प्रोजेक्ट तैयार करने को बजट नहीं

By: Jan 23rd, 2020 12:01 am

शिमला – हिमाचल प्रदेश के छोटे बिजली उत्पादक अपने प्रोजेक्ट बनाने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। इनके सामने वित्तीय संकट के साथ कई दूसरी परेशानियां खड़ी हैं, जिसके बाद ये लोग सरकार की ओर देख रहे हैं। हिमाचली उत्पादक चाहते हैं कि प्रोजेक्ट में उनका इक्विटी शेयर बढ़ जाए, जिससे वे बाहर से वित्तीय प्रबंधन कर सकें और यहां पर रुके हुए प्रोजेक्टों को सिरे चढ़ाया जा सके। इस मामले में अभी सरकार की ओर से फैसले का इंतजार है। बता दें कि हिमाचल के उत्पादकों ने इन्वेस्टर मीट से पहले भी सरकार से इस मुद्दे को उठाया था और सीएम से भी इस पर चर्चा की है। प्रदेश सरकार ने यहां पर बिजली परियोजनाओं के निर्माण में तेजी लाने के दृष्टिगत चिनाब बेसिन के लिए कुछ फैसले लिए थे, वहीं पावर पॉलिसी में भी बदलाव कर कुछ रियायतें दी गईं। इससे सभी बड़े प्रोजेक्ट, जो कि पांच मेगावाट क्षमता से अधिक के हैं, को ही लाभ मिल पाया। छोटे परियोजना उत्पादक, जो कि पांच मेगावाट से नीचे के प्रोजेक्ट लेकर बैठे हैं, को कोई लाभ नहीं मिल पाया है। इतना ही नहीं, दो से पांच मेगावाट तक के प्रोजेक्ट्स में सरकार ने हिमाचली उत्पादकों को ही प्राथमिकता दे रखी है, मगर ऐसे 200 से ज्यादा प्रोजेक्ट हैं, जो कि  बन नहीं पा रहे हैं। सालों से ये परियोजनाएं हिमाचली उत्पादकों ने सरकार से ले रखी हैं, मगर वे उनको बना नहीं पा रहे हैं। कई प्रोजेक्ट टैरिफ बढ़ जाने के कारण नहीं बन पा रहे हैं, क्योंकि बिजली की उत्पादन लागत ज्यादा हो चुकी है, जबकि उसकी दरें कम हैं। इस कारण ये लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह इक्विटी शेयर बढ़ा दे, ताकि वे बाहर से या फिर बैंकों से ऋण उठाकर परियोजनाओं को शुरू कर सकें। इसके अलावा कई तरह की क्लीयरेंस भी उनको समय पर नहीं मिल पा रही है। इस कारण प्रदेश में 200 से ज्यादा छोटी परियोजनाएं ठंडे बस्ते में पड़ी हैं।

सरकार से हो रही बात

बताया जा रहा है कि इस मसले पर सरकार के स्तर पर बातचीत चल रही है और जल्दी ही कोई नतीजा निकल सकता है। हिम ऊर्जा की सीईओ रूपाली ठाकुर का कहना है कि बोनाफाइड हिमाचली उत्पादक इस तरह की मांग उठा रहे हैं, जिस पर सरकार को ही फैसला लेना है। तकनीकी रूप से इस पर चर्चा चल रही है।


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