पृथ्वी की रक्षा करना परम कर्त्तव्य

By: Jan 16th, 2020 12:05 am

-राजेश कुमार चौहान, जालंधर

जब हमें यह महसूस होता है कि हमें कोई बीमारी होती है तो हम झट से उस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए इलाज कराने लगते हैं। बीमारी और न बढ़ें और यह जानलेवा न बन जाए इसके लिए परहेज करते हैं, लेकिन आज पृथ्वी हमारी गलतियों के कारण बीमार हो रही है, लेकिन बहुत अफसोस की बात है कि इसके इलाज के लिए हम गंभीर नहीं हैं। महात्मा गांधी ने पर्यावरण और सतत विकास पर कहा था कि आधुनिक शहरी औद्योगिक सभ्यता में ही उसके विनाश के बीज निहित हैं। आधुनिकता और भौतिकतावाद की अंधी दौड़ में इस कद्र दौड़ रहा है कि इनसान को अपने वातावरण का भी ख्याल नहीं रहा है, वातावरण के प्रति लापरवाही जीव-जंतुओं और अब खुद इनसान की जान पर भी भारी पड़ना शुरू हो चुकी है। पृथ्वी को सही सलामत रखने के लिए इसे हर तरह के प्रदूषण से बचाने के लिए सभी को प्रयास करने चाहिए, तभी पृथ्वी स्वर्ग बनी रह सकती है अन्यथा यहां पर रहना नरक से बदतर हो जाएगा और धरती पर प्राणी जाति का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।


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