प्रत्येक जिले में केवी की स्थापना पर विचार करे वित्त, एचआरडी मंत्रालय: सुप्रीम कोर्ट

By: Jan 17th, 2020 1:53 pm
 

 उच्चतम न्यायालय ने देश की प्रत्येक तहसील में एक केंद्रीय विद्यालय खोलने और प्राइमरी स्कूल के पाठ्यक्रम में भारतीय संविधान को शामिल करने की मांग वाली याचिका पर वित्त मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय को तीन महीने में निर्णय लेने का शुक्रवार को निर्देश दिया ।न्यायमूर्ति एनवी रमन, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति आर सुब्रमण्यम की पीठ ने यह निर्देश भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की दलील सुनने के बाद दिया है।याचिकाकर्ता ने न्यायालय से कहा कि प्रत्येक तहसील में एक केंद्रीय विद्यालय स्थापित करने और भारतीय संविधान को प्राथमिक स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करने से भाषावाद और क्षेत्रवाद समाप्त होगा, राष्ट्रीय एकता और अखंडता मजबूत होगी, आपसी भाईचारा बढ़ेगा और गरीब छात्रों को भी समान अवसर मिलेगा।श्री उपाध्याय ने कहा कि अच्छे स्कूल के अभाव में तहसील मुख्यालय पर कार्यरत तहसीलदार , न्यायिक अधिकारी, डॉक्टर, पुलिस इंस्पेक्टर अपने परिवार को जिला मुख्यालय पर रखते हैं इससे आने-जाने में समय बर्बाद होता है और वे ठीक से अपनी ड्यूटी नहीं कर पाते हैं।इसके पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने श्री उपाध्याय की जनहित याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि प्रत्येक तहसील में केंद्रीय विद्यालय खोलना और भारतीय संविधान को प्राइमरी स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल करना नीतिगत मामला है इसलिए न्यायालय केंद्र सरकार को निर्देश नहीं दे सकता है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि देश में कुल 5464 तहसील हैं लेकिन केंद्रीय विद्यालय मात्र 1209 हैं. इसलिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय को प्रत्येक तहसील में एक केंद्रीय विद्यालय खोलना चाहिए। इससे गरीब बच्चों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मिलेगी, उन्हें समान अवसर मिलेगा, आपसी भाईचारा बढ़ेगा तथा देश की एकता और अखंडता मजबूत होगी”।

उन्होंने कहा कि गरीबी के चलते किसान-मजदूर के होनहार बच्चों को अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा नहीं मिल पाती है। प्रत्येक तहसील में एक केंद्रीय विद्यालय खोलने से उच्च कोटि की शिक्षा गरीब छात्रों तक पहुंचेगी जो अभी तक इससे वंचित हैं।

याचिका में कहा कि प्रत्येक तहसील में एक केंद्रीय विद्यालय खोलने पर राज्य के सरकारी स्कूल भी इनसे प्रतिस्पर्धा करने लगेंगे फलस्वरूप शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।

 


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