ताले वाली माता मंदिर
उत्तर प्रदेश के कानपुर में बंगाली मोहल्ले में एक ऐसा मंदिर है, जहां भक्त अपनी मनोकामना के लिए ताला चढ़ाते हैं। मनोकामना पूरी होने पर ताला खोलकर ले जाते हैं। वर्तमान में मंदिर में सैकड़ों ताले लगे हैं। मंदिर में माता काली विराजमान हैं। मंदिर के पुजारी के अनुसार मनोकामना पूरी होने के बाद भक्त पुनः मंदिर आकर दोबारा स्वयं द्वारा बांधे गए ताले की पूजा करते हैं और इसके बाद वह चाबी से ताला खोल देते हैं। ये मंदिर कब, किसने बनवाया और मां काली यहां कैसे विराजमान हुइर्ं, ये आज तक कोई नहीं जान पाया है। कहते हैं कि सदियों पहले एक महिला भक्त बहुत परेशान रहा करती थी। वो नियम से इस मंदिर में सुबह पूजन के लिए आती थी। एक बार वो मंदिर के प्रांगण में ताला लगाने लगी। उस समय वहां के पुरोहित ने जब उससे इसके बारे पूछा, तो उसका जवाब था कि देवी मां ने सपने में आकर कहा है कि तुम एक ताला मेरे नाम से मेरे मंदिर प्रांगण में लगा देना, तुम्हारी हर इच्छा पूरी हो जाएगी। ताला लगाने के बाद वो महिला फिर मंदिर में कभी नहीं दिखी और बरसों बाद उस महिला द्वारा लगाया गया ताला अचानक गायब हो गया। साथ ही दीवार पर लिखा था कि मेरी मनोकामना पूरी हो गई, इस वजह से ये ताला खोल रही हूं। उसके बाद से मां काली का नाम ताले वाली देवी पड़ गया। उसके बाद मंदिर में ताला लगाने की परंपरा चल पड़ी। हर अमावस्या को माता का दरबार पूरी रात खुलता है। पूरी रात पूजन चलता है। अगले दिन सुबह माता के दरबार में भंडारा भी लगाया जाता है।
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