तरक्की की राह पर बिलासपुर

By: Jan 20th, 2020 12:10 am

साठ के दशक में भाखड़ा बांध निर्माण के लिए सब कुछ बलिदान करने वाला बिलासपुर आज खेल के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी अग्रणी बनने की ओर अग्रसर है। लाखों छात्रों का भविष्य संवारने में अहम योगदान दे रहा यह शहर आज एजुकेशन हब बनकर उभरा है। बिलासपुर के स्कूलों ने ऐसी क्रांति लाई कि शिक्षा के साथ-साथ खुले रोजगार के दरवाजों से प्रदेश ने तरक्की की राह पकड़ ली। हिमाचली ही नहीं, बल्कि देश-विदेश के होनहारों का कल संवार रहे बिलासपुर में क्या है शिक्षा की कहानी, बता रहे हैं

अश्वनी पंडित

गोबिंदसागर झील के शृंगार के लिए सरकारी स्तर पर कई पर्यटन योजनाओं के क्रियान्वयन के बाद अब बिलासपुर में पर्यटन गतिविधियां आकर्षण का केंद्र होंगी। हमीरपुर के बाद अब बिलासपुर जिला भी शिक्षा का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। बिलासपुर शहर के अलावा झंडूता, नयनादेवी, बरमाणा और बरठीं व शाहतलाई इत्यादि छोटे शहर भी धीरे-धीरे शैक्षणिक गतिविधियों में निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। बिलासपुर मुख्यालय के सरकारी व निजी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए दूरदराज क्षेत्रों से भी विद्यार्थी पहुंचते हैं। यही नहीं, गोबिंदसागर झील के उस पार स्थित ग्रामीण इलाकों से भी सैकड़ों विद्यार्थी बिलासपुर में शिक्षा ग्रहण करने के लिए पहुंचते हैं। कई बसों तो कई झील में नाव व मोटरबोटों के माध्यम से रोजाना जिला मुख्यालय के लिए आवागमन करते हैं। सरकारी स्कूलों के मुकाबले शहर में निजी स्कूलों की तादाद कहीं अधिक है। हालांकि सरकारी स्कूल ग्राउंड, लैब व अध्यापकों के अलावा अन्य आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं, बावजूद इसके प्रतिस्पर्धा के इस युग में निजी स्कूलों में छात्र संख्या ज्यादा है। ग्रामीण इलाकों से भी विद्यार्थी यहां के निजी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं, जिन्हें लाने व ले जाने के लिए स्कूलों ने बसों की व्यवस्था कर रखी है। बिलासपुर खेलों के लिए भी विख्यात है। लुहणू स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स में साल भर विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन होता रहता है, जबकि यहां एक बेहतरीन क्रिकेट ग्राउंड भी है, जहां समय-समय पर रणजी ट्रॉफी व विजय हजारे ट्रॉफी का आयोजन होता है, जिसका लुत्फ उठाने के लिए भारी संख्या में क्रिकेट प्रेमी पहुंचते हैं। हाल ही में पैराग्लाइडिंग स्पर्धा के आयोजन से भी रोमांच बढ़ा है। यही वजह है कि खेलों के साथ-साथ बिलासपुर अब शिक्षा के क्षेत्र में भी ऊंचाइयां छूने लगा है। पिछले साल मार्च माह में कई सरकारी और प्राइवेट स्कूलों ने दसवीं व जमा दो कक्षाओं में मैरिट सूची में अपना नाम दर्ज करवाया है। हालांकि ग्राउंड व लैब सहित अन्य तमाम सुविधाओं से लैस होने के बावजूद सरकारी स्कलों के मुकाबले प्राइवेट स्कूल शिक्षा क्षेत्र में अव्वल प्रदर्शन कर रहे हैं। शहर में दो सीनियर सेकेंडरी सरकारी स्कूल हैं, जबकि निजी स्कूलों का आंकड़ा कहीं अधिक है। शहर के आसपास सीनियर सेकेंडरी स्कूल रघुनाथपुरा व चांदपुर, हाई स्कूल बध्यात और हाई स्कूल बागी बिनौला व सिहड़ा हैं, जहां ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसके अलावा चांदपुर में एसवीएम, व्यास पब्लिक स्कूल, तो वहीं, धौलावैली इंटरनेशनल स्कूल कार्यरत हैं, जहां ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

