चार सरकारें बदलीं…बैहनाजट्टां की तकदीर नहीं
13 साल बाद भी शुरू नहीं हो पाया बैरीदड़ोलां पुल का काम, लोगों में सरकार-प्रशासन के खिलाफ बढ़ा रोष
बिलासपुर – गोबिंदसागर पर प्रस्तावित बैरीदड़ोलां पुल का निर्माण कार्य शिलान्यास के लगभग 13 साल बाद भी शुरू नहीं हो पाया है। पुल का काम शुरू न होने के चलते क्षेत्र की जनता में राज्य सरकार और जिला प्रशासन के प्रति नाराजगी बढ़ने लगी है। इस अवधि में प्रदेश में चार बार सत्ता परिवर्तन हो चुका है, लेकिन किसी भी सरकार ने पुल का काम शुरू करवाने की जहमत नहीं उठाई है। शनिवार को बैहनाजट्टां पंचायत, अखंड समाजसेवा समिति बैहनाजट्टां और बैरीदड़ोलां पुल निर्माण समिति के संयुक्त बैनर तले ग्रामीणों ने इस मसले को लेकर जिलाधीश राजेश्वर गोयल के माध्यम से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को ज्ञापन प्रेषित किया। जिलाधीश को ज्ञापन सौंपने पहुंचे बैहनाजट्टां पंचायत प्रधान विक्रमा देवी के साथ ही सीताराम, तारा देवी, हुकम चंद, संतोखाराम धीमान, सोहन सिंह, जगतराम, सुखदेव चंदेल, रणजीत सिंह, बिशनदास व अमित आदि ने कहा कि गोबिंदसागर पर बैरीदड़ोलां पुल का शिलान्यास 23 मार्च, 2007 को तत्कालीन सीएम वीरभद्र सिंह ने किया था। उसके बाद भाजपा सत्ता में आई। 2012 में प्रदेश में फिर से कांग्रेस की सरकार बनी। अब 2017 से दोबारा भाजपा सत्ता में है, लेकिन पुल के निर्माण के नाम पर आज तक एक ईंट तक नहीं लग पाई है। पुल के निर्माण को लेकर चुनावों के समय केवल खोखले आश्वासन ही मिलते रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार गोबिंदसागर का जलस्तर उतरने पर जलाशय के दोनों ओर दलदल निकलने लगती है। ऐसे में लोगों के लिए मोटरबोटों तक पहुंचना बेहद जोखिमभरा रहता है। उन्हें दलदल में धंसने की आशंका रहती है। सर्दियों में घने कोहरे की वजह से मोटरबोट तय समय पर गोबिंदसागर के आर-पार नहीं पहुंच पाते। ऐसे में मोटरबोटों के माध्यम से आने.जाने वाले स्कूल-कालेज के विद्यार्थी, कर्मचारी व अन्य लोग भी समय पर गंतव्य पर नहीं पहुंच पाते। प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोगों ने स्थानीय स्तर की कुछ मांगें भी डीसी के समक्ष रखीं। उन्होंने जनसहयोग से बनाए गए बैरीदड़ोलां (बैहनाजट्टां) श्मशानघाट में सोलर लाइट लगाने की मांग की, साथ ही गोबिंदसागर के लुहणू व बैरीदड़ोलां घाट पर दलदल की वजह से लोगों को चलने में होने वाली कठिनाई से निजात दिलाने के लिए रास्ते की सुविधा मुहैया कराने तथा स्थानीय युवाओं को आपदा प्रबंधन की ट्रेनिंग देने की मांग भी की, ताकि आपात स्थिति में जरूरत पड़ने पर वे बचाव व राहत कार्यों में योगदान दे सकें।
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