डिपो संचालकों ने नहीं भेजी डिमांड

By: Jan 18th, 2020 12:10 am

मार्केट के मुकाबले रेट ज्यादा होने से उठाने से किया इनकार, घाटे का रहेगा सौदा

हमीरपुर –राशन डिपो में उपलब्ध करवाया जाने वाला प्याज डिपो संचालकों के लिए घाटे का सौदा बन गया है। आलम यह है कि कई डिपो संचालकों ने प्याज की डिमांड भेजने से ही तौबा कर दी है। कारण साफ है प्रदेश सरकार द्वारा डिपो में उपलब्ध करवाया गया सस्ता प्याज लोकल मार्केट से भी महंगा है। यही कारण है कि कई डिपो संचालकों ने प्याज की डिमांड भेजी ही नहीं। इस कारण कई राशन डिपो में प्याज उपलब्ध नहीं है। पूछने पर डिपो संचालक एक ही बात कह रहे हैं कि घाटे का सौदा आखिर क्यों करें। जो प्याज मार्केट में महज 40 रुपए में मिल रहा है, वही प्याज राशन डिपो में 64 रुपए किलोग्राम के हिसाब से उपलब्ध करवाया जा रहा है। ऐसे में डिपो संचालकों को घटा होना स्वाभाविक ही है। यही कारण है कि डिपो संचालकों की हालत देखकर अन्य ने प्याज की डिमांड भेजने से ही तौबा कर ली है। जाहिर है कि प्याज की लगातार बढ़ रही कीमतों के बाद राशन के डिपो में प्याज उपलब्ध करवाने की योजना बनाई गई थी, जिस समय प्याज का रेट निर्धारित किया गया, उस समय मार्केट में प्याज शतक के आंकडे़ तक पहुंच गया था।  ऐसे हालात में डिपो में 64 रुपए किलोग्राम के हिसाब से प्याज उपलब्ध करवाने की योजना पर कार्य शुरू हुआ, लेकिन जब तक प्याज के डिपो में पहुंचने का समय आया मार्केट में सोने के भाव बिक रहे प्याज की कीमत कम हो गई। अब आलत यह है कि जिन डिपो संचालकों ने प्याज उठाया है, उन्हें भी सस्ती दरों पर ही इसे बेचकर घाटा उठाना पड़ा। कई डिपो संचालक प्याज की डिमांड भेजने की सोच रहे थे। मार्केट के भाव देखकर उन्होंने डिमांड नहीं भेजी। वर्तमान में जो प्याज सरकार द्वारा उपलब्ध करवाया गया है, वह ज्यादा बेहतर क्वालिटी का भी नहीं है। डिपो में 64 रुपए मिलने वाला यह प्याज दुकान में 40 रुपए किलोग्राम के हिसाब से बिक रहा है। वहीं, सबसे बढि़या लाल रंग को प्याज भी मार्केट में महज 50 रुपए किलोग्राम की दर से ही बिक रहा है। इसलिए राशन डिपो में उपलब्ध करवाया जाने वाले प्याज की कीमत तो लाल प्याज से भी ज्यादा है। खाद्य आपूर्ति विभाग नियंत्रक शिवराम राही ने बताया कि राशन डिपो में प्याज 64 रुपए किलोग्राम के हिसाब से उपलब्ध करवाया गया है। डिमांड के अनुरूप ही प्याज की आपूर्ति की जा रही है। डिपो संचालकों की इच्छा है वे डिमांड भेजे या नहीं।

 

 


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