….संस्थानों में स्टाफ भी पूरा

बिलासपुर में शिक्षक छात्र अनुपात बढ़ा है। पहले जहां जमा एक व दो कक्षाओं में 40 स्टूडेंट्स पर एक शिक्षक होता था तो वहीं, आज 70 स्टूडेंट्स पर एक शिक्षक कार्यरत है, जबकि दसवीं कक्षाओं तक यह आंकड़ा 60ः1 है। शिक्षा विभाग (उच्च) के डिप्टी डायरेक्टर प्रकाश चंद ने बताया कि सरकारी स्कूलों में गुणात्मक शिक्षा प्रदान की जा रही है। विद्यार्थियों की सुविधा के लिए हरसंभव सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं।

किंडरगार्टन से शुरू हुआ था ग्लोरी स्कूल

वर्ष 2006 में किंडरगार्टन के रूप में शुरू हुआ ग्लोरी पब्लिक स्कूल बिलासपुर आज जिले के नामी स्कूलों में से एक है। किंडरगार्टन से शुरू होकर साल 2007 में यह स्कूल के रूप में शुरू हुआ। वर्तमान में नर्सरी से दसवीं तक की कक्षाएं चल रही हैं, जिनमें 400 से अधिक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। स्कूल प्रबंधक ब्रिगेडियर जेएस वर्मा (विशिष्ट सेवा मेडलिस्ट) बताते हैं कि स्कूल का उद्देश्य है कि विद्यार्थियों को चरित्राधारित गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना, ताकि वे भविष्य में जिम्मेदार नागरिक बन सकें और अपने चयनित व्यवसाय का श्रेष्ठ नेतृत्व करने में स्मर्थ हो पाएं। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्हें चरित्र-निर्माण एवं अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है तथा व्यवसायिक महाविद्यालयों में प्रवेश पाने के लिए पाठ्यक्रम में निपुणता प्राप्त करने के पर बल दिया जाता है। बहरहाल, स्कूल के विद्यार्थियों का खेलों, अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियों, सामान्य आचरण एवं अनुशासन, विज्ञान प्रोजेक्टों में अति उत्कृष्ट और शिक्षा क्षेत्र में बोर्ड की उपलब्धिओं में श्रेष्ठ प्रदर्शन यह दर्शाता है कि स्कूल अपना उद्देश्य पूरा करने में ठीक दिशा में कार्यरत है।

…एक से बढ़कर एक स्कूल संवार रहे कल

  बिलासपुर शहर व आसपास दस किलोमीटर के दायरे में दो    दर्जन से ज्यादा सरकारी और प्राइवेट स्कूल हैं। शहर में क्रीसेंट सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल, आर्यन पब्लिक स्कूल, ग्लोरी पब्लिक स्कूल, बीपीएस, नवज्योति सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल, विजन कान्वेंट स्कूल, माउंट कैलेवरी पब्लिक स्कूल और डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल हैं, जबकि दो एसवीएम रोड़ा सेक्टर में स्थित हैं।  इसी प्रकार नैना पब्लिक स्कूल भी चल रहा है। वहीं, शहर में दो सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल ब्वायज एंड गर्ल्ज हैं। शहर में आसपास पांच से दस किलोमीटर के दायरे में सीनियर सेकेंडरी स्कूल रघुनाथपुरा, कोठीपुरा व चांदपुर, जबकि हाई स्कूल बध्यात और हाई स्कूल बागी बिनौला व सिहड़ा हैं। चांदपुर में एसवीएम, व्यास पब्लिक स्कूल, तो वहीं धौलावैली इंटरनेशनल स्कूल कार्यरत हैं, जहां ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

