पुराने वैट का हिसाब-किताब कर लें कारोबारी

By: Jan 23rd, 2020 12:01 am

वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी पर अधिसूचना जारी, 30 अप्रैल तक कर सकते हैं आवेदन

शिमला – कारोबारियों से वैट की पुरानी वसूली को लेकर सरकार द्वारा मंजूर सेटलमेंट पॉलिसी को बुधवार को अधिसूचित कर दिया गया। सरकार ने कारोबारियों से वैट के तहत करीब 3500 करोड़ रुपए की वसूली करनी है, जिसमें से उम्मीद है कि 670 करोड़ रुपए तक उसे हासिल हो सकते हैं। यही नहीं, जो मामले कानूनी पेचिदगियों में फंसे हैं, वे भी खत्म हो सकते हैं। वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी के तहत कारोबारियों को आवेदन करने के लिए कहा गया है, जो विभाग से संपर्क साधकर अपने पुराने मामलों को खत्म करवा सकते हैं। जिन लोगों ने अदालत में विभाग के खिलाफ मामले दर्ज करवाए हैं, उनको पहले खत्म करना होगा, जिसके बाद ही बात आगे बढ़ सकेगी। बताया जा रहा है कि प्रदेश में वैट डिफाल्टरों के करीब तीन लाख के मूल्यांकन के मामले लंबित पड़े हुए हैं, जिन्हें सुलझाया जाना जरूरी है। बता दें कि जीएसटी लागू होने से पहले वैट वसूला जाता था और इतनी बड़ी संख्या में कारोबारियों ने वैट नहीं दिया। इस पर सरकार ने सभी मामलों को सुलझाने के लिए वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी को मंजूरी दी थी, जिस पर बुधवार को अधिसूचना जारी कर दी गई है। योजना के अंतर्गत वस्तु एवं सेवा कर में सामान्य विक्रय कर, वैट, केंद्रीय बिक्री कर और अन्य कराधान कानूनों के अंतर्गत लंबित मामलों का समाधान किया जाएगा।योजना लंबित एरियर के समाधान के साथ-साथ वस्तु एवं सेवा कर के तहत निर्धारित कराधान कानूनों के लंबित आकलनों के निपटान के लिए जमा होने वाले किसी भी बकाया के लिए लागू होंगी। गुजरात, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों ने जीएसटी लागू करने के पश्चात लंबित मामलों के समाधान के लिए बंदोबस्त योजना शुरू की गई है।केंद्र सरकार ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवा कर के लंबित मामलों के निपटारे के लिए सबका विकास योजना-2019 लीगेसी विवाद समाधान शुरू की है।

कुछ ऐसे हैं नियम

घोषक को कर भुगतान के लिए निपटान शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता होती है तथा रिटर्न या कर के भुगतान में जहां देरी होती है, वहां 10 प्रतिशत की दर से भुगतान किया जाता है। वहीं, जहां कोई रिटर्न दाखिल नहीं किया गया है तथा वैधानिक रूप सीएफएच इत्यादि शामिल है और प्रस्तुत नहीं किए गए हैं, उन मामलों में 110 प्रतिशत कर देना होता है। सेटलमेंट योजना के तहत घोषणा पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 30 अप्रैल होगी।


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