फ्रूट संग दूध देने की भी योजना

हफ्ते में दो बार सरकारी स्कूलों में छात्रों को मिड-डे मील के तहत फ्रूट और दूध देने की भी योजना है। केंद्र सरकार के निर्देशों के बाद शिक्षा विभाग ने यह भी प्रोपोजल बनाया है। इस पर यदि राज्य सरकार मंजूरी देती है, तो दोपहर के खाने से पहले हफ्ते के दो दिन दूध व सीजनली फ्रूट छात्रों को दिया जाएंगे।

अधिकारियों के लिए अब ऑडिट करना मुश्किल

दो साल से बिना बजट के प्री-प्राइमरी के छात्रों को दोपहर का खाना खिलाने से अब बड़ी समस्या हो सकती है। इससे शिक्षा विभाग के अधिकारियों को ऑडिट करने में दिक्कतें आ सकती हैं। वहीं, मार्च में होने वाली बैठक में शिक्षा विभाग मिड-डे मील के बजट को बढ़ाने का प्रोपोजल अलग से भारत सरकार के पास लेकर जाएगा।


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