शिक्षाविदों की राय

आकर्षित करती है प्राइवेट स्कूल के स्टूडेंट्स की ड्रेस

सरकारी में निजी स्कूलों की अपेक्षा अधिक सुविधाएं होने सहित गुणात्मक शिक्षा मिलती है, लेकिन निजी स्कूलों में अध्यापकों व अभिभावकों का सीधा संपर्क होता है, जो सरकारी स्कूलों में नहीं हो पाता। इसके अलावा स्कूल ड्रेस भी निजी स्कूलों में अधिक आकर्षक होती है

ओमप्रकाश गर्ग, रिटायर्ड टीचर

….दबाव नहीं, बच्चों के लिए सब्जेक्ट की रोचकता बढ़ाएं

जब तक अभिभावकों, अध्यापकों व बच्चों में समर्पण की भावना नहीं होगी, तब तक शिक्षा क्षेत्र में सुधार नहीं हो सकता। अभिभावकों व अध्यापकों को अपने बच्चों पर किसी भी प्रकार का दबाव बनाने के बजाय हर विषय को रोचक व रुचिकर बनाना होगा

सुशील पुंडीर, सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक

अभिभावकों को जागरूक होने की बहुत जरूरत

सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता सहित अधिक सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन अभिभावक व बच्चे देखादेखी में निजी स्कूलों में जाते हैं। इसका प्रभाव बच्चों के भविष्य पर भी पड़ता है। अभिभावक को जागरूक होने की आवश्यकता है

            जगदीश कौंडल, सेवानिवृत्त शिक्षक

स्कूल का स्टेटस ही नहीं क्वालिटी भी देखें पेरेंट्स

सरकारी स्कूलों में पहले बच्चों की संख्या अधिक होती थी, लेकिन अब इसमें काफी कमी आई है। इसका कारण अभिभावकों का जागरूक न होना है। अभिभावकों को इस ओर ध्यान देना होगा कि गुणात्मक शिक्षा के लिए सरकारी स्कूलों में काफी सुविधाएं हैं

कौशल्या देवी, सेवानिवृत्त शिक्षक

शिक्षक और अभिभावकों में तालमेल बेहद जरूरी

आज सरकारी स्कूलों में वे सारी सुविधाएं दी जा रही हैं, जो निजी स्कूलों में भी नहीं मिल पाती, लेकिन फिर भी अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजने में अधिक दिलचस्पी दिखाते हैं। सरकारी स्कूलों में संख्या बढ़ाने के लिए अभिभावकों व अध्यापकों का आपसी तालमेल बहुत जरूरी है

पवन शर्मा गांधी, सेवानिवृत्त शिक्षक

गर्ल्ज स्कूल में म्यूजिक भी सीख रहीं छात्राएं

बिलासपुर शहर के रोड़ा सेक्टर में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला (कन्या) बिलासपुर वर्ष 1954 में स्थापित हुआ। यहां वर्तमान में 431 छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रही हैं, जबकि 29 अध्यापक पढ़ा रहे हैं। वर्ष 2018-19 में दसवीं व 12वीं कक्षा की टॉप-10 में तो कोई मैरिट नहीं आई, लेकिन दसवीं की छह व 12वीं की 24 छात्राओं को मैरिट प्रमाण पत्र मिला है। यहां खेल गतिविधियों के लिए मैदान की सुविधा भी है। साथ ही सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए संगीत प्रवक्ता भी तैनात है।

बड़े मुकाम पर ब्वायज स्कूल

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला (छात्र) बिलासपुर को वर्ष 1986 में जमा दो का दर्जा मिला था। आज यहां छात्रों की कुल संख्या 354 है, जिन्हें 34 अध्यापक पढ़ा रहे हैं। हालांकि 80 के दशक में यहां छात्रों की संख्या 1500 हुआ करती थी। पहले यहां छड़ोल, कल्लर, रघुनाथपुरा, जबली, बंदला, चांदपुर, कंदरौर, बैरी व दयोथ आदि क्षेत्रों के छात्र भी यहीं पढ़ने आते थे। बिलासपुर शहर के पांच से दस किलोमीटर के दायरे में कोई अन्य जमा दो स्कूल नहीं हुआ करते थे। अब तीन से पांच किलोमीटर के एरिया में सरकारी व निजी स्कूलों की भरमार लग गई है, जिससे यहां छात्रों की संख्या में भारी कमी आई है। इस स्कूल में पिछले पांच साल से कोई मैरिट नहीं आई है। सांस्कृतिक गतिविधियों में यह स्कूल प्रदेश भर में अव्वल रहा है। वहीं, यहां खेलों के लिए विशाल मैदान भी है।

