ताजी बर्फ पर ताजा बयान

By: Jan 22nd, 2020 12:05 am

अशोक गौतम

ashokgautam001@Ugmail.com

बर्फ  में असली घरवाली को घर छोड़ टाइम पास बाहरवाली के साथ मस्तियां करते-करते जब नेताजी ठंडे पड़ गए तो विपक्ष के लीड नेताजी को ख्याल आया कि ऐसे कैसे हो गया जो उन्होंने बर्फबारी को लेकर सरकार को नहीं कोसा? आज तक तो संजीदा विपक्ष का धर्म निभाते हुए सरकार द्वारा कोई जन सापेक्ष निर्णय लेने से पहले ही वे सरकार को अपनी जुबान तो अपनी जुबान, इधर-उधर से जुबानें किराए पर लेकर बलपूर्वक छलपूर्वक कोसते रहें हैं। ये साली बर्फ  भी न! सरकार के बंदों को तो ठंडा करके रखती ही हैं पर हम विपक्ष के बंदों को भी ठंडा करके रख देती है जिन्हें हरदम गर्म रहना चाहिए…. और उन्होंने आनन-फानन में प्रेस क्लब जा अखबारों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने के बेहूदा इरादे से पत्रकारों को हैवी लंच करवाने के बाद संबोधित करते विपक्ष का उत्तरदायित्व निभाते हुए चूहे की तरह हुंकार भरते संबोधित करना शुरू किया, ‘इस सरकार को इतना भी पता नहीं कि बर्फ  कहां गिरवानी चाहिए? अरे, सत्ता में रहते कश्मीर में बर्फ  गिरवाने की जरूरत ही क्या थी? यहां तो अपने आप भी बर्फ  पड़ती रहती है, वैसे भी आदमी मरते रहते हैं। बर्फ  गिरवानी ही थी तो दिल्ली में गिरवाते। पर सरकार में इतनी हिम्मत कहां जो वह दिल्ली में बर्फ  गिरवा सके ताकि वहां की जनता को भी पता चले कि आखिर बर्फ कैसी होती है। वह भी बर्फ  का दिल्ली बैठे-बैठे आनंद लेती। पर नहीं। वहां सरकार बर्फ  क्यों गिरवाएगी? वहां तो उनकी सरकार नहीं है न? हम सरकार की अंधा बांटे रेवडि़यां अपनों-अपनों को दे की नीति के सख्त खिलाफ हैं। हम सरकार की इस बर्फ  गिराने की नीति को कतई सहन नहीं करेंगे। हम सरकार के इस तानाशाही रवैये की कड़ी से भी कड़ी निंदा करते हैं। सरकार यह न सोचे कि वह विपक्ष की आवाज को दबा देगा। वह विपक्ष का गला घोंट देगा। इस सरकार के पास भेदभाव के सिवाय और कुछ नहीं। वह यह न समझे कि विपक्ष मर गया है। विपक्ष अभी भी जैसे-तैसे जिंदा है। और वह तब तक हर हाल में जिंदा रहेगा जब तक उसे सत्ता नहीं मिल जाती। केवल कश्मीर में ही बर्फ  गिराना समूचे लोकतंत्र के साथ सरासर अन्याय है। पहाड़ों पर तो बर्फ  कोई भी गिरा सकता है। सरकार की उपलब्धि तब माने जो वह संसद के प्रांगण में बर्फ  गिरा कर दिखाए। केवल पहाड़ों पर बर्फ  गिरवाना देश की उस गरीब जनता से अन्याय है जो घर से बाहर नहीं निकलती प्रशासन के डर के मारे। जिसके पास प्याज खरीदने तक को पैसे नहीं। कोई सरकार से पूछे कि तड़के के बिना भी कोई जिंदगी होती है साली। वह चाहे टाटा की हो चाहे गंगू तेली की। जनता के पैसे का दुरुपयोग करते हुए मुंबई की जनता के पैसों से केवल पहाड़ों पर  बर्फ  गिरवाना मुंबई की जनता के पैसे का सरासर दुरुपयोग हैं। अगर जनता का पैसा विपक्ष के पेट में नहीं जाता जो वह जनता का पैसा सरकार के पेट में भी नहीं जाने देगा। केवल पहाड़ों में ही बर्फ  गिरवाना पहाड़ों की जनता को ठंड में मरने को मजबूर करना सरकार की पहाड़ों की जनता के खिलाफ गहरी साजिश है जिसे विपक्ष कामयाब नहीं होने देगा। हम हर वर्ग की जनता को बताना चाहते हैं कि जब हमारी सरकार आएगी तो हम मुंबई में बर्फ  गिरवा मुंबई के लोगों को मुफ्त में बर्फ  का आनंद दिलवाएंगे। हे देशवासियो! जब हमारी सरकार आएगी तो हम कश्मीर की जनता से वादा करते हैं कि कुर्सी पर बैठते ही सबसे पहले हम उसे बर्फ  से निजात दिलवाएंगे। सर्दियों में यहां बर्फ  न पड़े, इसके लिए हम अपनी सरकार के आते ही पुख्ता इंतजामात करेंगे। यह तो कोई बात नहीं होती कि हर साल सर्दियों में बर्फ  का सामना कश्मीर की ही जनता करे। देश की जनता एक सी जनता है। चाहे वह कन्याकुमारी की हो या फिर कश्मीर की। यह कुर्सी पर बैठ कानों में रूईं डाले वे सब ध्यान से सुन लें कि हम आज फिर देश की जनता को वचन देते हैं कि जनता विरोधी सरकार गिरने के बाद हमारी जनता की लोकप्रिय सरकार बनने पर  हम शपथ लेने से पहले राजस्थान की जनता को घर बैठे बर्फ  का उपहार देंगे। हम अपनी सरकार के आने पर देश के हर उस कोने में बर्फ गिरवाएंगे जहां आज तक बर्फ  न गिरी हो ताकि गरीब से गरीब जनता भी अपने घर में बर्फ  का आनंद ले सके। हम अपनी सरकार आने पर….


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