घर में आयुर्वेद

By: Jan 11th, 2020 12:16 am

 सिंह पठानिया

सेवानिवृत संयुक्त निदेशक, आयुर्वेद हिप्र।

अजवायन के गुण

यह वही अजवायन है, जिस का प्रयोग हम अपनी रसोई में भी करते हैं। इस का वैज्ञानिक नाम टरैकीस्पर्मम एमी है। इस में आजुवेन नाम का उड़नशील तेल होता है, जिस में थाइमोल कटेंट होता है। इसका बीज ही ज्यादातर औषधि में प्रयोग होता है। इस से बनी हुई अजवायन अर्क के नाम से औषधि दवा विक्रेताओं के पास भी उपलव्ध है। अजवायन 3-5 ग्राम की मात्रा में गर्म जल से चबा कर लेने से पेट दर्द, अफारा, गैस, वदहजमी व दस्त प्रवाहिका को दूर होती है। यह पेट में पाचक रस के स्राव को बढ़ाती है इसलिए यह पाचक भी है। यह एसिडिटी को भी दूर करती है। आजकल ज्यादातर लोग अपनी मर्जी से ही गैस के लिए रैनीटीडीन, ओमपरेजोल, रेवीपरेजोला व पेंटापरेजोला एंटी अल्सर औषधियां लगातार ले रहे हैं, जो बाद में खून की कमी का करण बनती हैं,क्योंकि इनको लेने से फॉलिक एसिड व आयरन पूरी तरह से खून में नही मिल पाते हैं। ऐसे रोगी 3-5 ग्राम अजवायन गर्म जल से चबा कर लें। पेट में कोई तकलीफ  नहीं रहेगी व उन दवाइयों की आवश्यकता ही नहीं रहेगी। बंद पोटली में इस को सूंघना, खांसी व सांस में लाभप्रद है।  जोड़ों के दर्द में इसके तेल को जोड़ों पर लगाने व पोटली बनाकर सेंक देने से लाभ देती है। इस के काढ़े से गरारे करने से यह माउथ फ्रेशनर का काम करती है।  इसका काढ़ा हिचकी व शराब पीने से लगे वमन में भी लाभकारी है। इस का काढ़ा शराब छुड़ाने के भी काम आता है। 200 ग्राम अजवायन को 2 लीटर पानी में उबालने तथा जब आधा लीटर रह जाए, तो ठंडा करके आधा कप सुबह व आधा कप शाम को पीना चाहिए। शराब पीने को दिल ही नहीं करेगा। चेहरे पर एकने या पिंपल में अजवायन, हल्दी, गुलाब जल या ऐलोवेरा को बराबर भाग में पेस्ट बना कर लगाने से उन्हें दूर करता है। झाइयों व आंखों के नीचे कालापन हो, तो वहां भी लगाया जा सकता है। यह चेहरे पर निखार लाता है।

 


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