क्रीसेंट पब्लिक स्कूल में तैयार होंगे डाक्टर

बच्चों का कल संवार रहा क्रीसेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल अब नए शैक्षणिक सत्र से नीट की कोचिंग भी शुरू करेगा, जिससे बच्चों को यहां विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में आसानी रहेगी। स्कूल में 400 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जबकि टीचिंग स्टाफ 25 है और नॉन टीचिंग स्टाफ की तादाद सात है। प्रधानाचार्य दिनेश ठाकुर के अनुसार 2005 में स्कूल की स्थापना हुई थी और अब जमा दो का दर्जा प्राप्त हो चुका है, जहां बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान की जा रही है।

धौलावैली इंटरनेशनल स्कूल में 113 छात्र और 16 टीचर

चांदपुर में कोठीचौक के पास स्थित धौलावैली इंटरनेशनल हाई स्कूल की स्थापना 2016 में हुई थी। इस स्कूल में 113 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। स्कूल के प्रबंध निदेशक राकेश ठाकुर के अनुसार 16 शिक्षक बच्चों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

घुमारवीं के बाद अब यहां भी खुलेगा सेंट्रल स्कूल

बिलासपुर शहर से दस किलोमीटर की दूरी पर शिमला रोड पर जवाहर नवोदय विद्यालय कार्यरत है, जहां बिलासपुर के साथ ही अन्य जिलों के विद्यार्थी भी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसी प्रकार घुमारवीं में केंद्रीय विद्यालय कार्यरत है, जबकि बरठीं में अटल आदर्श विद्या केंद्र शुरू हुआ है, जहां विद्यार्थियों को शिक्षा ग्रहण करने की सुविधा मिली है। इसके अलावा एम्स जैसा स्वास्थ्य संस्थान मिलने के बाद बिलासपुर के लिए एक केंद्रीय विद्यालय स्वीकृत हुआ है। इसके लिए 25 बीघा जमीन लुहणू कनैतां में चयनित की गई है, जिसकी साइट विजिट रिपोर्ट शिक्षा विभाग ने जिलाधीश व केंद्र को भेज दी है।

सरकारी स्कूल भी बेहतर हैं

प्राइवेट में ही जाना चाहते हैं बच्चे

हमारी शिक्षा भी सरकारी स्कूल में हुई है, लेकिन आज के बच्चे सरकारी स्कूल में जाने के बजाय निजी स्कूलों में जाने पर जोर बनाते हैं। शहर में स्कूलों की संख्या भी पहले की अपेक्षा अधिक हो गई है

पुनीत शर्मा, अभिभावक

निजी में एक-एक छात्र पर फोकस

बच्चों को सरकारी स्कूलों में वैसी शिक्षा नहीं मिल पाती, जैसी निजी स्कूलों में मिलती है। निजी स्कूलों में एक-एक बच्चे पर विशेष ध्यान दिया जाता है। साथ ही अध्यापक सीधे तौर पर अभिभावकों से संपर्क करते हैं

पवन कुमार, अभिभावक

दोस्तों को देख जिद करते हैं बच्चे

पहले सिर्फ सरकारी स्कूल ही हुआ करते थे, लेकिन अब निजी स्कूल भी खुल गए हैं। कई बार बच्चे देखादेखी में उसी स्कूल में एडमिशन लेने की जिद करते हैं, जिसमें उनके अन्य दोस्त पढ़ रहे हैं

जफर अली, अभिभावक

घर पहुंचती है छात्रों की हर एक्टिविटी

निजी स्कूल सरकारी स्कूलों से अधिक सुविधाएं देते हैं। अध्यापक समय-समय पर अभिभावकों से सीधा संपर्क कर बच्चों की गतिविधियों को लेकर चर्चा करते हैं, जिससे बच्चे की हर गतिविधि के बारे में पता चलता रहता है  

