प्री-प्राइमरी स्कूलों में मिड-डे मील को बजट की दरकार

By: Jan 19th, 2020 12:20 am

कुल्लू – सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर बढ़ाने के लिए भले ही केंद्र सरकार,  हिमाचल सरकार और शिक्षा विभाग ने प्री-प्राइमरी कक्षाएं पिछले डेढ़ वर्ष पहले शुरू कर दी हैं। हैरानी की बात यह है कि अभी तक प्री-प्राइमरी कक्षाओं के लिए मिड-डे मील का प्रावधान नहीं किया गया। सरकारें अभी तक बजट का प्रावधान नहीं कर पाई हैं। सूत्रों के मुताबिक जो बच्चे सरकारी स्कूलों में प्री-नर्सरी और नर्सरी की कक्षाओं में पढ़ते हैं, उनका पोषण पर मिलने वाला राशन आंगनबाडि़यों से भी बंद किया गया है, जिन स्कूलों में मिड-डे मील लेने वाले बच्चों की संख्या ज्यादा है, उन स्कूलों में तो प्री-प्राइमरी के आठ-दस बच्चों को मिड-डे मील का इंतजाम हो रहा है, लेकिन जिन स्कूलों में मिड-डे मिल लेने वाले बच्चों की संख्या कम है, वहां पर प्री-प्राइमरी के बच्चों के लिए मिड-डे मील बनाना स्कूल प्रबंधन के लिए भी परेशानी हो गई है। हालांकि हर दिन  स्कूल प्रबंधन को स्कूलों के एमडीएम की रिपोर्ट सौंपनी पड़ती है। यही नहीं, सरकारी स्कूलों में प्री-नर्सरी कक्षाएं बैठा तो दी हैं, लेकिन सुविधाओं का अभी अभाव है, जिससे स्कूल प्रबंधन  और प्री-नर्सरी और नर्सरी के बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसकी समग्र शिक्षा अभियान देखरेख करता है। पिछले वर्ष के आंकड़ों  के मुताबिक नर्सरी के बाद स्कूलों में एडमिशन की संख्या बढ़कर एक लाख 65 हजार 118 हो गई। नर्सरी शुरू करने से स्कूलों में अब तक 47500 एडमिशन बढ़ी हैं, जिसमें प्री-प्राइमरी स्कूलों की संख्या तीन हजार से अधिक है और प्रदेश के 4741 स्कूलों में कक्षाएं चल रही हैं। उधर, रोहित जम्वाल, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक का कहना है कि समग्र शिक्षा अभियान की मीटिंग में इस पर हाल ही में चर्चा हुई है। अगले सत्र में इसके समाधान करने पर प्रयास किए जा रहे हैं।यह भी कमी प्री-नर्सरी में सैकड़ों की एडमिशन हो चुकी हैं, जिसे प्रदेश सरकार और विभाग प्री-नर्सरी की एडमिशन को अपनी संख्या मानकर सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ने की बातें की जा रही है, परंतु अभी तक सुविधाएं जीरो हैं।अध्यापक भी नहीं, बड़े बच्चों की पढ़ाई हो रही प्रभावित प्राथमिक स्कूलों के अध्यापक पांच कक्षाओं को पढ़ाएं या नर्सरी और प्री-नर्सरी के बच्चों को पढ़ाएं, यह भी परेशान हो गए हैं। अभी तक प्री-प्राइमरी स्कूलों में अतिरिक्त स्टाफ का प्रबंधन नहीं हो पाया है। इससे बड़ी कक्षाओं के बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।े

अब एचजीटीयू उठाएगी मुद्दा

एचजीटीयू के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान, महासचिव श्याम लाल हांडा ने बताया कि प्री-प्राइमरी स्कूलों में स्कूल प्रबंधन को एमडीएम के लिए परेशान होना पड़ रहा है। वहीं, स्कूलों नर्सरी टीचर्स नहीं होने से जेबीटी अध्यापकों पर इसका बोझ पड़ रहा है। सरकार  के समक्ष इस समस्या को जल्द रखा जाएगा। सरकार से नए नर्सरी ट्रेंड टीचर्स लगाने के साथ मिड-डे मील का प्रबंधन करने की मांग की जाएगी।


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