जीवन का स्वभाव

By: Jan 11th, 2020 12:20 am

ओशो

एक सादगी भरा व्यक्ति जान लेता है कि प्रसन्नता जीवन का स्वभाव है। प्रसन्न रहने के लिए किन्हीं कारणों की जरूरत नहीं होती। बस तुम प्रसन्न रह सकते हो। केवल इसीलिए कि तुम जीवित हो। जीवन प्रसन्नता है, जीवन आनंद है, लेकिन ऐसा संभव होता है केवल एक सहज सादे व्यक्ति के लिए ही। वह आदमी जो चीजें इकट्ठी करता रहता है, हमेशा सोचता है कि इन्हीं चीजों के कारण उसे प्रसन्नता मिलने वाली है। आलीशान भवन, धन, सुख-साधन वह सोचता है कि इन्हीं चीजों के कारण वह प्रसन्न है। समस्या धन-दौलत की नहीं है, समस्या है आदमी की दृष्टि की, जो धन खोजने का प्रयास करती है। दृष्टि यह होती है जब तक मेरे पास ये तमाम चीजें नहीं हो जाती हैं, मैं  प्रसन्न नहीं हो सकता हूं। यह आदमी सदा दुखी रहेगा। एक सच्चा सादगी पसंद आदमी जान लेता है कि जीवन इतना सीधा सरल है कि जो कुछभी है उसके पास, उसी में वह खुश हो सकता है। इसे किसी दूसरी चीज के लिए स्थगित कर देने की उसे कोई जरूरत नहीं है।  इच्छाएं पागल होती हैं, आवश्यकताएं स्वाभाविक होती हैं। भोजन, घर, प्रेम तुम्हारी सारी जीवन ऊर्जा को मात्र आवश्यकताओं के तल तक ले आओ और तुम आनंदित हो जाओगे और एक आनंदित व्यक्ति धार्मिक होने के अतिरिक्त और कुछ नहीं हो सकता।  एक अप्रसन्न व्यक्ति अधार्मिक होने के अतिरिक्त और कुछ नहीं हो सकता। हो सकता है वह प्रार्थना करे, हो सकता है वह मंदिर जाए, हो सकता है मस्जिद जाए। उससे कुछ  फर्क नहीं पड़ने वाला।  एक अप्रसन्न व्यक्ति कैसे प्रार्थना कर सकता है? उसकी प्रार्थना में गहरी शिकायत होगी। दुर्भाव होगा वह एक नाराजगी होगी। प्रार्थना तो एक अनुग्रह का भाव है शिकायत नहीं। इसलिए ध्यान रहे जितने ज्यादा कब्जा जमाने की वृत्ति से जुड़ते हो, उतने ही कम प्रसन्न होओगे तुम। जितने कम प्रसन्न होते हो तुम, उतने ही दूर तुम हो जाओगे परमात्मा से, प्रार्थना से, अनुग्रह के भाव से। सीधे-सहज होओ। आवश्यक बातों सहित जीओ और भूल जाओ आकांक्षाओं के बारे में, वे मन की कल्पनाएं हैं, झील की तरंगें हैं। वे केवल अशांत ही करती हैं  तुम्हें। वे किसी संतोष की और तुम्हें नहीं ले जा सकती हैं। सृष्टि के समस्त जीवधारियों में मनुष्य ही सृष्टि की अनुपम रचना है और प्रसन्नता प्रभु पदत्त उपहारों में मनुष्य के लिए श्रेष्ठ वरदान होने के कारण सभी सद्गुणों की जननी कही जाती है। प्रसन्नता व्यक्ति के अंतर्मन में छिपे उदासी, तृष्णा और कुंठाजनित मनोविकारों को सदा के लिए समाप्त कर देती है। वस्तुतः प्रसन्नता चुंबकीय शक्ति संपन्न एक विशिष्ट गुण है। प्रसन्नता कहीं बाहर नहीं आपके भीतर है।


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