                               विनोद कौंडल, अभिभावक

सरकारी में खेलों पर भी ध्यान

निजी स्कूलों में फीस अधिक होती है, जबकि सरकारी स्कूलों में फीस इतनी नहीं, जितनी सुविधाएं दी जाती हैं। सरकारी स्कूलों में शिक्षा के साथ-साथ खेलकूद व सांस्कृतिक गतिविधियां भी करवाई जाती हैं, इसलिए सरकारी को प्राथमिकता दी जानी चाहिए

                                 संजीव शर्मा, अभिभावक

नीट-एचएएस में निजी स्कूलों की धाक

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की मैरिट सूची में छह बार अपना नाम दर्ज करवा चुका बिलासपुर का आर्यन पब्लिक स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छू रहा है। स्कूल प्रबंधन की ओर से बेहतर स्टाफ व अन्य आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। यही वजह है कि बच्चे हर साल मैरिट सूची में आ रहे हैं। बिलासपुर शहर के रोड़ा सेक्टर में वर्ष 2005 में शुरू हुए इस स्कूल से शिक्षा ग्रहण कर निकले छात्र आज विभिन्न क्षेत्रों में बेहतरीन कार्य कर रहे हैं। यहां से पढ़े छात्र एमबीबीएस, एम्स व एनआईटी में एंट्री कर चुके हैं। इस स्कूल की शुरूआत वर्ष 2005 में 200 विद्यार्थियों से हुई थी। आज यहां विद्यार्थियों की संख्या का आंकड़ा 450 पहुंच गया है, जबकि 25 अध्यापक बच्चों को गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध करवा रहे हैं। शिक्षा के साथ-साथ खेल व सांस्कृतिक गतिविधियों में भी यह स्कूल अव्वल रहा है। इस स्कूल के छात्र राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन कर चुके हैं। वहीं, साइंस कांग्रेस में भी इस स्कूल के छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन बेहतरीन रहा है। साइंस स्टूडेंट्स के लिए यहां लैब की सुविधा भी उपलब्ध है। स्कूल के प्रधानाचार्य पंकज ठाकुर का कहना है कि बच्चों को गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए बचनबद्ध हैं। स्कूल से शिक्षा ग्रहण करके निकले छात्र आज सरकारी व निजी क्षेत्र में उच्च पदों पर विराजमान हैं।

1986 से चल रहा डीएवी

डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल की स्थापना 1986 में हुई थी। यहां से अध्ययन कर निकलने वाले विद्यार्थी देश-विदेश में प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए अच्छे पदों पर आसीन हैं। इस विद्यालय का परीक्षा परिणाम हमेशा अव्वल रहता है। 2018-19 का दसवीं व बारहवीं की परीक्षा का परिणाम शत-प्रतिशत रहा, जिसमें दसवीं कक्षा के 13 छात्रों ने 90 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किए तथा बारहवीं कक्षा में विद्याथियों ने अधिकतम 94 प्रतिशत अंक हासिल किए। डीएवी बिलासपुर से अध्ययन कर निकलने वाले विद्यार्थियों में से सात विद्यार्थियों ने 2019 में नीट की परीक्षा उत्तीर्ण की। शाविक घई ने एचजेएएस न्यायाधीश की परीक्षा उत्तीर्ण की और अंशुल सूद ने सहायक प्रवक्ता की परीक्षा उत्तीर्ण की। रजत महाजन ने अधिशाषी अधिकारी की परीक्षा पास की और आश्चित ठाकुर डिफेंस सर्विस की ट्रेनिंग पूरी करके वायु सेना अधिकारी बने। इन सब ने अपनी उपलब्धियों से स्कूल का नाम रोशन किया। भविष्य में ऐसे ही विद्यार्थी उन्नति करते रहें। प्रधानाचार्य महेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि स्कूल में छात्रों को हर सुविधा देने के लिए प्रयास जारी हैं।


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