छुआछूत एक सामाजिक बुराई
-प्रकाश चौहान, मंडी
आज देश को आजाद हुए 70 साल से भी ज्यादा समय हो चुका है। परंतु प्रदेश के अंदर छुआछूत को लेकर लोगों की मानसिकता वैसी ही है जैसी कई दशकों पहले थी। छुआछूत के नाम पर प्रदेश के अंदर आज भी लोगों के साथ बहुत ज्यादा भेदभाव किया जाता है। प्रदेश छुआछूत का सबसे ज्यादा अभ्यास करने वाला देश का दूसरा राज्य है जहां पर छुआछूत की प्रतिशतता 50 प्रतिशत है। कभी मंदिरों में प्रवेश को लेकर, कभी स्कूलों में खाना बनाने व बांटने को लेकर तो कभी सरकारी कर्मचारियों के साथ छुआछूत को लेकर बहुत से मामले सामने आते रहते हैं। इतनी साक्षरता होने के बावजूद लोग छुआछूत जैसी सामाजिक बुराइयों में विश्वास रखते हैं। माननीय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी कहा है कि प्रदेश के अंदर लोग आज भी छुआछूत में विश्वास रखते हैं और साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि हमने विधानसभा से एससी-एसटी आरक्षण विधेयक पारित कर दिया है। सवाल यह है कि क्या विधेयक पारित करने से लोगों की मानसिकता को बदला जा सकता है? इसको खत्म करने के लिए प्रदेश के हर नागरिक को बराबर समझ कर उसे समाज में समान महत्त्व देना होगा।
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